पर्यावरण को संतुलित रखने के लिए पेड़-पौधों के साथ-साथ पशु-पक्षियों की भी अहम भूमिका होती है। पक्षी बीजों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने का भी काम करते हैं, जिससे की पर्यावरण हरा-भरा बना रहता है। जहाँ पर पक्षियों की चहचहाट होती है वहाँ का पर्यावरण संतुलित होता है। पक्षी पर्यावरण के प्रमुख घटक होते हैं, पक्षियों के बीट में यूरिया होता है जो खाद का काम करता है और वे हानिकारक फसल कीटों को नष्ट कर के, जैव नियंत्रण में भी हमारी सहायता करते हैं। पक्षी हमारे पर्यावरण के अभिन्न अंग हैं। परंतु अवैध शिकार एवं वन क्षेत्र घटने से कुछ पक्षियों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। आज विकास की तेज आंधी का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव जैव विविधता पर पड़ रहा है, पक्षियों की अनेक प्रजातियों की संख्या में तीव्र गति से गिरावट आ रही है तथा अनेक प्रजातियाँ तो आज लुप्त होने की कगार पर हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए पक्षियों को संरक्षित करना हमारा परम कर्तव्य बनता है।
इंदौर, मध्य प्रदेश के निवासी प्रोफेसर डॉ. अरुण खेर जी (Dr. Arun Kher) जोकि होलकर साइंस कॉलेज में वनस्पति विज्ञान के विभागाध्यक्ष एवं प्रसिद्ध वनस्पति वैज्ञानिक भी हैं उन्होंने पक्षियों की अनेक प्रजातियों की संख्या में तीव्र गति से गिरावट को देखते हुए और इससे होने वाले पर्यावरण संकट के प्रति लोगों को सचेत एवं जागरूक करने के लिए अपनी कला का सहारा लेकर मुर्गी के अंडों पर विविध प्रकार के पक्षियों के चित्रों को उकेरना और साथ ही देश के कोने-कोने में अंडों पर उकेरे पक्षियों के चित्रों की प्रदर्शनी लगाना प्रारंभ किया। कला एवं प्रकृति से विशेष प्रेम चलते उन्होंने कुल 660 अण्डों पर भिन्न-भिन्न पक्षियों के चित्रों का निर्माण कर विश्व कीर्तिमान स्थापित किया। सर्वाधिक अण्डों पर पक्षियों के चित्र बनाने के लिए डॉ. अरुण खेर जी का नाम गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स (Golden Book of World Records) में "Largest Number of Birds Painted on Poultry Egg Shells" के शीर्षक के साथ वर्ल्ड रिकॉर्ड के रूप में दर्ज किया गया।
डॉ. अरुण खेर जी रुझान बचपन से ही कला के प्रति रहा है परंतु पर्यावरण एवं प्रकृति की चिंता ने उन्हें इस दिशा में गहराई के साथ कार्य करने को प्रेरित किया। विगत तीन दशकों से इस कार्य में लगे प्रकृति के अद्भुत संरक्षक डॉ खेर सैकड़ों पक्षियों के चित्र बनाकर लोगों को प्रकृति एवं पक्षियों के प्रति अपने कर्तव्य का बोध करा रहे हैं। इन सबके पीछे आपकी बस इतनी ही ख्वाहिश है कि लोग पर्यावरण तथा प्रकृति के संरक्षण हेतु जागरूक हों और प्रकृति एवं पक्षियों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझें।
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