Skip to main content

Posts

Showing posts with the label World Record

कमल शर्मा ने चक्रासन की मुद्रा में सबसे तेज़ 100 मीटर दूरी तय करके रचा विश्व कीर्तिमान, गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ नाम

"योग" शब्द का उद्गम संस्कृत भाषा से है और इसका अर्थ "जोडना, एकत्र करना" है। योगिक व्यायामों का एक पवित्र प्रभाव होता है और यह शरीर, मन, चेतना और आत्मा को संतुलित करता है। योग के प्राथमिक लाभों में से एक शारीरिक स्वास्थ्य और लचीलेपन को बढ़ावा देने की इसकी क्षमता है। योग में अभ्यास किए जाने वाले विभिन्न आसन या मुद्राएँ मांसपेशियों को धीरे-धीरे खींचती और मजबूत करती हैं, जोड़ों के लचीलेपन में सुधार करती हैं।नियमित अभ्यास के माध्यम से, अभ्यासकर्ताओं को ऊर्जा के स्तर में वृद्धि, मुद्रा में सुधार और शारीरिक बीमारियों के जोखिम में कमी का अनुभव होता है। योग के विभिन्न मुद्राओं एवं आसनों में से एक आसन हैं चक्रासन।चक्रासन एक बेहतरीन योगासन है, जिसे अंग्रेजी में व्हील पोज (Wheel Pose) भी कहा जाता है। इसे योग में उर्ध्व धनुरासन नाम भी दिया गया है। यह शरीर के एक-एक अंग को फायदा पहुंचाता है। सबसे बड़ी बात यह आपके दिल की हर मसल्स को खोल देता है। चक्रासन योग, ऐसी मुद्रा है जिसका अभ्यास काफी कठिन माना जाता है। शारीर के लचीलेपन और मांसपेशियों को अधिक मजबूती देने के प्रशिक्षित योगाभ्या

सूर्य नमस्कार एवं उससे जुड़े कुछ विश्व कीर्तिमान

योग भारत की देन है. ये अलग बात है कि भारत का ही होने के बाद भी इसे तब जाकर महत्व मिला, जब विदेशों में इसके चर्चे शुरू हुए। माननीय प्रधानमंत्री ने योग को बढ़ावा देने के लिए विश्व योग दिवस का आयोजन किया और फिर देखते ही देखते योग ने एक बार फिर भारत में अपनी जगह बना ली। योग में कई आसान किये जाते हैं। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए योग में कई आसान करवाए जाते हैं, उसी में से एक है सूर्य नमस्कार। सूर्य नमस्कार, जिसे अंग्रेजी में "Sun Salutation" कहा जाता है, योग का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और लोकप्रिय आसन श्रृंखला है। यह 12 शारीरिक मुद्राओं (आसनों) का एक क्रम है। सूर्य नमस्कार में विभिन्न आसनों का संयोजन होता है, जो शरीर के विभिन्न भागों को सक्रिय करता है। यह मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है, लचीलापन बढ़ाता है, और शरीर की समग्र शक्ति में सुधार करता है। इसका अभ्यास न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है बल्कि मानसिक और आत्मिक शांति भी प्रदान करता है। इसका नियमित अभ्यास व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है। योग की इस प्राचीन विधि का महत्व आज के जीवन में भी उतना ही प्रासंगि

रितेश जैन जी ने सर्वाधिक भारतीय रिज़र्व बैंक गवर्नरों द्वारा हस्ताक्षरित करेंसी नोट का कलेक्शन कर बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड

करेंसी कलेक्शन, जिसे न्यूमिस्माटिक्स (Numismatics) के नाम से भी जाना जाता है यह एक रोचक और ज्ञानवर्धक शौक है। न्यूमिस्माटिक्स शब्द ग्रीक शब्द 'न्यूमिस्मा' से आया है, जिसका अर्थ है 'मुद्रा'। इसमें विभिन्न देशों की मुद्राओं, सिक्कों, स्टैम्प्स और नोटों का संग्रह करना शामिल है। करेंसी कलेक्शन का इतिहास बहुत पुराना है। प्राचीन समय में, सिक्कों का संग्रहण केवल राजा-महाराजाओं और अमीर वर्ग द्वारा किया जाता था। आधुनिक समय में, यह शौक आम जनता के बीच भी लोकप्रिय हो गया है। करेंसी कलेक्शन एक शौक से कई अधिक है; यह इतिहास, संस्कृति और वित्तीय निवेश का संगम है। इसे अपनाने से आप न केवल विभिन्न देशों की मुद्राओं को इकट्ठा करेंगे बल्कि विश्वभर की सांस्कृतिक धरोहर से भी रूबरू होंगे। यह शौक न केवल ज्ञानवर्धक है बल्कि एक आनंददायक और लाभकारी भी साबित हो सकता है। दुर्लभ और ऐतिहासिक मुद्राओं का मूल्य समय के साथ बढ़ता है। यदि समझदारी से निवेश किया जाए, तो मुद्रा संग्रह से अच्छा रिटर्न मिल सकता है। करेंसी कलेक्शन एक काफी संतोषजनक शौक भी है। विभिन्न प्रकार की मुद्राओं को एकत्रित कर, उनकी देखभाल

योग गुरु श्री धीरज शर्मा जी ने सर्वाधिक भुजंगासन कर गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में अपने नाम दर्ज किया मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय जी ने दिया वर्ल्ड रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट

योग और आयुर्वेद का जन्म भारत में हुआ और यहीं से इनका प्रकाश पूरी दुनिया में फैलता चला गया। योग और आयुर्वेद, दोनों विधाओं को मनुष्य ने प्रकृति से सीखा है। प्रकृति में उगने वाली जड़ी-बूटियों से खुद को स्वस्थ बनाने के लिए मानव ने आयुर्वेद का निर्माण किया। जबकि विभिन्न पशु-पक्षियों की मुद्राओं से सीखकर मनुष्य ने योग विद्या की रचना की है। योग और आयुर्वेद, सिर्फ मनुष्य को स्वस्थ करने के लिए ही नहीं हैं। ये असल में हमें जीवन जीने का तरीका बताते हैं और हमें भीतर से स्वस्थ बनाते हैं। ऐसा ही एक आसन भुजंगासन भी है, जिसके नियमित अभ्यास से हमें ढेरों फायदे मिलते हैं। इस आसन में शरीर की आकृति फन उठाए हुए भुजंग अर्थात सर्प जैसी बनती है इसीलिए इसको भुजंगासन या सर्पासन कहा जाता है। चूंकि यह दिखने में फन फैलाए एक सांप जैसा पॉस्चर बनता है इसलिए इस आसन का नाम भुजंगासन रखा गया है। नियमित रूप से यह आसन करने से रीढ़ की हड्डी सशक्त होती है और पीठ में लचीलापन आता है। यह आसन फेफड़ों की शुद्धि के लिए भी बहुत अच्छा है और जिन लोगों का गला खराब रहने की, दमे की, पुरानी खाँसी अथवा फेंफड़ों संबंधी अन्य कोई बीमारी हो,

दैनिक भास्कर पाली के 21वें स्थापना दिवस पर 6000 किलो हलवे का निर्माण कर रचा विश्व कीर्तिमान गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में रिकॉर्ड दर्ज

राजस्थान विशेष रूप से अपने परंपरागत व्यंजनों एवं अपनी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। यहां के खाने का स्वाद, उसकी महक और विविधता कुछ अलग ही होती है। राजस्थान भारतीय राज्यों में एक विशेष स्थान रखता है जिसकी संस्कृति, ऐतिहासिक विरासत, और विविधता को व्यक्त करने में उसके व्यंजनों का महत्वपूर्ण योगदान है। राजस्थानी खाना भिन्न और अत्यधिक स्वादिष्ट होता है, जिसमें संस्कृति, रंग, और स्वाद का एक सुंदर संगम होता है। राजस्थानी भोजन में अलग-अलग चर्चित व्यंजनों के साथ-साथ, खाने के प्रति लोगों की उत्सुकता और उनकी आत्मिक संतोष की भावना भी देखने को मिलती है। राजस्थान का खाना व्यंजनों का अनूठा संगम है, जो स्थानीय सामाजिक और सांस्कृतिक परंपराओं का प्रतिनिधित्व करता है। अलग-अलग राजस्थानी शहरों में विभिन्न खाने की प्रकृतियों की विशेषता होती है, जो इसे भारतीय खाने की विविधता में एक अद्वितीय स्थान प्रदान करती है। इस राज्य के व्यंजन न केवल उसके स्थानीय निवासियों के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि पर्यटकों के बीच भी इसका बहुत महत्व है, जो राजस्थान की सांस्कृतिक और रसोई समृद्धि दर्शाता हैं। राजस्थान के मारवाड़ में बंदी

बिलासपुर में मतदाता जागरूकता अभियान के तहत ऑनलाइन मतदान का संकल्प लेकर बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड

भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। यहाँ की सरकार प्रत्येक पाँच वर्ष के अंतराल पर चुनाव के माध्यम से चुनी जाती है। देश के नागरिक इस चुनावी प्रक्रिया में सीधे तौर पर भाग लेते हैं। देश का कोई भी नागरिक जिसकी उम्र 18 वर्ष या इससे ज्यादा हो, मतदान करने के लिए अपना पंजीकरण करवा सकता हैं और मतदान के अधिकार का उपयोग कर निर्वाचन प्रक्रिया में सम्मिलित हो सकता हैं। भारतीय संविधान के अनुसार देश में नियमित, स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव आयोजित करने का अधिकार निर्वाचन आयोग को प्राप्त है। चुनाव आयोजित करने एवं चुनाव के बाद के विवादों से संबंधित सभी विषयों को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 एवं लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के अंतर्गत सम्मिलित किया गया है। भारतीय लोकतंत्र के विकास में, मतदाता शपथ का बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। यह शपथ न केवल नेताओं और सार्वजनिक प्रतिनिधित्वधारियों को लोकतंत्र के मूल्यों और नीतियों के प्रति संबोधित करती है, बल्कि इससे नागरिकों को भी साझा दायित्व का आभास होता है और उन्हें अपने लोकतंत्र में सक्रिय भागीदार बनाता है।  जिला प्रशासन के तत्वाधान में बिलासपुर स्मार्ट सि

"जय श्री राम" लिखी हुई टी-शर्ट पहन कर दौड़े हजारों धावक 15वीं एयू जयपुर मैराथन गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज

मैराथन दौड़ का इतिहास 490 ईस्वी पूर्व शुरू हुआ था। यूनान के एथेंस नगर से 26 मील दूर मैराथन के मैदान में यूनानी और पर्सियन/फारसी सैनिकों के बीच युद्ध हुआ था। इस युद्ध में यूनान के सैनिकों ने फारस के 1 लाख सैनिकों को हरा दिया था। इस जीत की खबर देने के लिए यूनान का 'फिडिपीडेस' नाम का सैनिक युद्ध क्षेत्र से लगभग 26 मील तक बिना रुके दौड़ता हुआ एथेंस पहुंचा था.वह इस जीत से इतना उत्साहित था कि उसने भागने के लिए अपने शस्त्र और कवच भी उतार दिए। युद्ध से थका होने के बाद भी वह जंगलो, कटीली झाड़ियों और पहाड़ो वाले रास्ते में बिना कहीं रुके भागता ही रहा था। जब उसने एथेंस नगर में प्रवेश किया तो उसके पैर लहुलुहान हो चुके थे. उसकी साँस उखड़ रही थी. उसने अपने देशवासियों को बोला "निक्की" अर्थात युद्ध में उसके देश की विजय हुई है, 'देशवासियों हम युद्ध जीत गये खुशियाँ मनाओ'। इस खबर को सुनाने के बाद ही उसकी मौत हो गयी थी। 'फिडिपीडेस' नामक धावक की याद में मैराथन दौड़ को ओलिंपिक खेलों में शामिल किया गया था। मैराथन रेस की दूरी 26 मील, 385 यार्ड्स अर्थात लगभग 42.195 किलोमीटर होती है।

मतदाता जागरूकता के लिए हजारों दीप जलाकर दिया मतदान का संदेश गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज

26 जनवरी 1950 को भारत में संविधान लागू हुआ, उससे पहले हमारा देश ब्रिटिश सरकार के गुलाम था और ब्रिटिश सरकार से पहले देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं थी। देश में राजाओं के द्वारा शासन चलाया जाता था और वहां पर सभी को समान अधिकार नहीं मिलता था। ऐसे में 26 जनवरी 1950 को जब देश में संविधान लागू हुआ तो देश में लोकतंत्रिक व्यवस्था लागू की गई। जिसकी वजह से देश के प्रत्येक नागरिक को अपना शासक चुनने का अधिकार और एक आम आदमी को भी उम्मीदवार के रूप में खड़े होने का अधिकार प्राप्त हुआ। लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता के द्वारा ही हर शासक को चुना जाता है। कौन सत्ता में रहेगा, कौन जीतेगा और कौन नहीं जीतेगा। इनका निर्धारण जनता और देश के नागरिक के द्वारा किया जाता है। जनता के द्वारा अपने खुद के प्रतिनिधि को मतदान करके चुना जाता है। मतदान का महत्व जनता और प्रतिनिधि दोनों के लिए बहुत अधिक होता है। मतदान का अधिकार एक मौलिक अधिकार है। यह अधिकार हमें संविधान द्वारा प्रदान किया गया है। मतदान के माध्यम से हम अपने देश के प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं। ये प्रतिनिधि हमारी सरकार बनाते हैं और हमारे देश का शासन करते

नवज्योत सिंह गुरुदत्ता ने समुद्र तल से लगभग 13,000 फीट ऊपर आकाश में सिख ध्वज "निशान साहिब" फहरा कर बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड

सिख धर्म में निशान साहिब का बहुत महत्व है. इसे सिख ध्वज भी कहा जाता है। यह एक त्रिकोणीय ध्वज होता है, जिसका रंग भगवा होता है और बीच में गहरे नीले रंग का खंडा चिन्ह होता है। निशान साहिब सिखों के सभी गुरुद्वारों और धार्मिक परिसरों पर फहराया जाता हैं। निशान साहिब के प्रति सिख धर्म के अनुयायियों द्वारा विशेष सम्मान दिखाया जाता है क्योंकि यह सिख आस्था के अंतर्निहित मूल्यों का प्रतीक है- एक ईश्वर, सभी मनुष्यों की समानता, सभी के लिए प्यार और सम्मान, सेवा और समर्पण का जीवन, आदि। इतिहास के पन्ने बताते है कि प्रारंभिक काल में धन गुरु अमर दास जी के समय निशान साहिब जी का रंग शांति और सादगी का प्रतिनिधित्व करने के लिए सफेद था। गुरु हरगोबिन्द सिंह जी के समय में निशान साहिब पीले रंग की छाया में बदले गए। सन् 1609 में पहली बार धन गुरु हरगोबिन्दजी ने अकाल-तख़्त पर केसरिया निशान साहिब फहराया था। कई लोगों का मानना है कि निशान साहिब जी का प्रथम उपयोग धन गुरु हरगोबिन्द जी ने किया था। भारतीय उद्यमी और डिजिटल मार्केटर श्री नवज्योत सिंह गुरुदत्ता जी (Navjyot Singh Gurudatta) जिन्हें भारत के शाइनिंग सिख के नाम

दुनिया के सबसे ऊंचे मां उमिया मंदिर के शिलान्यास समारोह में हजारों महिलाओं ने जवारा यात्रा निकालकर रचा विश्व कीर्तिमान

हिंदू धर्म में नवरात्रि के त्यौहार का विशेष महत्व है, पूरे वर्ष में चार बार नवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है। नवरात्रि के दौरान देवी भगवती के नौ रूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है और व्रत रखे जाते हैं। इस त्यौहार में जौ या ज्वार का बहुत महत्व है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के दिन घरों और मंदिरों में जौ बोने का महत्व है। जौ के बिना नवरात्रि की पूजा अधूरी मानी जाती है। हिंदू धर्म में जौ को देवी अन्नपूर्णा का प्रतीक माना जाता है। यह एक पौराणिक मान्यता है कि जब भगवान ब्रह्मा ने ब्रह्मांड का निर्माण किया, तो वनस्पतियों के बीच उगने वाली पहली फसल जौ या ज्वार थी। इसे पूर्ण फसल भी कहा जाता है. यही कारण है कि नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के साथ ज्वारे बोए जाते हैं और देवी-देवताओं की पूजा करते सयम या हवन पूजन के दौरान ‘जौ’ को अर्पित किया जाता है। विश्व उमिया फाउंडेशन (Vishv Umiya Foundation) द्वारा वैष्णोदेवी सर्कल में जसपुर के पास 431 फीट पर दुनिया के सबसे ऊंचे मां उमिया मंदिर का शिलान्यास समारोह का आयोजन किया गया। समारोह के दौरान महिलाओं द्वारा जवारा यात्रा निकली। गयी इस यात्रा म