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हठ योग एवं कठिन योग साधना के लिए प्रचिलित योग गुरु स्वामी महेश योगी जी 1 करोड़ 51 लाख स्ट्रोक कपालभाती प्राणायाम कर रचेंगे विश्व कीर्तिमान

योग की परिभाषा हमारे ग्रंथों में अलग-अलग है परंतु इसका सीधा संबंध मानव शरीर के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है योग हमें प्रकृति से जोड़ता है। योग मानव शरीर की एक ऐसी जरूरत है जिसे पूरा करने से हजारों फायदे होते हैं। भारत में योग का इतिहास हजारों साल पुराना है। हमारे ऋषियों-मुनियों का पूरा जीवन ही योगमय रहा है। भारत में योग की परंपरा उतनी ही पुरानी है जितनी कि भारतीय संस्कृति। मानसिक, शारीरिक एवं अध्यात्म के रूप में लोग प्राचीन काल से ही इसका अभ्यास करते आ रहे हैं। योग की उत्पत्ति सर्वप्रथम भारत में ही हुई थी इसके बाद यह दुनिया के अन्य देशों में लोकप्रिय हुआ। योग ने पूरी दुनिया को स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित किया है। आज योग जहां पर है, वहां तक उसे पहुंचाने में आधुनिक भारत के कई योगियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। योग की इसी परंपरा को आगे बढाने वाले योगियों में से एक नाम सिद्धपीठ श्री हनुमानगढ़ी बसंतिया पट्टी अयोध्या के लोकप्रिय संत, हठयोगी महेश दास उर्फ स्वामी महेश योगी जी (Swami Mahesh Yogi) का भी हैं। वर्तमान में स्वामी महेश योगी जी अयोध्या सिद्धपीठ श्री हनुमानगढ़ी में लगभग दो दशक से श्री हनुमान जी के दास के रूप में योग एवं आध्यात्मिक के क्षेत्र में राष्ट्र की आराधना में सेवारत हैं। योग व आध्यात्म को बढ़ावा देने हेतु अपने दिव्य भारत निर्माण ट्रस्ट (Divya Bharat Nirman Trust) एवं भारत योग एसोसिएशन ट्रस्ट (Bharat Yoga Association Trust) की स्थापना भी किया है जो आज संपूर्ण भारतवर्ष में अपनी सेवाएं प्रदान कर रही है।

हठ योग एवं कठिन योग साधना के लिए प्रचिलित योग गुरु स्वामी महेश योगी जी ने अयोध्या हनुमानगढ़ी में अनवरत 6 माह तक भोजन त्यागकर 1 करोड़ 51 लाख स्ट्रोक कपालभाति करने का दृढ़ संकल्प  लिया हैं जिसके लिए वह आज भी अग्रसर हैं। स्वामी महेश योगी जी ने अपनी यह कठोर योग साधना हनुमानगढ़ी निज आश्रम पर 2 अप्रैल 2024 से प्रारंभ कर दी हैं। तब से भोजन का त्यागकर वह प्रतिदिन 11 घंटे कपालभाती प्राणायाम की कठोर साधना में लिप्त हैं। प्रतिदिन 11 घंटे में उन्होंने एक लाख स्ट्रोक कपालभाति करने का लक्ष्य निर्धारित कर रखा है। स्वामी महेश योगी जी ने योग, कला, साहित्य व अध्यात्म के क्षेत्र में पहले भी अनेकों विश्व कीर्तिमान बनाकर विश्व पटल पर भारत का गौरव बढ़ाया है। उनके द्वारा बनाये गए विश्व कीर्तिमानों में अनवरत 76 घंटे तक योग मैराथन करने का विश्व रिकॉर्ड, अनवरत 51 घंटे कपालभाति करने का विश्व रिकॉर्ड, 1 मिनट में 21 बार सूर्य नमस्कार करने का विश्व रिकॉर्ड, एक घंटा 15 मिनट शीर्षासन में कपालभाति करने का विश्व रिकॉर्ड, अयोध्या मां सरयू की गोद में लगातार 2378 बार डुबकियां लगाने का विश्व रिकॉर्ड, चित्रकला के क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी व्यक्ति चित्र श्रृंखला बनाने का विश्व रिकॉर्ड, अब तक 11000 चित्रों का सृजन करने का रिकॉर्ड तथा दिव्य भारत गौरव ग्रंथ एवं भारत ऋषि ज्ञान एनसाइक्लोपीडिया के लेखन कार्य जैसे अनेकों विशिष्ठ कीर्तिमान गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स (Golden Book of World Records) में दर्ज हैं। इसके अलावा दिव्य भारत निर्माण ट्रस्ट के तत्वाधान में स्वामी महेश योगी जी के शिष्यों द्वारा भी 100 से अधिक विश्व कीर्तिमान स्थापित किये जा चुके हैं।

स्वामी महेश योगी जी शिक्षा के क्षेत्र में सात बार एम.ए., एमफिल तथा पीएचडी की उपाधि प्राप्त कर चुके हैं। इसके अलावा महेश योगी जी विविध विद्यालय एवं विश्वविद्यालय में प्रवक्ता एवं असिस्टेंट प्रोफेसर व डायरेक्टर के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान कर चूके हैं तथा योग, कला व साहित्य में उन्होंने अब तक 32 पुस्तकों का लेखन भी किया है। शासन द्वारा उनके पैतृक गांव का नाम बदलकर ( महेश योगी नगर ) कर दिया गया है।

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