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Showing posts from May, 2024

नृत्यारंगम डांस अकादमी की छात्राओं ने कत्थक नृत्य के दौरान 2000 चक्कर और विभिन्न मुद्राएँ बना कर रचा विश्व कीर्तिमान

कत्थक शब्द वैदिक संस्कृत शब्द 'कथा' से लिया गया है जिसका अर्थ है "कहानी", और कथाकार जिसका अर्थ है "कहानी कहने वाला"। कत्थक नृत्य में एक पारंपरिक और सांस्कृतिक विरासत है जो इसे भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैली का दर्जा देती है। कत्थक भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति की अभिव्यक्ति के रूप में विकसित हुआ। अध्ययनों से पता चलता है कि कत्थक की उत्पत्ति वाराणसी में हुई और यह नृत्य शैली लखनऊ, जयपुर और उत्तर-पश्चिम भारत के अन्य हिस्सों में फैल गई। पंद्रहवीं और सोलहवीं शताब्दी में भक्ति आंदोलन के प्रसार के साथ कत्थक नृत्य एक विशिष्ट विधा के रूप में विकसित हुआ। भारत के अधिकांश कला रूपों की तरह, कत्थक भी गुरु-शिष्य परंपरा या शिक्षक-शिष्य परंपरा पर आधारित है। उत्तर प्रदेश के आगरा में पंचकुईया स्थित माथुर वैश्य सभागृह में नृत्यारंगम डांस अकादमी (Nrityaarangam Dance Academy) की छात्राओं ने कत्थक नृत्य की अद्भूत प्रस्तुति देकर दर्शकों को हैरत में डाल दिया। प्रशिक्षक व आयोजक श्रीमती पूजा गुप्ता जी (Mrs. Pooja Gupta) एवं श्रीमती पल गुप्ता जी (Mrs. Pal Gupta) मार्गदर्शन एवं निर्देशन में न

सूर्य नमस्कार एवं उससे जुड़े कुछ विश्व कीर्तिमान

योग भारत की देन है. ये अलग बात है कि भारत का ही होने के बाद भी इसे तब जाकर महत्व मिला, जब विदेशों में इसके चर्चे शुरू हुए। माननीय प्रधानमंत्री ने योग को बढ़ावा देने के लिए विश्व योग दिवस का आयोजन किया और फिर देखते ही देखते योग ने एक बार फिर भारत में अपनी जगह बना ली। योग में कई आसान किये जाते हैं। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए योग में कई आसान करवाए जाते हैं, उसी में से एक है सूर्य नमस्कार। सूर्य नमस्कार, जिसे अंग्रेजी में "Sun Salutation" कहा जाता है, योग का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और लोकप्रिय आसन श्रृंखला है। यह 12 शारीरिक मुद्राओं (आसनों) का एक क्रम है। सूर्य नमस्कार में विभिन्न आसनों का संयोजन होता है, जो शरीर के विभिन्न भागों को सक्रिय करता है। यह मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है, लचीलापन बढ़ाता है, और शरीर की समग्र शक्ति में सुधार करता है। इसका अभ्यास न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है बल्कि मानसिक और आत्मिक शांति भी प्रदान करता है। इसका नियमित अभ्यास व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है। योग की इस प्राचीन विधि का महत्व आज के जीवन में भी उतना ही प्रासंगि

भुजंगासन योग और उससे जुड़े कुछ रोचक वर्ल्ड रिकार्ड्स

शरीर के फिटनेस को बनाए रखने के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को नियमित रूप से योग करने की सलाह देते हैं। शरीर की सक्रियता को बनाए रखने के साथ लचीलेपन को बढ़ावा देने के लिए योग का नियमित अभ्यास करना काफी लाभदायक माना जाता है। कई तरह के रोगों के खतरे को कम करने में भी योग के अभ्यास को फायदेमंद माना जाता है। योग विशेषज्ञों के मुताबिक भुजंगासन जैसे योग का नियमित रूप से अभ्यास करना आपकी सेहत के लिए काफी लाभदायक हो सकता है। भुजंगासन, जिसे अंग्रेजी में "Cobra Pose" कहा जाता है, योग का एक प्रमुख आसन है। भुजंगासन, सूर्य नमस्कार के 12 आसनों में से 8वां आसन है। इस आसन में शरीर की आकृति फन उठाए हुए भुजंग अर्थात सर्प जैसी बनती है इसीलिए इसको भुजंगासन या सर्पासन कहा जाता है। यह आसन शरीर के लचीलेपन और शक्ति को बढ़ाने के साथ-साथ मानसिक शांति और आत्मिक संतुलन प्राप्त करने में मदद करता है।भुजंगासन एक अत्यंत प्रभावी योग आसन है जो शारीरिक, मानसिक, और आत्मिक स्वास्थ्य को सुधारता है। भुजंगासन का अभ्यास खाली पेट ही करना चाहिए। भोजन, आसन करने के वक्त से कम से कम 4-6 घंटे पहले किया जाना चाहिए। इसस

शीर्षासन और उससे जुड़े कुछ रोचक वर्ल्ड रिकार्ड्स

  आज की तात्कालिक दुनिया में, हम सभी को कुछ ऐसा चाहिए जो हमारे मन को शांति और सुकून दे। इसके अलावा हमें शरीर की अच्छी ताकत और रोग प्रतिरोधक क्षमता की भी जरूरत है। योग एक प्राचीन अभ्यास है जिसे आधुनिक दुनिया में भी समग्र स्वास्थ्य प्राप्त करने के लिए अपनाया जाता है। यह शारीरिक, मानसिक और मनोवैज्ञानिक संतुलन बनाए रखने में अत्यधिक लाभकारी रहा है। कई योग मुद्राएँ या आसन दिन-प्रतिदिन के व्यवहार को सकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं, तनाव को कम करते हैं और शारीरिक एवं मानसिक स्थिति में सुधार करते हैं। शीर्षासन एक ऐसा अद्भूत योगाभ्यास हैं। शीर्षासन, जिसे "हेंडस्टैंड" या "हेडस्टैंड" भी कहा जाता है, योग का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रभावी आसन है। इसे योग का "राजा" भी कहा जाता है क्योंकि यह न केवल शारीरिक शक्ति और संतुलन को बढ़ावा देता है बल्कि मानसिक शांति और आत्मिक जागरूकता को भी बढ़ाता है। इसका आसन का प्रभाव पूरे शरीर में महसूस किया जा सकता है। शीर्षासन योग सिर, गर्दन, कंधों, शिराओं, रक्त वाहिकाओं में रक्त के संचार को बढ़ावा देता है, इसके अलावा शरीर के संतुलन को ब

ताड़ासन योग और उससे जुड़े कुछ रोचक वर्ल्ड रिकार्ड्स

शरीर के सभी अंगों की सेहत और आंतरिक व बाहरी तौर पर शारीरिक स्वास्थ्य के लिए पौष्टिक खानपान, अच्छी जीवन शैली को अपनाना चाहिए। इसके साथ ही योगासनों का अभ्यास भी मानसिक और शारीरिक सेहत को बेहतर बनाता है। अलग-अलग तरह की योग क्रियाएं हैं जो शरीर के अलग अलग अंगों की सेहत के लिए लाभकारी है। इन्हीं योगासनों में से एक ताड़ासन है। ताड़ासन, जिसे "माउंटेन पोज़" भी कहा जाता है, योग का एक बुनियादी लेकिन महत्वपूर्ण आसन है। यह आसन न केवल शारीरिक संतुलन और मजबूती को बढ़ावा देता है, बल्कि मानसिक शांति और आत्मिक जागरूकता को भी सुधारता है। ताड़ासन का नाम संस्कृत शब्द 'ताड़' से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'पर्वत'। इस आसन का अभ्यास शरीर को स्थिर और संतुलित करने में मदद करता है, जैसे कि एक पर्वत स्थिर और मजबूत होता है। ताड़ासन योग बेशक दिखने में काफी आसान लगता हो, लेकिन यह काफी प्रभावी होता है। इस मुद्रा में विविधता लाकर इसके लक्ष्य और प्रभाव को बढ़ाया जा सकता है। तेजी से हाइट बढ़ाने, शरीर का पोस्चर सही रखने, थकान को दूर करके एनर्जी बढ़ाने, मांसपेशियों को आराम देने, रक्त प्रवाह में स

पुशअप्स (दंड) और उससे जुड़े कुछ रोचक वर्ल्ड रिकार्ड्स

शरीर को ताकतवर बनाने के लिए बॉडीवेट एक्सरसाइज और आसन बहुत फायदेमंद है। इन्हें करने के लिए आपको किसी खास टूल की जरूरत नहीं होती है। इन आसान एक्सरसाइज में आपके शरीर के वजन का ही इस्तेमाल किया जाता है। पुशअप आसन, जिसे हिंदी में "दंड " भी कहा जाता है, एक अत्यधिक प्रभावी और सरल व्यायाम है जो शारीरिक शक्ति, सहनशक्ति और संतुलन को बढ़ाता है। यह आसन न केवल आपके ऊपरी शरीर की मांसपेशियों को मजबूत करता है बल्कि पूरे शरीर की फिटनेस को सुधारने में मदद करता है। पुशअप एक ऐसा व्यायाम है जिसे किसी भी स्थान पर, किसी भी समय किया जा सकता है और इसके लिए किसी विशेष उपकरण की आवश्यकता नहीं होती है। पुशअप आसन एक अत्यंत प्रभावी और बहुमुखी व्यायाम है जो शारीरिक शक्ति, सहनशक्ति और संतुलन को बढ़ावा देता है। इसका नियमित अभ्यास व्यक्ति को शारीरिक रूप से मजबूत और फिट बनाता है। यह एक ऐसा व्यायाम है जिसे किसी भी उम्र के व्यक्ति कर सकते हैं और इसे अपने दैनिक व्यायाम रूटीन में शामिल करना चाहिए। सही फॉर्म और तकनीक के साथ किया गया पुशअप आपके शारीरिक स्वास्थ्य को कई गुणा बढ़ा सकता है और आपको एक स्वस्थ और सक्रिय जीव

रितेश जैन जी ने सर्वाधिक भारतीय रिज़र्व बैंक गवर्नरों द्वारा हस्ताक्षरित करेंसी नोट का कलेक्शन कर बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड

करेंसी कलेक्शन, जिसे न्यूमिस्माटिक्स (Numismatics) के नाम से भी जाना जाता है यह एक रोचक और ज्ञानवर्धक शौक है। न्यूमिस्माटिक्स शब्द ग्रीक शब्द 'न्यूमिस्मा' से आया है, जिसका अर्थ है 'मुद्रा'। इसमें विभिन्न देशों की मुद्राओं, सिक्कों, स्टैम्प्स और नोटों का संग्रह करना शामिल है। करेंसी कलेक्शन का इतिहास बहुत पुराना है। प्राचीन समय में, सिक्कों का संग्रहण केवल राजा-महाराजाओं और अमीर वर्ग द्वारा किया जाता था। आधुनिक समय में, यह शौक आम जनता के बीच भी लोकप्रिय हो गया है। करेंसी कलेक्शन एक शौक से कई अधिक है; यह इतिहास, संस्कृति और वित्तीय निवेश का संगम है। इसे अपनाने से आप न केवल विभिन्न देशों की मुद्राओं को इकट्ठा करेंगे बल्कि विश्वभर की सांस्कृतिक धरोहर से भी रूबरू होंगे। यह शौक न केवल ज्ञानवर्धक है बल्कि एक आनंददायक और लाभकारी भी साबित हो सकता है। दुर्लभ और ऐतिहासिक मुद्राओं का मूल्य समय के साथ बढ़ता है। यदि समझदारी से निवेश किया जाए, तो मुद्रा संग्रह से अच्छा रिटर्न मिल सकता है। करेंसी कलेक्शन एक काफी संतोषजनक शौक भी है। विभिन्न प्रकार की मुद्राओं को एकत्रित कर, उनकी देखभाल

कपालभाती प्राणायाम और उससे जुड़े कुछ रोचक वर्ल्ड रिकार्ड्स

योग आपके मन और शरीर को स्वस्थ रखने का बेहतरीन विकल्प है। इसे करने से पुराने से पुराना रोग भी चुटकियों में सही हो जाता है। योग के आठ अंगों में से चौथा अंग हैं प्राणायाम। प्राणायाम योग की ही एक क्रिया हैं। प्राणायाम कई प्रकार के होते उनमे से एक हैं कपालभाती प्राणायाम (Kapalbhati Pranayam)।  "कपाल" का अर्थ है "मस्तिष्क" और "भाति" का अर्थ है "प्रकाश"। कपालभाती प्राणायाम, एक महत्वपूर्ण योगिक श्वास तकनीक है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए प्रचलित है। यह प्राणायाम योग के प्राचीन ग्रंथों में उल्लिखित है और इस प्राणायाम का नियमित अभ्यास मस्तिष्क को स्पष्टता और ऊर्जा से भर देता है, जिससे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।  आसनों में सूर्य नमस्कार, प्राणायामों में कपालभाती एवं ध्यान में विपश्यना का विशेष स्थान हैं। जब आप कपालभाति प्राणायाम करते हैं तो आपके शरीर से 80% विषैले तत्त्व बाहर जाती साँस के साथ निकल जाते हैं। कपालभाति प्राणायाम के निरंतर अभ्यास से शरीर के सभी अंग विषैले तत्व से मुक्त हो जाते हैं। कपालभाती प्राणायाम

हठ योग एवं कठिन योग साधना के लिए प्रचिलित योग गुरु स्वामी महेश योगी जी 1 करोड़ 51 लाख स्ट्रोक कपालभाती प्राणायाम कर रचेंगे विश्व कीर्तिमान

योग की परिभाषा हमारे ग्रंथों में अलग-अलग है परंतु इसका सीधा संबंध मानव शरीर के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है योग हमें प्रकृति से जोड़ता है। योग मानव शरीर की एक ऐसी जरूरत है जिसे पूरा करने से हजारों फायदे होते हैं। भारत में योग का इतिहास हजारों साल पुराना है। हमारे ऋषियों-मुनियों का पूरा जीवन ही योगमय रहा है। भारत में योग की परंपरा उतनी ही पुरानी है जितनी कि भारतीय संस्कृति। मानसिक, शारीरिक एवं अध्यात्म के रूप में लोग प्राचीन काल से ही इसका अभ्यास करते आ रहे हैं। योग की उत्पत्ति सर्वप्रथम भारत में ही हुई थी इसके बाद यह दुनिया के अन्य देशों में लोकप्रिय हुआ। योग ने पूरी दुनिया को स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित किया है। आज योग जहां पर है, वहां तक उसे पहुंचाने में आधुनिक भारत के कई योगियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। योग की इसी परंपरा को आगे बढाने वाले योगियों में से एक नाम सिद्धपीठ श्री हनुमानगढ़ी बसंतिया पट्टी अयोध्या के लोकप्रिय संत, हठयोगी महेश दास उर्फ स्वामी महेश योगी जी (Swami Mahesh Yogi) का भी हैं। वर्तमान में स्वामी महेश योगी जी अयोध्या सिद्धपीठ श्री हनुमानगढ़ी में लगभग दो दशक से श्री

योग गुरु श्री धीरज शर्मा जी ने सर्वाधिक भुजंगासन कर गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में अपने नाम दर्ज किया मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय जी ने दिया वर्ल्ड रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट

योग और आयुर्वेद का जन्म भारत में हुआ और यहीं से इनका प्रकाश पूरी दुनिया में फैलता चला गया। योग और आयुर्वेद, दोनों विधाओं को मनुष्य ने प्रकृति से सीखा है। प्रकृति में उगने वाली जड़ी-बूटियों से खुद को स्वस्थ बनाने के लिए मानव ने आयुर्वेद का निर्माण किया। जबकि विभिन्न पशु-पक्षियों की मुद्राओं से सीखकर मनुष्य ने योग विद्या की रचना की है। योग और आयुर्वेद, सिर्फ मनुष्य को स्वस्थ करने के लिए ही नहीं हैं। ये असल में हमें जीवन जीने का तरीका बताते हैं और हमें भीतर से स्वस्थ बनाते हैं। ऐसा ही एक आसन भुजंगासन भी है, जिसके नियमित अभ्यास से हमें ढेरों फायदे मिलते हैं। इस आसन में शरीर की आकृति फन उठाए हुए भुजंग अर्थात सर्प जैसी बनती है इसीलिए इसको भुजंगासन या सर्पासन कहा जाता है। चूंकि यह दिखने में फन फैलाए एक सांप जैसा पॉस्चर बनता है इसलिए इस आसन का नाम भुजंगासन रखा गया है। नियमित रूप से यह आसन करने से रीढ़ की हड्डी सशक्त होती है और पीठ में लचीलापन आता है। यह आसन फेफड़ों की शुद्धि के लिए भी बहुत अच्छा है और जिन लोगों का गला खराब रहने की, दमे की, पुरानी खाँसी अथवा फेंफड़ों संबंधी अन्य कोई बीमारी हो,

दैनिक भास्कर पाली के 21वें स्थापना दिवस पर 6000 किलो हलवे का निर्माण कर रचा विश्व कीर्तिमान गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में रिकॉर्ड दर्ज

राजस्थान विशेष रूप से अपने परंपरागत व्यंजनों एवं अपनी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। यहां के खाने का स्वाद, उसकी महक और विविधता कुछ अलग ही होती है। राजस्थान भारतीय राज्यों में एक विशेष स्थान रखता है जिसकी संस्कृति, ऐतिहासिक विरासत, और विविधता को व्यक्त करने में उसके व्यंजनों का महत्वपूर्ण योगदान है। राजस्थानी खाना भिन्न और अत्यधिक स्वादिष्ट होता है, जिसमें संस्कृति, रंग, और स्वाद का एक सुंदर संगम होता है। राजस्थानी भोजन में अलग-अलग चर्चित व्यंजनों के साथ-साथ, खाने के प्रति लोगों की उत्सुकता और उनकी आत्मिक संतोष की भावना भी देखने को मिलती है। राजस्थान का खाना व्यंजनों का अनूठा संगम है, जो स्थानीय सामाजिक और सांस्कृतिक परंपराओं का प्रतिनिधित्व करता है। अलग-अलग राजस्थानी शहरों में विभिन्न खाने की प्रकृतियों की विशेषता होती है, जो इसे भारतीय खाने की विविधता में एक अद्वितीय स्थान प्रदान करती है। इस राज्य के व्यंजन न केवल उसके स्थानीय निवासियों के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि पर्यटकों के बीच भी इसका बहुत महत्व है, जो राजस्थान की सांस्कृतिक और रसोई समृद्धि दर्शाता हैं। राजस्थान के मारवाड़ में बंदी

बिलासपुर में मतदाता जागरूकता अभियान के तहत ऑनलाइन मतदान का संकल्प लेकर बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड

भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। यहाँ की सरकार प्रत्येक पाँच वर्ष के अंतराल पर चुनाव के माध्यम से चुनी जाती है। देश के नागरिक इस चुनावी प्रक्रिया में सीधे तौर पर भाग लेते हैं। देश का कोई भी नागरिक जिसकी उम्र 18 वर्ष या इससे ज्यादा हो, मतदान करने के लिए अपना पंजीकरण करवा सकता हैं और मतदान के अधिकार का उपयोग कर निर्वाचन प्रक्रिया में सम्मिलित हो सकता हैं। भारतीय संविधान के अनुसार देश में नियमित, स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव आयोजित करने का अधिकार निर्वाचन आयोग को प्राप्त है। चुनाव आयोजित करने एवं चुनाव के बाद के विवादों से संबंधित सभी विषयों को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 एवं लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के अंतर्गत सम्मिलित किया गया है। भारतीय लोकतंत्र के विकास में, मतदाता शपथ का बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। यह शपथ न केवल नेताओं और सार्वजनिक प्रतिनिधित्वधारियों को लोकतंत्र के मूल्यों और नीतियों के प्रति संबोधित करती है, बल्कि इससे नागरिकों को भी साझा दायित्व का आभास होता है और उन्हें अपने लोकतंत्र में सक्रिय भागीदार बनाता है।  जिला प्रशासन के तत्वाधान में बिलासपुर स्मार्ट सि

"जय श्री राम" लिखी हुई टी-शर्ट पहन कर दौड़े हजारों धावक 15वीं एयू जयपुर मैराथन गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज

मैराथन दौड़ का इतिहास 490 ईस्वी पूर्व शुरू हुआ था। यूनान के एथेंस नगर से 26 मील दूर मैराथन के मैदान में यूनानी और पर्सियन/फारसी सैनिकों के बीच युद्ध हुआ था। इस युद्ध में यूनान के सैनिकों ने फारस के 1 लाख सैनिकों को हरा दिया था। इस जीत की खबर देने के लिए यूनान का 'फिडिपीडेस' नाम का सैनिक युद्ध क्षेत्र से लगभग 26 मील तक बिना रुके दौड़ता हुआ एथेंस पहुंचा था.वह इस जीत से इतना उत्साहित था कि उसने भागने के लिए अपने शस्त्र और कवच भी उतार दिए। युद्ध से थका होने के बाद भी वह जंगलो, कटीली झाड़ियों और पहाड़ो वाले रास्ते में बिना कहीं रुके भागता ही रहा था। जब उसने एथेंस नगर में प्रवेश किया तो उसके पैर लहुलुहान हो चुके थे. उसकी साँस उखड़ रही थी. उसने अपने देशवासियों को बोला "निक्की" अर्थात युद्ध में उसके देश की विजय हुई है, 'देशवासियों हम युद्ध जीत गये खुशियाँ मनाओ'। इस खबर को सुनाने के बाद ही उसकी मौत हो गयी थी। 'फिडिपीडेस' नामक धावक की याद में मैराथन दौड़ को ओलिंपिक खेलों में शामिल किया गया था। मैराथन रेस की दूरी 26 मील, 385 यार्ड्स अर्थात लगभग 42.195 किलोमीटर होती है।

बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में SVEEP के अंतर्गत आयोजित फुटबॉल प्रतियोगिता और अम्ब्रेला रैली गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज

लोकतांत्रिक देश में मतदान की अहम भूमिका होती है। लोकतंत्र में नागरिकों के लिए मतदान एक नागरिक कर्तव्य से भी अधिक है। वोट देने के अधिकार के माध्यम से किसी देश के नागरिक का प्रत्येक वोट उस देश के भविष्य को आकार देने में अहम भूमिका निभाता है और उन नीतियों को प्रभावित करता है जो लोगों के कल्याण के लिए बनाई जाती हैं। वास्तव में, मतदान राष्ट्र की दिशा तय करता है और एक ऐसी सरकार सुनिश्चित करता है जो आम जनता के वैकल्पिक दृष्टिकोण और आकांक्षाओं को पहचानती है। मतदान लोगों को उन निर्णयों में अपनी बात रखने का अधिकार देता है जो उनके जीवन को प्रभावित करते हैं। देश के बारे में लिए गए निर्णयों में अपनी राय रखने के लिए लोगों को वोट देने के लिए प्रेरित करना महत्वपूर्ण है और मतदान प्रक्रिया ऐसा करने के सबसे महत्वपूर्ण तरीकों में से एक है। मतदान प्रक्रिया के बारे में जागरूकता बढ़ाने और लोगों को निर्वाचन प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए मतदाता जागरूकता अभियान महत्वपूर्ण हैं, जिसका लक्ष्य अधिक लोगों को हमारे लोकतंत्र में भाग लेने और वोट देने के लिए प्रेरित करना है।  लोकसभा निर्वाचन में