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पोषण निवेश कार्यक्रम दौरान नवविवाहित, गर्भवती और शिशुवती महिलाओं ने फलदार पौधों का रोपण बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड

वनों की कटाई पृथ्वी के जलवायु परिवर्तन के मुख्य कारणों में से एक है। कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि वनों की कटाई लगभग 18-25% जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार है। यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र और अन्य प्रमुख संगठन जैसे कुछ बड़े संगठन दुनिया भर में वृक्षारोपण को प्रोत्साहित कर रहे हैं। सरल शब्दों में, वृक्षारोपण का अर्थ है किसी क्षेत्र में अधिक पेड़ उगाने के लिए जमीन में पौधे लगाना। जिन देशों में वनों की कटाई बहुत बढ़ गई है, वहां वृक्षारोपण की बहुत आवश्यकता है। वनों की कटाई के कारण हवा में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है, और सूर्य की यूवी किरणों को के कारण वातावरण को गर्म हो रहा है। वृक्षारोपण के माध्यम से वनों की कटाई के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं को सीमित किया जा सकता है। क्योंकि अधिक से अधिक पेड़ लगाना ही इस समस्या को दूर करने का एकमात्र तरीका हैं क्योंकि वे हवा से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं, जिससे हवा साफ होती है। वृक्ष संपूर्ण जगत के जीवों के मूलभूत आवश्यकताओं में सर्वप्रथम आवश्यकता है। वृक्षों एवं वनस्पतियों के माध्यम से ही इस धरती पर स्थित मा

कमल शर्मा ने चक्रासन की मुद्रा में सबसे तेज़ 100 मीटर दूरी तय करके रचा विश्व कीर्तिमान, गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ नाम

"योग" शब्द का उद्गम संस्कृत भाषा से है और इसका अर्थ "जोडना, एकत्र करना" है। योगिक व्यायामों का एक पवित्र प्रभाव होता है और यह शरीर, मन, चेतना और आत्मा को संतुलित करता है। योग के प्राथमिक लाभों में से एक शारीरिक स्वास्थ्य और लचीलेपन को बढ़ावा देने की इसकी क्षमता है। योग में अभ्यास किए जाने वाले विभिन्न आसन या मुद्राएँ मांसपेशियों को धीरे-धीरे खींचती और मजबूत करती हैं, जोड़ों के लचीलेपन में सुधार करती हैं।नियमित अभ्यास के माध्यम से, अभ्यासकर्ताओं को ऊर्जा के स्तर में वृद्धि, मुद्रा में सुधार और शारीरिक बीमारियों के जोखिम में कमी का अनुभव होता है। योग के विभिन्न मुद्राओं एवं आसनों में से एक आसन हैं चक्रासन।चक्रासन एक बेहतरीन योगासन है, जिसे अंग्रेजी में व्हील पोज (Wheel Pose) भी कहा जाता है। इसे योग में उर्ध्व धनुरासन नाम भी दिया गया है। यह शरीर के एक-एक अंग को फायदा पहुंचाता है। सबसे बड़ी बात यह आपके दिल की हर मसल्स को खोल देता है। चक्रासन योग, ऐसी मुद्रा है जिसका अभ्यास काफी कठिन माना जाता है। शारीर के लचीलेपन और मांसपेशियों को अधिक मजबूती देने के प्रशिक्षित योगाभ्या

जोधपुर बिग एफएम की 'बिग मिर्चीवड़ा पार्टी' ने रचा इतिहास बनाया विश्व कीर्तिमान

भारत को विविधताओं का देश कहा जाता है, यहां हर राज्य की अपनी एक अलग पहचान है, लोगों के रहन-सहन से लेकर खान पान भी हर राज्‍य का दूसरे राज्‍य से अलग है। सभी राज्यों के खाने का अपना अलग स्वाद है, जिसे दूसरे राज्यों के लोग भी खूब पसंद करते हैं और बड़े चाव से खाते हैं। राजस्थान की संस्कृति समृद्ध और विविधतापूर्ण है, राज्य के लोगों में इतिहास और परंपरा की गहरी समझ है। राजाओं की भूमि एक जीवंत और रंगीन राज्य है जहाँ परंपरा और संस्कृति साथ-साथ चलती है। राजस्थान अपने तीखे व्यंजनों के लिए जाना जाता है, जो उन लोगों के लिए एक स्वादिष्ट व्यंजन है जो अपने खाने में मसाले का आनंद लेते हैं। राजस्थान का जोधपुर अपनी यहां के पत्थरों और मिठाइयों के अलावा भी कई दूसरी चीजों के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन सबसे ज्यादा अगर कोई प्रसिद्ध है तो वह है जोधपुर का मिर्ची बड़ा। जोधपुर आए और मिर्ची बड़ा ना खाएं ऐसा संभव नहीं है, कोई भी लोग जोधपुर आते है तो पहले जोधपुर का मिर्ची बड़ा खाते है, उसके बाद ही काम दूसरा करते है। राजस्थान के जोधपुर में स्थित उम्मेद उद्यान में 92.7 बिग एफएम (92.7 Big FM) एवं ओसवाल ग्रुप (Oswal Group) क

गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज हुआ इस्कॉन प्रचार केंद्र द्वारा आयोजित सात दिवसीय श्रीकृष्ण कथा अमृतमहोत्सव

भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृतियों में से एक मानी जाती है। इसी संस्कृति के माध्यम से संसार को आध्यात्मिकता का प्रकाश प्राप्त हुआ। हमारे जीवन का संचालन आध्यात्मिक आधारभूत तत्वों पर टिका हुआ है भारत में खान-पान, सोना बैठना, जन्म-मरण, यात्रा, विवाह, तीज-त्यौहार आदि उत्सवों का निर्माण भी आध्यात्मिक बुनियादों पर है। जीवन का ऐसा कोई भी पहलू नहीं है, जिसमें आध्यात्म का समावेश न हो, या जिस पर पर्याप्त चिन्तन या मनन न हुआ हो। अध्यात्म ही भारतीय संस्कृति का आधार है। जिसका अर्थ है अधि+आतम अधि मतलब अध्यन व आत्म मतलब आत्मा को जानना। ईश्वर का दर्शन करके ही हम अपनी अंतर आत्मा में सांस्कृतिक चेतना को जगा सकते हैं।आध्यात्मिक जीवन सबसे अच्छा जीवन माना गया है। जब हम एक समय के बाद दुनियादारी में काफी उलझ जाते हैं और फिर हम कई साधु-संतों या महापुरुषों से मिलते हैं, तो हमें ज्ञात होता है कि यह उलझन ही हमारी समस्या का जड़ है। ऐसे वक़्त पर धार्मिक कथाएं हमे आध्यात्मिकता की ओर रुख कराती हैं। धार्मिक और आध्यात्मिक कहानियाँ हमें आत्मा से परमात्मा की ओर प्रवाहित करने का काम करती है। हमारे जीवन में आध

रितेश जैन जी ने सर्वाधिक भारतीय रिज़र्व बैंक गवर्नरों द्वारा हस्ताक्षरित करेंसी नोट का कलेक्शन कर बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड

करेंसी कलेक्शन, जिसे न्यूमिस्माटिक्स (Numismatics) के नाम से भी जाना जाता है यह एक रोचक और ज्ञानवर्धक शौक है। न्यूमिस्माटिक्स शब्द ग्रीक शब्द 'न्यूमिस्मा' से आया है, जिसका अर्थ है 'मुद्रा'। इसमें विभिन्न देशों की मुद्राओं, सिक्कों, स्टैम्प्स और नोटों का संग्रह करना शामिल है। करेंसी कलेक्शन का इतिहास बहुत पुराना है। प्राचीन समय में, सिक्कों का संग्रहण केवल राजा-महाराजाओं और अमीर वर्ग द्वारा किया जाता था। आधुनिक समय में, यह शौक आम जनता के बीच भी लोकप्रिय हो गया है। करेंसी कलेक्शन एक शौक से कई अधिक है; यह इतिहास, संस्कृति और वित्तीय निवेश का संगम है। इसे अपनाने से आप न केवल विभिन्न देशों की मुद्राओं को इकट्ठा करेंगे बल्कि विश्वभर की सांस्कृतिक धरोहर से भी रूबरू होंगे। यह शौक न केवल ज्ञानवर्धक है बल्कि एक आनंददायक और लाभकारी भी साबित हो सकता है। दुर्लभ और ऐतिहासिक मुद्राओं का मूल्य समय के साथ बढ़ता है। यदि समझदारी से निवेश किया जाए, तो मुद्रा संग्रह से अच्छा रिटर्न मिल सकता है। करेंसी कलेक्शन एक काफी संतोषजनक शौक भी है। विभिन्न प्रकार की मुद्राओं को एकत्रित कर, उनकी देखभाल

योग गुरु श्री धीरज शर्मा जी ने सर्वाधिक भुजंगासन कर गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में अपने नाम दर्ज किया मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय जी ने दिया वर्ल्ड रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट

योग और आयुर्वेद का जन्म भारत में हुआ और यहीं से इनका प्रकाश पूरी दुनिया में फैलता चला गया। योग और आयुर्वेद, दोनों विधाओं को मनुष्य ने प्रकृति से सीखा है। प्रकृति में उगने वाली जड़ी-बूटियों से खुद को स्वस्थ बनाने के लिए मानव ने आयुर्वेद का निर्माण किया। जबकि विभिन्न पशु-पक्षियों की मुद्राओं से सीखकर मनुष्य ने योग विद्या की रचना की है। योग और आयुर्वेद, सिर्फ मनुष्य को स्वस्थ करने के लिए ही नहीं हैं। ये असल में हमें जीवन जीने का तरीका बताते हैं और हमें भीतर से स्वस्थ बनाते हैं। ऐसा ही एक आसन भुजंगासन भी है, जिसके नियमित अभ्यास से हमें ढेरों फायदे मिलते हैं। इस आसन में शरीर की आकृति फन उठाए हुए भुजंग अर्थात सर्प जैसी बनती है इसीलिए इसको भुजंगासन या सर्पासन कहा जाता है। चूंकि यह दिखने में फन फैलाए एक सांप जैसा पॉस्चर बनता है इसलिए इस आसन का नाम भुजंगासन रखा गया है। नियमित रूप से यह आसन करने से रीढ़ की हड्डी सशक्त होती है और पीठ में लचीलापन आता है। यह आसन फेफड़ों की शुद्धि के लिए भी बहुत अच्छा है और जिन लोगों का गला खराब रहने की, दमे की, पुरानी खाँसी अथवा फेंफड़ों संबंधी अन्य कोई बीमारी हो,

"जय श्री राम" लिखी हुई टी-शर्ट पहन कर दौड़े हजारों धावक 15वीं एयू जयपुर मैराथन गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज

मैराथन दौड़ का इतिहास 490 ईस्वी पूर्व शुरू हुआ था। यूनान के एथेंस नगर से 26 मील दूर मैराथन के मैदान में यूनानी और पर्सियन/फारसी सैनिकों के बीच युद्ध हुआ था। इस युद्ध में यूनान के सैनिकों ने फारस के 1 लाख सैनिकों को हरा दिया था। इस जीत की खबर देने के लिए यूनान का 'फिडिपीडेस' नाम का सैनिक युद्ध क्षेत्र से लगभग 26 मील तक बिना रुके दौड़ता हुआ एथेंस पहुंचा था.वह इस जीत से इतना उत्साहित था कि उसने भागने के लिए अपने शस्त्र और कवच भी उतार दिए। युद्ध से थका होने के बाद भी वह जंगलो, कटीली झाड़ियों और पहाड़ो वाले रास्ते में बिना कहीं रुके भागता ही रहा था। जब उसने एथेंस नगर में प्रवेश किया तो उसके पैर लहुलुहान हो चुके थे. उसकी साँस उखड़ रही थी. उसने अपने देशवासियों को बोला "निक्की" अर्थात युद्ध में उसके देश की विजय हुई है, 'देशवासियों हम युद्ध जीत गये खुशियाँ मनाओ'। इस खबर को सुनाने के बाद ही उसकी मौत हो गयी थी। 'फिडिपीडेस' नामक धावक की याद में मैराथन दौड़ को ओलिंपिक खेलों में शामिल किया गया था। मैराथन रेस की दूरी 26 मील, 385 यार्ड्स अर्थात लगभग 42.195 किलोमीटर होती है।

मतदाता जागरूकता के लिए हजारों दीप जलाकर दिया मतदान का संदेश गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज

26 जनवरी 1950 को भारत में संविधान लागू हुआ, उससे पहले हमारा देश ब्रिटिश सरकार के गुलाम था और ब्रिटिश सरकार से पहले देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं थी। देश में राजाओं के द्वारा शासन चलाया जाता था और वहां पर सभी को समान अधिकार नहीं मिलता था। ऐसे में 26 जनवरी 1950 को जब देश में संविधान लागू हुआ तो देश में लोकतंत्रिक व्यवस्था लागू की गई। जिसकी वजह से देश के प्रत्येक नागरिक को अपना शासक चुनने का अधिकार और एक आम आदमी को भी उम्मीदवार के रूप में खड़े होने का अधिकार प्राप्त हुआ। लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता के द्वारा ही हर शासक को चुना जाता है। कौन सत्ता में रहेगा, कौन जीतेगा और कौन नहीं जीतेगा। इनका निर्धारण जनता और देश के नागरिक के द्वारा किया जाता है। जनता के द्वारा अपने खुद के प्रतिनिधि को मतदान करके चुना जाता है। मतदान का महत्व जनता और प्रतिनिधि दोनों के लिए बहुत अधिक होता है। मतदान का अधिकार एक मौलिक अधिकार है। यह अधिकार हमें संविधान द्वारा प्रदान किया गया है। मतदान के माध्यम से हम अपने देश के प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं। ये प्रतिनिधि हमारी सरकार बनाते हैं और हमारे देश का शासन करते

बेमेतरा जिले की हज़ारों महिलाओं ने मतदान की शपथ ग्रहण कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया

भारत में महिलाओं की स्थिति हमेशा एक समान नहीं रही है। इसमें समय-समय पर हमेशा बदलाव होता रहा है। यदि हम महिलाओं की स्थिति का आंकलन करें तो पता चलेगा कि वैदिक युग से लेकर वर्तमान समय तक महिलाओं की सामाजिक स्थिती में अनेक तरह के उतार-चढ़ाव आते रहे हैं, और उसके अनुसार ही उनके अधिकारों में बदलाव भी होता रहा है। इन बदलावों का ही परिणाम है कि महिलाओं का योगदान भारतीय राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक व्यवस्थाओं में दिनों-दिन बढ़ रहा है। लोकतंत्र में मतदान की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है। इसमें महिलाओं का मतदान के प्रति जागरूक होना अति आवश्यक हैं। यदि महिलाएं जागरूक हो तो वह अपने पूरे परिवार को मतदान के लिए प्रेरित कर बूथ तक पहुंचाने का क्षमता रखती है। छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में महिला मतदाता जागरूकता के लिए एक विशेष आयोजन जिले के प्रत्येक नगरीय निकाय और प्रत्येक ग्राम पंचायत के प्रत्येक वार्ड में आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम जिला कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री रणबीर शर्मा जी (Mr. Ranbir Sharma, IAS) एवं सी.ई.ओ. जिला पंचायत श्री टेकचन्द अग्रवाल जी (Mr. Techand Agrawal, CEO

नवज्योत सिंह गुरुदत्ता ने समुद्र तल से लगभग 13,000 फीट ऊपर आकाश में सिख ध्वज "निशान साहिब" फहरा कर बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड

सिख धर्म में निशान साहिब का बहुत महत्व है. इसे सिख ध्वज भी कहा जाता है। यह एक त्रिकोणीय ध्वज होता है, जिसका रंग भगवा होता है और बीच में गहरे नीले रंग का खंडा चिन्ह होता है। निशान साहिब सिखों के सभी गुरुद्वारों और धार्मिक परिसरों पर फहराया जाता हैं। निशान साहिब के प्रति सिख धर्म के अनुयायियों द्वारा विशेष सम्मान दिखाया जाता है क्योंकि यह सिख आस्था के अंतर्निहित मूल्यों का प्रतीक है- एक ईश्वर, सभी मनुष्यों की समानता, सभी के लिए प्यार और सम्मान, सेवा और समर्पण का जीवन, आदि। इतिहास के पन्ने बताते है कि प्रारंभिक काल में धन गुरु अमर दास जी के समय निशान साहिब जी का रंग शांति और सादगी का प्रतिनिधित्व करने के लिए सफेद था। गुरु हरगोबिन्द सिंह जी के समय में निशान साहिब पीले रंग की छाया में बदले गए। सन् 1609 में पहली बार धन गुरु हरगोबिन्दजी ने अकाल-तख़्त पर केसरिया निशान साहिब फहराया था। कई लोगों का मानना है कि निशान साहिब जी का प्रथम उपयोग धन गुरु हरगोबिन्द जी ने किया था। भारतीय उद्यमी और डिजिटल मार्केटर श्री नवज्योत सिंह गुरुदत्ता जी (Navjyot Singh Gurudatta) जिन्हें भारत के शाइनिंग सिख के नाम