पगड़ी भारतीय संस्कृति में गरिमा और सम्मान का प्रतीक मानी जाती हैं। यह व्यक्ति को उसकी राष्ट्रीय और सांस्कृतिक पहचान का अहसास कराती है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की पगड़ियां पहनी जाती हैं, और इनमें से प्रत्येक का अपना विशेष महत्त्व और अर्थ होता है। पगड़ी पुराने समय से ही भारतीय समाज में परंपरागत भूमिका निभाती आई है। इसे विशेष अवसरों और धार्मिक पर्वों पर विशेष रूप से उपयोग में लिया जाता है। कई बार पगड़ी का आकार, रंग और बनावट व्यक्ति कि सामाजिक और आर्थिक स्थिति को दर्शाती है। उच्च वर्ग के व्यक्ति और महाराजाओं के लिए अलग-अलग प्रकार की पगड़ियां होती हैं। कुछ स्थानों पर पगड़ी को धार्मिक आधार पर भी महत्त्वपूर्ण माना जाता है। इसे धार्मिक आस्थाओं और आदर्शों के साथ जोड़ा जाता है। कई बार पगड़ी राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों का भी हिस्सा बनती है। जोधपुर, राजस्थान के श्री राहुल भाटी (Rahul Bhati) जी ने दूसरों को पगड़ी यानी साफा बाँधकर अपनी शान ही नही बल्कि जोधपुर समेत पुरे राजस्थान की शान बढ़ाने का बेमिसाल कार्य किया है। आमतौर पर जितनी समयावधि में व्यक्ति के लिए एक साफ़े को बंधना भी ...