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Showing posts from January, 2024

डाउन सिंड्रोम से पीड़ित अवनीश तिवारी ने सबसे कम उम्र में एवरेस्ट की चढ़ाई कर रचा विश्व कीर्तिमान प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार-2024 से भी हुए सम्मानित

डाउन सिंड्रोम (Down Syndrome) एक जेनेटिक स्थिति होती है, जिसमें व्यक्ति के अंदर एक अतिरिक्त क्रोमोज़ोम पाया जाता है जिसे ट्राइसोमी 21 भी कहा जाता है। आमतौर पर एक बच्चा 46 क्रोमोज़ोम के साथ जन्म लेता है, 23 माता से और 23 पिता से और ये क्रोमोजोम जोड़े में मौजूद होते हैं। जब 21वें क्रोमोजोम पर एक अतिरिक्त  क्रोमोज़ोम  मौजूद हो, तो इसे डाउन सिंड्रोम कहते हैं। हजारों में से किसी एक बच्चे को डाउन सिंड्रोम होने की संभावना होती है। डाउन सिंड्रोम के 30% मामलों में मानसिक रोग होने की संभावना भी होती है। डाउन सिंड्रोम एक आजीवन स्थिति है। हालाँकि इसे ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन समय के साथ अब डॉक्टर एवं  अन्य लोगों में इसके बारे में पहले से कहीं अधिक जागरूकता हैं। इस समस्या के चलते जबतक शारीरिक रूप से कोई अंग प्रभावित हों, तबतक ये कोई गंभीर बीमारी नहीं है। इसे आराम से मैनेज किया जा सकता है। डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों के लिए विशेष स्कूल भी होते हैं। उन्हें सामान्य बच्चों से अधिक देखभाल और प्रेम की आवश्यकता होती हैं, ताकि वे भी एक सामान्य जीवन जी सके। भारत देश के सबसे स्वच्छ शहर कहे जाने वाले इंदौर

उस्ताद शायर अफ़रोज़ 'सहर' जी ने सबसे तवील (लम्बी) रदीफ़ वाली ग़ज़ल कहकर बनाया विश्व कीर्तिमान गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में नाम दर्ज

ग़ज़ल उर्दू काव्य का एक अत्यंत लोकप्रिय, मधुर,  अहम हिस्सा है, यह एक प्राचीन काव्य शैली है। ग़ज़ल उत्पत्ति 7वीं शताब्दी की अरबी कविता से मानी जाती है। सूफी फकीरों और नए इस्लामिक सल्तनत के दरबारों के प्रभाव के कारण 12वीं शताब्दी में ग़ज़ल भारतीय उपमहाद्वीप में फैल गई। ग़ज़ल एक कविता से कहीं अधिक है। यह शेरों का एक छोटा संग्रह है जो उर्दू काव्य साहित्य के नियमों जैसे मल्ता, मक्ता, काफ़िया और रदीफ़ आदि का पालन करता है। ग़ज़ल शेरों से बनती हैं। ग़ज़ल के हर शेर में दो पंक्तियां होती हैं। शेर की हर पंक्ति को मिसरा कहते हैं। ग़ज़ल के पहले शेर को ‘मत्ला’ कहते हैं। इसके दोनों मिसरों में यानि पंक्तियों में ‘क़ाफिया’ होता हैं। वह शब्द जो मत्ले की दोनों पंक्तियों में और हर शेर की दूसरी पंक्ति में रदीफ़ के पहले आये उसे ‘क़ाफिया’ कहते हैं। प्रत्येक शेर में ‘क़ाफिये’ के बाद जो शब्द आता हैं उसे ‘रदीफ़’ कहते हैं। पूरी ग़ज़ल में रदीफ़ एक होती हैं। ग़ज़ल के आखरी शेर को जिसमें शायर का नाम अथवा उपनाम हो उसे ‘मक़्ता’ कहते हैं। अगर नाम न हो तो उसे केवल ग़ज़ल का ‘आख़री शेर’ ही कहा जाता हैं। ग़ज़ल के माध्यम से शाय

कांकेर पुलिस का यातायत नियम जागरूकता अभियान "से सॉरी टू फैमिली" गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज

हम प्रतिदिन टेलीविजन या समाचार पत्रों में सड़क दुर्घटना या उससे सम्बंधित खबरों के देखते या पड़ते हैं। यह दुर्घटनायें गैर-जिम्मेदाराना तरीके से वाहन चलाने या यातायात के नियमों का सही ढंग से पालन न करने की वजह से होती हैं। थोड़ा सा समय बचाने के लिए लोग अपने बहुमूल्य जीवन की भी परवाह नहीं करते साथ ही, वे दूसरों की जान भी खतरे में डालने के लिए तैयार रहते हैं। यातायात के नियम सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं से बचने एवं जान-माल की सुरक्षा हेतु ही निर्माण किये गए है, जिनका पालन करना सड़क पर चल रहे प्रत्येक व्यक्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। उदाहरण के लिए गति सीमा, वाहनों की गति को नियंत्रित करके दुर्घटनाओं के जोखिम को कम करने के लिए निर्धारित की गई है। इसी तरह, सीट बेल्ट या हेलमेट पहनने के नियमों का उद्देश्य दुर्घटना की स्थिति में चोट को कम करना है। देश-भर में यातायात नियमों के प्रति जागरूकता लाने के लिए पुलिस एवं प्रशासन द्वारा कई जागरूकता अभियान चलाये जाते हैं। यह जागरूकता अभियान जनता को यातायात नियमों के पालन एवं उनके महत्व के बारे में शिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।  छत्तीसगढ़ क

बिहार के कुंदन कुमार राय ने मधुबनी आर्ट बना कर रचा विश्व कीर्तिमान गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में नाम दर्ज

मधुबनी चित्रकला, जो कि मिथिला चित्रकला के नाम से भी मशहूर हैं, बिहार के मिथिला क्षेत्र की प्रमुख कला परंपरा हैं। इस रंगीन चित्रकला का परिचय 1960 में मधुबनी जिले के एक साध्वी, स्वर्गीय महासुन्दरी देवी जी द्वारा यहाँ के लोगों को करवाया गया। समय के साथ-साथ यहाँ के स्थानीय लोगो द्वारा इस कला को अपनाया गया और फिर ये चित्रकला पूरी दुनिया भर में मशहूर हो गयी। मधुबनी चित्रकला के साथ प्रभु श्री राम एवं माता सीता का काफी दिलचस्प इतिहास जुड़ा हुआ हैं। कहा जाता हैं कि इस चित्रकला का उपयोग राजा जनक द्वारा सीता-राम विवाह के समय नगर को सजाने के लिये किया गया था। वास्तविक रूप से तो यह चित्र गांवों की मिट्टी से लीपी गई झोपड़ियों में देखने को मिलते थे, लेकिन इसे अब कपड़े और पेपर के कैनवास पर भी खूब बनाया जाता है। आज भी कई क्षेत्रों में विवाह के समय राम-सीता जी के चित्र बनाकर उन्हें इस पवित्र बंधन का साक्षी माना जाता हैं।मधुबनी चित्रकला में पेंटिंग्स बनाने के लिए प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाता हैं। समस्तीपुर, बिहार के श्री कुंदन कुमार राय जी (Mr. Kundan Kumar Roy) द्वारा कोरोना काल के दौरान विभिन्न सा

दुनिया का सबसे बड़ा दीप जलाकर दैनिक दिव्य मराठी एवं सोनी पैठणी ने रचा विश्व कीर्तिमान गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में नाम दर्ज

हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले दीप प्रज्वल्लन की परंपरा हैं। देवी -देवताओं की पूजा से लेकर हवन, पाठ या किसी भी मांगलिक कार्यक्रम में दीप प्रज्वलित करना शुभ माना जाता है। दीपक जलाने से न केवल जीवन का अंधकार दूर होता है, बल्कि घर में मौजूद निगेटिव एनर्जी भी दूर होती है। शास्त्रों के अनुसार, दीपक जलाने से जीवन की परेशानियां खत्म हो जाती हैं। दीपक को ज्ञान और रोशनी का प्रतीक माना गया है। दीपक को सकारात्मकता का प्रतीक व दरिद्रता को दूर करने वाला भी माना जाता है। दीपक जलाने का कारण यह है कि हम अज्ञान का अंधकार मिटाकर अपने जीवन में ज्ञान के प्रकाश के लिए पुरुषार्थ करें। दिनांक 22 जनवरी 2024 यह दिन संपूर्ण भारत देश के लिए किसी त्यौहार से कम नहीं था। इसी दिन भगवान राम की जन्म भूमि कही जाने वाली अयोध्या नगरी में प्रभु श्री राम की प्रतिमा को विराजित किया गया। यह दिन सम्पूर्ण देश में एक त्यौहार के रूप में मनाया गया। देश के विभिन्न हिस्सों में अनेकों धार्मिक कार्यक्रम एवं अनुष्ठानों का आयोजन किया गया। महाराष्ट्र के नाशिक में भी इस उत्सव को एक विशेष रूप से मनाया ग

इंदौर शहर के बच्चों ने भगवान श्री राम के जीवन आधारित सर्वाधिक पेंटिंग्स की प्रदर्शनी लगाकर बनाया विश्व कीर्तिमान गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज किया गया

भगवान राम जी को भगवान विष्णु जी का 7वां अवतार माना जाता है। भगवान राम को 'मर्यादा पुरुषोत्तम' कहा गया है अर्थात पुरुषों में सबसे श्रेष्ठ उत्तम पुरुष। भगवान राम जी के चरित्र की कई ऐसी विशेषताएं हैं जो उन्हें लोगों का आदर्श बनाती हैं। भगवान राम जी का पूरा जीवन ही संघर्षों से भरा रहा। भारत में उनका महत्व इसलिए नहीं है, क्योंकि उन्होंने जीवन में बहुत मुश्किले झेली, बल्कि उनका महत्व इसलिए है कि उन्होंने उन तमाम मुश्किलों का सामना बहुत ही शिष्टता पूर्वक किया। भगवान राम ने अपने आचरणों से हर किसी के लिए एक उदाहरण स्थापित किया है। प्रभु श्री राम एक आदर्श मनुष्य, पुत्र, भाई और पति होने के साथ-साथ एक आदर्श और कुशल शासक भी थे। श्री राम एक न्याय प्रिय शासक थे, उन्होंने बहुत अच्छा शासन किया, इसलिए आज भी रामराज्य के उदहारण दिए जाते  हैं। भगवान श्री राम के बारे में महर्षि वाल्मीकि द्वारा अनेक कथाएं लिखी गई। महर्षि  वाल्मीकि के अलावा प्रसिद्ध महाकवि तुलसीदास जी ने भी श्री राम के महत्व को अपनी रचनाओं के माध्यम से लोगों को समझाया है। भगवान राम ने अपने जीवन में कई ऐसे महान कार्य किए है जिन्होंने ह

डॉ. सुधीर हरबंस लाल जैन घुटनों एवं जोड़ो के दर्द से परेशान मरीजों को निःशुल्क लाल तेल का सर्वाधिक वितरण का बनाया विश्व कीर्तिमान

जोड़ों का दर्द एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या है जो किसी भी व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है, आमतौर पर, जोड़ों के दर्द में घुटने का दर्द, कंधे या गर्दन का दर्द, कोहनी और कुल्हे का दर्द शामिल होता है। यह दर्द विभिन्न कारणों से हो सकता है, जैसे कि अव्यवस्थित खानपान, अधिक शारीरिक कार्य, जबकि कभी-कभी यह अन्य बीमारियों  के कारण रूमेटॉयड आर्थराइटिस, ऑस्टियोआर्थराइटिस, और गठिया जैसी बीमारियां भी जोड़ों के दर्द का कारण बन सकती हैं। सही जीवनशैली और नियमित चेकअप से यह संभावना है कि जोड़ों की समस्याओं को सही समय पर पहचाना जा सके और उचित उपचार की शुरुआत की जा सके। तेल की मालिश जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए बहुत ही अच्छा विकल्प माना जाता हैं जिसका परामर्श कई चिकित्सकों द्वारा दिया जाता हैं। राजस्थान, कोटा के रहने  वाले एवं जैन कांफ्रेंस, नई दिल्ली के राष्ट्रीय मंत्री  डॉ. सुधीर हरबंस लाल जैन जी (Dr. Sudhir Harbans Lal Jain) का नाम समाज में एक प्रतिष्ठित एवं सदैव जरूरत मंदों की सहायता करने वाले के रूप में लिया जाता हैं। "दुःख में सुख खोज लेना, हानि में लाभ खोज लेना एवं प्रतिकूलताओं में भी अवसर खो

गाय के गोबर एवं गौमूत्र से निर्मित दुनिया की पहली चटाई बनाने के लिए मनोहर गौशाला का गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज

छत्तीसगढ़, खैरागढ़ के धरमपुरा स्थित मनोहर गौशाला (Manohar Gaushala) का यहां बूढी और अशक्त गायों की सेवा की जाती हैं। "गाय का करो सम्मान, गाय हैं माँ समान"  यह नारा है सतत जीव दया व सेवाभावी कार्यों के लिये प्रतिष्ठित हो चुके मनोहर गौशाला का जिसकी की शुरुआत महज 18,000 वर्ग फीट जमीन से हुई। वर्तमान में यह 11 एकड़ भूमि और 10 एकड़ किराये की भूमि पर फैला हुआ है। संगठन का लक्ष्य 100 एकड़ और 25 एकड़ के घने जंगल में फैली एक आत्मनिर्भर गौशाला बनाना है जहां हजारों गायें रह सकें। मनोहर गौशाला में निर्मित फसल अमृत किसानों को लाभदायक फसल उगाने में मदद करता है और अपर्याप्त पानी या पोषक तत्वों के कारण फसलों को होने वाले संभावित नुकसान भी से बचाता है। यह जैविक जल-धारण करने वाला हाइड्रोजेल कृषि में अभूतपूर्व बदलाव ला रहा है और भारतीय किसानों के बीच पसंदीदा बन रहा है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय व रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों द्वारा मनोहर गौशाला में निर्मित फसल अमृत को पर्यावरण संरक्षण व मानव स्वास्थ्य के लिये बहुउपयोगी बताया गया है और इस पर आगे भी शोध कार्य जारी है। मनोहर गौशाला के मैनेजिंग

श्रीरामचरितमानस का सर्वाधिक वितरण कर श्री मोहन लाल मंडावी जी ने रचा विश्व कीर्तिमान गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में नाम दर्ज

श्रीरामचरितमानस एक अद्वितीय ग्रन्थ एवं अद्भूत है जो हर मनुष्य जीवन लिए उपयोगी एवं शिक्षाप्रद है। यही कारण है कि वर्षों पहले लिखी गई यह रचना वर्तमान समय में भी पूर्णतः प्रासंगिक है। इसीलिए लोग इसे आज भी बड़े श्रद्धा भाव से पढ़ते-सुनते हैं।  श्रीरामचरितमानस प्रभु श्री राम जी के जीवन पर आधारित एक महाकाव्य है, जिसमें सम्पूर्ण रामकथा को सात काण्डों में प्रस्तुत किया गया है। इन कांडों के नाम हैं – बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किंधाकाण्ड, सुन्दरकाण्ड, लंकाकाण्ड और उत्तरकाण्ड। श्रीरामचरितमानस महाकाव्य भक्तिकाल के यशस्वी कवि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित है। श्रीरामचरितमानस का पाठ करने से पारिवारिक एवं सामाजिक समस्याओं को दूर करने की प्रेरणा मिलती है। रामचरितमानस में भले ही रामकथा हो, किन्तु इसका मूल उद्देश्य प्रभु श्री राम जी के चरित्र के माध्यम से नैतिकता एवं सदाचार की शिक्षा देना रहा है। भारत देश के अयोध्या धाम में श्रीराम मंदिर में जहाँ प्रभु श्री रामलला जी की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी है वहीं भगवान के ननिहाल छत्तीसगढ़ में भी इसके लिए उत्सव सा माहौल है। छत्तीसगढ़ के बलोदा जिले के ग

इंडियन ट्रेडिशनल फूड्स (ITF) ने सबसे अधिक फ्लेवर्स में पानी-पूरी एवं सबसे तेज गति से इंस्टेंट भेल बनाकर विश्व कीर्तिमान स्थापित किया

भारतीय व्यंजन दुनिया भर में बेहद लोकप्रिय खाद्य पदार्थों के रूप में जाने जाते हैं इसका प्रमुख कारण यह हैं कि भारत के पास स्वाद एवं मसालों की विविध रेंज हैं। भारतीय व्यंजनों में मिलाये जाने वाले मसाले हर खाद्य प्रदार्थ को एक अनोखा स्वाद प्रदान करते हैं। भारत में मिलने वाला स्ट्रीट फूड विदेशी पर्यटकों एवं यहाँ के निवासियों के बीच विशेष आकर्षण का केंद्र हैं। भारत में बड़ी मात्रा में स्ट्रीट फूड आइटम उपलब्ध हैं, देश के हर राज्य में एक भिन्न प्रकार का स्ट्रीट फूड पसंद किया जाता हैं। भारत के कुछ स्ट्रीट फूड ऐसे भी हैं जिन्हें देश दुनिया के बहुत से स्थानों में पसंद किया जाता हैं, जिनमे पानी-पूरी, भेल-पूरी, भेल, चाट आदि शामिल हैं। पानी-पूरी को कहीं-कहीं पुचका, फुल्का तो कहीं गोलगप्पा भी कहा जाता हैं, आमतौर पर यह मसालेदार, तीखा स्ट्रीट फूड है जिसे हर कोई पसंद करता है गोलगप्पों में उबले हुए चने और मैश किए हुए आलू के मिश्रण को भरा जाता है। इसकी चटनी चटपटी और और पानी मसालेदार होता है। भारतीय स्ट्रीट फूड में भेल भी एक ऐसा तीखा, चटपटा और स्वाद में बेमिसाल व्यंजन हैं जिसे देखकर ही मुह में पानी आ जाता

अध्यात्मिक प्रेरणा पर सबसे अधिक ऑनलाइन वार्ता कर प्रोफेसर (डॉ.) सोहन राज तातेड़ जी का नाम गोल्डन बुक वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज

मोटिवेशन (प्रेरणा) ऐसा शब्द हैं जो स्वयं में ही सकारात्मकता लिए हुए हैं। मोटिवेशन को मन की उस स्थिति के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जब सब कुछ सकारात्मक लगता है और हमारे अन्दर अपना कार्य पूरा करने का एक अलग तरह का उत्साह होता है। जब कोई व्यक्ति किसी क्षेत्र में अपना लक्ष्य तय करता हैं एवं सफलता प्राप्त करने के उद्देश्य से जीतोड़ मेहनत करता हैं। लक्ष्य प्राप्ति के इस सफ़र में उसे अनेको उतार-चड़ाव का सामना करना पड़ता हैं ऐसे समय में वह बहुत बार निराश हो जाता हैं, मन की निराशा को दूर करके अपने लक्ष्य की अग्रसर होने के लिए उसे मोटिवेशन की आवश्यकता होती हैं। उसी प्रकार मन की शांति एवं आतंरिक शक्ति को जाग्रत करने हेतु आध्यात्मिक प्रेरणा (Spiritual motivation) की आवश्यकता होती हैं। आध्यात्मिक प्रेरणा अक्सर व्यक्तियों को उनकी जीवन यात्रा में मार्गदर्शन करने और उनके विचारों, कार्यों को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आध्यात्मिक प्रेरणा के माध्यम से व्यक्ति विशेष के अन्दर सकारात्मक उर्जा के प्रवाह, द्रढ़ संकल्प, सकारात्मकता को बढ़ावा देने का कार्य अध्यात्मिक गुरुओं या मोटिवेशन स्पीक