गणित सबसे महत्वपूर्ण विषयों में से एक है। गणित संख्याओं, आकृतियों, डेटा, माप और तार्किक गतिविधियों का विषय है। हमारे जीवन के हर क्षेत्र, जैसे चिकित्सा, इंजीनियरिंग, प्राकृतिक विज्ञान, अर्थशास्त्र आदि में इसका बहुत बड़ा योगदान है। गणित तर्क का विषय है। गणित सीखने से छात्रों को उनकी समस्या-समाधान और तार्किक तर्क कौशल विकसित करने में मदद मिलती हैं। गणितीय समस्याओं को हल करना मस्तिष्क के सर्वोत्तम व्यायामों में से एक है। अधिकांशतः बच्चों को छोटी उम्र से ही पहाड़े (Tables) याद करवा दिए जाते हैं। पहाड़े हमारी गणित की गणनाओं को बहुत सरल बनाते हैं, और चूँकि हमारे जीवन के हर चरण में गणित की आवश्यकता होती है, इसलिए पहाड़े सीखना बहुत ही महत्त्वपूर्ण हैं। जहाँ आज कई लोगों को 20 तक के पहाड़े याद करना अत्यंत कठिन कार्य लगता है, वहीं भारत में एक ऐसे बुजुर्ग हैं जो एक से लेकर दस हजार (10,000) तक किसी भी संख्या का पहाड़ा (Table) मौखिक ही सुना देते हैं।
राजस्थान के एक छोटे से गाँव लम्पोलाई, नागौर के एक किसान श्री तुलछाराम जाखड़ (Tulchharam Jakhar) जी की बड़ी से बड़ी गणना को पलक झपकते हल कर देने की कला सबको चकित कर देती हैं। राजस्थान के 78 वर्षीय श्री तुलछाराम जाखड़ जी दशमलव सहित हजारों तक की संख्या का वर्गमूल और पहाड़े की मौखिक रूप से ही गणना कर तुरंत ही जवाब दे देते हैं। अपनी इस अद्भूत कला के चलते उन्होंने कई विश्व रिकॉर्ड अपने नाम किये हैं। सर्वाधिक संख्याओं के वर्गमूल की मानसिक गणना हेतु वर्ल्ड रिकार्ड के रूप में "Most Number’s Mental Calculation of Square Root" के शीर्षक के साथ तथा फ्रिक्शन नंबर्स जैसे 1/2 ,1/4, 3/4 तक के पहाड़ों की मानसिक गणना के लिए "Mental Calculation of Most Table in Fraction" के शीर्षक के साथ तुलछाराम जाखड़ जी का नाम गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स (Golden book of World Records) में दर्ज किया गया। सिर्फ इतना ही नहीं लाखों तक की संख्याओ को जोड़ना, घटाना व गुणा-भाग करना ये सबकुछ भी वो मौखिक रूप से हल कर देते हैं।
राजस्थान के 78 वर्षीय श्री तुलछाराम जाखड़ जी की ये अविश्वसनीय कला सबको उस वक्त और भी आश्चर्यचकित कर देती हैं, जब ये पता चलता है की तुलछाराम जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भी पूरी नहीं की हैं, वे सिर्फ कक्षा चौथी तक ही स्कूल गए हैं। तुलछाराम जी साधारण और फ्रिक्शन नंबर्स के अलावा दशमलव में भी संख्याओं के पहाड़े मौखिक रूप से सुना देते हैं उदहारण के तौर पर यदि उनसे कहा जाये 1354.25, 2578.35 या 9375.75 का पहाड़ा सुनाये और वो पलक झपकते ही बोलना शुरू कर देते हैं। तुलछाराम जी से जब पूछा गया की उनको इतने पहाड़े याद कैसे हैं तो उन्होंने बताया कि उन्हें कुछ याद नहीं हैं वह तुरंत ही कैलकुलेशन करके आगे बोलना शुरू कर देते हैं। आपकी इस कला से प्रभावित होकर आपको कई सम्मान दिए गए हैं।
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