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Showing posts from February, 2024

राहुल भाटी ने एक मिनट में सर्वाधिक साफ़े बांधकर गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया अपना नाम

पगड़ी भारतीय संस्कृति में गरिमा और सम्मान का प्रतीक मानी जाती हैं। यह व्यक्ति को उसकी राष्ट्रीय और सांस्कृतिक पहचान का अहसास कराती है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की पगड़ियां पहनी जाती हैं, और इनमें से प्रत्येक का अपना विशेष महत्त्व और अर्थ होता है। पगड़ी पुराने समय से ही भारतीय समाज में परंपरागत भूमिका निभाती आई है। इसे विशेष अवसरों और धार्मिक पर्वों पर विशेष रूप से उपयोग में लिया जाता है। कई बार पगड़ी का आकार, रंग और बनावट व्यक्ति कि सामाजिक और आर्थिक स्थिति को दर्शाती है। उच्च वर्ग के व्यक्ति और महाराजाओं के लिए अलग-अलग प्रकार की पगड़ियां होती हैं। कुछ स्थानों पर पगड़ी को धार्मिक आधार पर भी महत्त्वपूर्ण माना जाता है। इसे धार्मिक आस्थाओं और आदर्शों के साथ जोड़ा जाता है। कई बार पगड़ी राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों का भी हिस्सा बनती है। जोधपुर, राजस्थान के श्री राहुल भाटी (Rahul Bhati) जी ने दूसरों को पगड़ी यानी साफा बाँधकर अपनी शान ही नही बल्कि जोधपुर समेत पुरे राजस्थान की शान बढ़ाने का बेमिसाल कार्य किया है। आमतौर पर जितनी समयावधि में व्यक्ति के लिए एक साफ़े को बंधना भी

अण्डों पर पक्षियों के चित्र बनाकर प्रोफेसर डॉ. अरुण खेर जी ने रचा विश्व कीर्तिमान

पर्यावरण को संतुलित रखने के लिए पेड़-पौधों के साथ-साथ पशु-पक्षियों की भी अहम भूमिका होती है। पक्षी बीजों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने का भी काम करते हैं, जिससे की पर्यावरण हरा-भरा बना रहता है। जहाँ पर पक्षियों की चहचहाट होती है वहाँ का पर्यावरण संतुलित होता है। पक्षी पर्यावरण के प्रमुख घटक होते हैं, पक्षियों के बीट में यूरिया होता है जो खाद का काम करता है और वे हानिकारक फसल कीटों को नष्ट कर के, जैव नियंत्रण में भी हमारी सहायता करते हैं। पक्षी हमारे पर्यावरण के अभिन्न अंग हैं। परंतु अवैध शिकार एवं वन क्षेत्र घटने से कुछ पक्षियों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। आज विकास की तेज आंधी का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव जैव विविधता पर पड़ रहा है, पक्षियों की अनेक प्रजातियों की संख्या में तीव्र गति से गिरावट आ रही है तथा अनेक प्रजातियाँ तो आज लुप्त होने की कगार पर हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए पक्षियों को संरक्षित करना हमारा परम कर्तव्य बनता है। इंदौर, मध्य प्रदेश के निवासी प्रोफेसर डॉ. अरुण खेर जी (Dr. Arun Kher) जोकि होलकर साइंस कॉलेज में वनस्पति विज्ञान के विभागाध्यक्ष एवं प्रसिद्ध वनस्पति वैज्

पीरियॉडिक टेबल पर आधारित विश्व की प्रथम काव्य पुस्तक लिखकर बुशरा निदा ने बनाया विश्व कीर्तिमान

पीरियॉडिक टेबल (Periodic Table) एक रसायनिक तत्वों का एक टेबल या चार्ट होता है, जिसमें इन्हें परमाणु संख्या, इलेक्ट्रॉन विन्यास और आवर्ती रासायनिक गुणों के आधार पर वर्टिकल और हॉरिजॉन्टल क्रम में रखा जाता है। इन्हें इस प्रकार से इसलिए रखा जाता है ताकि कोई भी साधारण व्यक्ति आसानी से इन तत्वों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सके। अन्य शब्दों में पीरियाडिक टेबल सभी रासायनिक तत्वों की उनके संबंधित परमाणु क्रमांक के आधार पर सारणीबद्ध व्यवस्था है। प्रत्येक रासायनिक तत्व की एक विशिष्ट परमाणु संख्या होती है, जो उसके नाभिक के भीतर मौजूद प्रोटॉन की संख्या के बारे में जानकारी प्रदान करती है। पीरियॉडिक टेबल का आविष्कार वर्ष 1869 में रूसी रसायनशास्त्री दमित्री मेंडलीफ (Dmitri Mendeleev) ने किया था। उन्होंने रासायनिक तत्वों को बढ़ते परमाणु भार के अनुसार सारणी के रूप में क्रमबद्ध किया था। रसायन विज्ञान (Chemistry) के अध्ययन में पीरियॉडिक टेबल का बहुत अधिक महत्व हैं इस विषय के विद्यार्थियों को इसे पूर्ण रूप से याद करना बहुत चुनौती पूर्ण होता हैं। भारत देश का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में रहने वाली इंटर

साईकिल गुरु, आदित्य कुमार जी का नाम गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज

बेहतर शिक्षा सभी के लिए जीवन में आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत आवश्यक है। यह हममें आत्मविश्वास विकसित करने के साथ ही हमारे व्यक्तित्व निर्माण में भी सहायता करती है। स्कूली शिक्षा सभी के जीवन में महान भूमिका निभाती है। शिक्षा हमें न केवल हमारा व्यक्तिगत विकास करती है, बल्कि समाज में भी सकारात्मक परिवर्तन लाती है। यह हमें समाज में उत्कृष्ट स्थान प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शिक्षा हमें अधिक सभ्य और बोद्धिक विकास की दिशा में आगे बढ़ने की सामर्थ्य प्रदान करती है। माता-पिता और शिक्षकों के संघर्षों से हम शिक्षित और समर्पित व्यक्तियों में बदल जाते हैं। वे हमारे वास्तविक मार्गदर्शक होते हैं, जो हमें सफलता की ओर आगे बढ़ने में मदद करते हैं। भारत देश में कई ऐसे शिक्षक हुए हैं जिन्होंने अत्यंत समर्पण और निस्वार्थ भाव से शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ऐसे ही एक शिक्षक हैं, जो बेहद अनोखे अंदाज में शिक्षा देते रहते हैं, उनका नाम है श्री आदित्य कुमार जी (Mr. Aditya Kumar), उर्फ ​​'साइकिल वाले गुरुजी'।  फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश में जन्मे, श्री आद

राम शब्द से संपूर्ण हनुमान चालीसा लिखकर चंचल राठी जी ने बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड

सनातन परंपरा में श्री हनुमान जी को शक्ति का पुंज माना जाता है। अतुलित गुणों के धाम कहलाने वाले श्री हनुमान जी के बारे में मान्यता है कि वे चिंरजीवी हैं और हर युग में मौजूद रहते हैं। श्री हनुमान जी को सभी संकटों से बचाने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है। जिनका आशीर्वाद पाने के लिए अक्सर उनके भक्त हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। हनुमान चालीसा अवधी में लिखी एक काव्यात्मक कृति है, जिसमें प्रभु श्री राम के महान भक्त हनुमान जी के गुणों एवं कार्यों का चालीस चौपाइयों में वर्णन है। यह अत्यन्त लघु रचना है जिसमें पवनपुत्र श्री हनुमान जी की सुन्दर स्तुति की गई है। इसमें बजरंगबली‍ जी की भावपूर्ण वन्दना तो है ही, प्रभु श्री राम का व्यक्तित्व भी सरल शब्दों में उकेरा गया है। ऐसी मान्यता है कि संकट में पड़ा कोई भी व्यक्ति भक्ति-भाव से उनका सुमिरन या फिर उनकी चालीसा का पाठ करता है, उसे बचाने के लिए श्री हनुमान जी दौड़े चले आते हैं।हनुमान जी इस कलयुग में जागृत देव हैं इसलिए कलयुग में उनकी उपासना सबसे ज्यादा फलदायी मानी गयी हैं। असम, गुवाहाटी की श्रीमती चंचल राठी जी (Mrs. Chanchal Rathi) ने प्रभु श्री राम

हस्ताक्षर देखकर शारीरिक समस्या बताने वाले दीपक राठौर का नाम गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज

हर व्यक्ति अपने-अपने तरीके से सिग्नेचर या हस्ताक्षर करता है। सिग्नेचर भले ही आप अपनी उंगलियों से करते हों लेकिन कहीं ना कहीं इसका संबंध आपके दिमाग से होता है। हर सिग्नेचर व्यक्ति की पहचान और उसके व्यक्तित्व के बारे में बताता है। जिस प्रकार एक नन्हा सा बीज स्वयं के अन्दर एक विशालकाय वृक्ष को छिपाए रखता हैं ठीक उसी तरह किसी व्यक्ति के हस्ताक्षर भी देखने में भले ही छोटे लगते हों किन्तु विश्लेषण करने पर पर वे व्यक्ति के व्यक्तित्व की संपूर्ण कहानी कहने में सक्षम होते हैं। केवल हस्ताक्षरों के सटीक विश्लेषण से ही, किसी व्यक्ति के चरित्र, स्वभाव, मित्रता, दांपत्य,सफलता, व्यवसाय आदि के विषय में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त हो सकती हैं। हस्ताक्षर विश्लेषण का विज्ञान भारत के ज्योतिषशास्त्र का ही एक अभिन्न हिस्सा हैं। आज के आधुनिक युग में हैंडराइटिंग एवं हस्ताक्षर का विश्लेषण करने वालों को ग्राफोलॉजिस्ट कहते हैं।  इंदौर, मध्यप्रदेश के निवासी श्री दीपक राठौर जी (Mr. Deepak Rathaur) ऐसी ही अद्भूत प्रतिभा के धनि हैं जो कि हस्ताक्षर विश्लेषण के माध्यम से व्यक्ति की शारीरिक, आर्थिक, मानसिक स्थिति का सफलता

एक्यूपंक्चर नीडल्स का कलेक्शन कर डॉ. बी एस तनेजा जी ने बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड

एक्यू चीनी भाषा का शब्द है, जिसका मतलब है पॉइंट। हमारे शरीर में कुल 365 एनर्जी पॉइंट होते हैं। इन पॉइंट्स पर बारीक सूई से पंक्चर (छेद) कर इलाज किया जाए तो एक्यूपंक्चर कहलाता है और अगर उन्हीं पॉइंट्स पर हाथ से या किसी इक्युपमेंट से दबाव डाला जाए तो एक्यूप्रेशर कहलाता हैं। एक्युपंचर थेरेपी मूल रूप से चीन में उपचार हेतु प्रयोग की जाने वाली प्राचीन विधि है। इसका प्रमाण प्रारंभिक चीनी अभिलेखों एवं चीनी ग्रंथों में मिलता है। इस तकनीक का उपयोग आमतौर पर दर्द से राहत के लिए किया जाता है। इसका उपयोग चीन और अन्य एशियाई देशों में सदियों से किया जा रहा है। एक्यूपंक्चर में शरीर के खास पॉइंट्स में बारीक सुई लगाई जाती हैं। इसका एक सेशन आमतौर पर 40-60 मिनट का होता है और एक बार में 15-20 पॉइंट्स पंक्चर किए जाते हैं। एक्युपंक्चर माइग्रेन, तनाव से होने वाले सिरदर्द, एंग्जाइटी, साइनस, अस्थमा, ब्रॉन्काइटिस, चेहरे का लकवा, टॉन्सिल्स, आंख की बीमारी ऑप्टिक नर्व ऑट्रॉफी, पुराना जुकाम, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, आर्थराइटिस, बॉडी पेन, गैस, एसिडिटी, इनफर्टिलिटी और महिलाओं की दूसरी समस्याएं आदि में बहुत असरदार माना ज

सर्वाधिक लोगो ने एक साथ जलनेति क्रिया कर रचा विश्व कीर्तिमान

भारत में प्राचीन काल से ही योग एक ऐसे ज्ञान के रूप में प्रचलित है जो व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ बनाता है। योग में कई ऐसी क्रियाओं का जिक्र मिलता है जो आप सभी को बीमारियों से दूर रखने के लिए उपयोगी मानी जाती है। योग और आयुर्वेद आपके शरीर को साफ रखने के विभिन्न तरीकों के बारे में बताते हैं। श्वसन प्रणाली को साफ रखने और नासिका के मार्ग से विषाक्त पदार्थों को दूर करने के लिए जलनेति क्रिया की जाती है। प्राचीन भारत में योगियों द्वारा श्वसन रोगों को रोकने और दूर करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता था। इस क्रिया से आप नाक व सांस से संबंधी कई बीमारियों और संक्रमण को दूर कर सकते हैं। जैसे ही कोई भी मौसम बदलता है तो शरीर के कुछ अंग तुरंत इससे प्रभावित हो जाते हैं, खासतौर पर नाक, गला और आंखें। मौसम बदलने पर अक्सर नाक बंद होने, छींक आने, आंखों में खुजली महसूस होने, गला बैठने व कंजेशन की समस्या का सामना करना पड़ता है। जलनेति क्रिया करने से इन समस्याओं से राहत मिल सकती है। हिमाचल प्रदेश के रामपुर बुशहर में नेशनल कैडेट कोर (NCC) एवं हिमालय हरिद्वार अस्पताल योग समिति गानवी के संयुक्त तत्व

नन्ही समृद्धि ने छोटे से बॉक्स में 100 योग मुद्राएँ कर रचा विश्व कीर्तिमान गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में नाम दर्ज

भारतीय सांस्कृतिक विरासत में योग को एक महत्वपूर्ण धरोहर माना जाता है। योग एक शास्त्रीय और धार्मिक अभ्यास है जो शारीरिक, मानसिक, और आत्मिक स्वास्थ्य को सुधारने का माध्यम प्रदान करता है। योग का अभ्यास भारतीय संस्कृति में हजारों वर्षों से हो रहा है और इसे वेदों, उपनिषदों, और पुराणों में विस्तृत रूप से वर्णित किया गया है। योग का सिद्धांत भारतीय संस्कृति में 'संयुक्तता' और 'एकता' की भावना को प्रोत्साहित करता है और इसे एक स्वस्थ और संतुलित समाज की दिशा में एक महत्वपूर्ण धरोहर बनाता है। आजकल की व्यस्त जीवन शैली में योग बहुत ही आवश्यक हो गया है। योग का नियमित अभ्यास करने से व्यक्ति अपने दिनचर्या में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है और उसे बेहतर और स्वस्थ जीवन जीने की दिशा में आगे बढ़ने में मदद मिल सकती है। योग भारत द्वारा विश्व को दी गई एक अद्भूत भेंट हैं जिसे पूरी दुनिया में "विश्व योग दिवस" के रूप में हर साल 21 जून को मनाया जाता है। यह दिन योग की महत्ता और इसके लाभों को प्रमोट करने के लिए समर्पित है। आजकल की व्यस्त जीवन शैली में योग बहुत ही आवश्यक हो गया है। स्त्री हो

राजस्थान के कंप्यूटर बाबा तुलछाराम जाखड़ जी का नाम गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज

गणित सबसे महत्वपूर्ण विषयों में से एक है। गणित संख्याओं, आकृतियों, डेटा, माप और तार्किक गतिविधियों का विषय है। हमारे जीवन के हर क्षेत्र, जैसे चिकित्सा, इंजीनियरिंग, प्राकृतिक विज्ञान, अर्थशास्त्र आदि में इसका बहुत बड़ा योगदान है। गणित तर्क का विषय है। गणित सीखने से छात्रों को उनकी समस्या-समाधान और तार्किक तर्क कौशल विकसित करने में मदद मिलती हैं। गणितीय समस्याओं को हल करना मस्तिष्क के सर्वोत्तम व्यायामों में से एक है। अधिकांशतः बच्चों को छोटी उम्र से ही पहाड़े (Tables) याद करवा दिए जाते हैं। पहाड़े हमारी गणित की गणनाओं को बहुत सरल बनाते हैं, और चूँकि हमारे जीवन के हर चरण में गणित की आवश्यकता होती है, इसलिए पहाड़े सीखना बहुत ही महत्त्वपूर्ण हैं। जहाँ आज कई लोगों को 20 तक के पहाड़े याद करना अत्यंत कठिन कार्य लगता है, वहीं भारत में एक ऐसे बुजुर्ग हैं जो एक से लेकर दस हजार (10,000) तक किसी भी संख्या का पहाड़ा (Table) मौखिक ही सुना देते हैं। राजस्थान के एक छोटे से गाँव लम्पोलाई, नागौर के एक किसान श्री तुलछाराम जाखड़ (Tulchharam Jakhar) जी की बड़ी से बड़ी गणना को पलक झपकते हल कर देने की कला सबको चकित

डॉ. सुषमा खंडेलवाल जी ने स्वर्णप्राशन संस्कार कर बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज

बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए हेल्दी आहार का अहम योगदान होता है। आहार में किसी तरह की कमी होने पर बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो सकती है, जिसके कारण बच्चों को कई तरह की परेशानी हो सकती है। आयुर्वेद में बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए सुवर्णप्राशन को मत्वपूर्ण माना जाता है। इसे स्वर्ण प्राशन या स्वर्ण बिंदु प्राशन भी कहा जाता है। स्वर्णप्राशन एक वैदिक प्रक्रिया है। इसमें सोने की शुद्ध राख (सुवर्ण भस्म) को जड़ी-बूटियों के अर्क से तैयार घी और शहद के साथ मिलाकर बच्चों को पिलाया जाता है। स्वर्णप्राशन में सोने के साथ शहद, ब्रह्माणी, अश्वगंधा, गिलोय, शंखपुष्पी, वचा जैसी जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। स्वर्ण प्राशन संस्कार आयुर्वेद चिकित्सा की वह धरोहर है जो बच्चों में होने वाली मौसमी बीमरियों से रक्षा करता है। बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य में स्वर्णप्राशन की बहुत अच्छी भूमिका निभाता है। आयुर्वेद एवं शास्त्रों के अनुसार पुष्य नक्षत्र के विशेष मुहूर्त पर बच्चों के स्वर्णप्राशन का सेवन करवाना उनके स्वस्थ्य के लिए बहुत लाभकारी होता हैं।  पुष्य नक्षत्र के विशेष मुहूर्त पर मध्यप्रदेश के

भिलाई में आयोजित भोले बाबा की बारात गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज

महाशिवरात्रि हिन्दुओं का एक धार्मिक त्यौहार हैं, महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता हैं। इस विशेष दिन पर भगवान शिव में श्रद्धा रखने वाले भक्त व्रत-उपवास रखते हैं और विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना करते हैं। त्रिदेवों में ब्रह्म देव सृष्टि के रचयिता है, तो श्री हरि पालनहार हैं और भगवान शिव को संहारक के रूप माना जाता हैं। महाशिवरात्रि को लेकर भगवान शिव से जुड़ी कई मान्यताए प्रचलित हैं। ऐसा माना जाता हैं कि इस विशेष दिन ही रूद्र रूप में मध्यरात्रि को भगवान शिव का अवतरण हुआ था। इसके अलावा सबसे अधिक प्रचलित मान्यता यह हैं कि इस पावन तिथि को ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव जब माता पार्वती जी के यहाँ बारात लेकर पहुंचे तो उनके साथ बाराती के रूप में गण, संपूर्ण जगत के भूत-प्रेत, दानव, दैत्य, देवता आदि सम्मिलित थे और भगवान शिव ने भस्म से अपना श्रृंगार किया था। महाशिवरात्रि के इस विशेष अवसर पर छत्तीसगढ़ के भिलाई में बोल बम सेवा एवं कल्याण समिति द्वारा भगवान शिव जी की भव्य बारात एवं शोभायात्रा निकाली गई। भगवान शिव

रेडक्रॉस सोसाइटी के शताब्दी वर्ष पर आयोजित रक्तदान शिविर गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज

रक्तदान को महादान भी कहा जाता है क्योंकि हमारे द्वारा किए गए रक्तदान से कई लोगों की जिंदगी बच सकती है।रक्तदान समाजसेवा का एक उपयुक्त माध्यम है जो सामाजिक सामूहिकता और सहानुभूति को बढ़ावा देता है। यह एक उदहारण हो सकता है कि हम एक सभ्य एवं समृद्ध समाज के हिस्सा जो अन्य लोगों की मदद करने के लिए तैयार हैं। रक्तदान करने से शरीर में नए रक्त का निर्माण होता हैं, जो की रक्तदाता के लिए भी लाभदायक सिद्ध होता है। यह हृदय स्वास्थ्य को सुधारता है, रक्तचाप को नियंत्रित करता है और अन्य स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं में लाभ प्रदान करता है। रक्तदान न केवल दाता की शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है, बल्कि उसकी आत्मा में भी एक उत्कृष्ट भावना उत्पन्न करता है। रक्तदान करना एक सरल प्रक्रिया है जो किसी भी व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है। स्थानीय ब्लड बैंक या रक्तदान कैम्प में जाकर योगदान करना सबसे सामान्य होता है।  मानव जीवन की रक्षा के उद्देश्य से स्थापित रेडक्रॉस सोसाइटी के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में देश-भर में रक्तदान शिविरों का आयोजन किया गया। रेडक्रॉस सोसाइटी मध्यप्रदेश शाखा के चेयरमैन

रायगढ़ पुलिस विभाग द्वारा यातायात के नियमों के प्रति जागरूकता हेतु आयोजित कार्यशाला गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज

समय ने साथ-साथ आवागमन एवं परिवहन की सुगमता हेतु लोग में निजी वाहनों का महत्त्व बहुत अधिक हो गया हैं। जिस कारण सड़कों पर वाहनों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही हैं। सड़कों पर होने वाले हादसों और दुर्घटनाओं से लोगों की सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा कुछ विशेष नियमों एवं कानूनों को निर्माण कर लागू किया जाता हैं जिन्हें यातायात नियम कहते हैं। यातायात के यह नियम सड़क सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण भाग हैं इन नियमों को सड़क पर चल रहें लोगों और वाहनों की सुरक्षा को विशेष ध्यान रखकर बनाया गया हैं। सड़क सुरक्षा हेतु बनाये गए इन नियमों के बावजूद भी प्रायः लोग सड़क हादसों का शिकार होकर अपने प्राण गवां देते हैं। इन दुर्घटनाओं की पीछे का विशेष कारण लोगों की लापरवाही और यातायात के नियमों का सही ढंग से पालन न करना ही पाया गया हैं। लोगो को इन दुर्घटनाओं से बचाने एवं यातायात के नियमों के प्रति जागरूक करने के लिए पुलिस एवं प्रशासन द्वारा समय-समय पर शिविरों और कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता हैं। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में यातायात के नियमों के प्रति जागरूकता फ़ैलाने के लिए एक अनूठा तरीका अपनाया गया। जिला पुलिस अधीक

निमित्त मात्र चेरिटेबल सोसाइटी के तत्वाधान में लाखों विद्यार्थियों ने स्वच्छता की शपथ ग्रहण कर रचा विश्व कीर्तिमान

स्वच्छता एक अच्छी आदत है जिसे हमें अच्छे स्वास्थ्य और स्वस्थ जीवन के लिये अपनाना चाहिये। यह न केवल हमारे व्यक्तिगत स्वास्थ्य का कारण होता है, बल्कि हमारे समाज को समृद्धि और विकास की दिशा में आगे बढ़ने में भी मदद करता है। स्वछता, हमारे समाज की सुनिश्चित समृद्धि और स्वस्थता का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसलिए, हर व्यक्ति को स्वच्छता के महत्व को समझने और इसे अपने जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। देश के प्रत्येक नागरिक को एक स्वच्छ, स्वस्थ और समृद्ध राष्ट्र निर्माण में अपना सहयोग प्रदान करते हुए स्वच्छता की शपथ ग्रहण करना चाहिये।   उत्तरप्रदेश के आगरा एवं अन्य जिलों में निमित्त मात्र चैरिटेबल सोसाइटी (Nimitt Matra Charitable Society) और स्थानीय प्रशासन के बैनर तले 14 नवम्बर (बाल दिवस) के दिन एक साथ प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर लाखों छात्र- छात्राओं द्वारा स्वच्छता की शपथ ग्रहण की गयी। शपथ में उन्होंने आस-पास गन्दगी न करने और न ही करने देने का संकल्प लिया। यह शपथ ग्रहण समारोह स्कूलों में आयोजित किया गया। सर्वाधिक लोगों द्वारा एक साथ स्वच्छता हेतु शपथ ग्रहण किये जाने पर इस समारोह क