Skip to main content

डाउन सिंड्रोम से पीड़ित अवनीश तिवारी ने सबसे कम उम्र में एवरेस्ट की चढ़ाई कर रचा विश्व कीर्तिमान प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार-2024 से भी हुए सम्मानित

डाउन सिंड्रोम (Down Syndrome) एक जेनेटिक स्थिति होती है, जिसमें व्यक्ति के अंदर एक अतिरिक्त क्रोमोज़ोम पाया जाता है जिसे ट्राइसोमी 21 भी कहा जाता है। आमतौर पर एक बच्चा 46 क्रोमोज़ोम के साथ जन्म लेता है, 23 माता से और 23 पिता से और ये क्रोमोजोम जोड़े में मौजूद होते हैं। जब 21वें क्रोमोजोम पर एक अतिरिक्त क्रोमोज़ोम मौजूद हो, तो इसे डाउन सिंड्रोम कहते हैं। हजारों में से किसी एक बच्चे को डाउन सिंड्रोम होने की संभावना होती है। डाउन सिंड्रोम के 30% मामलों में मानसिक रोग होने की संभावना भी होती है। डाउन सिंड्रोम एक आजीवन स्थिति है। हालाँकि इसे ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन समय के साथ अब डॉक्टर एवं  अन्य लोगों में इसके बारे में पहले से कहीं अधिक जागरूकता हैं। इस समस्या के चलते जबतक शारीरिक रूप से कोई अंग प्रभावित हों, तबतक ये कोई गंभीर बीमारी नहीं है। इसे आराम से मैनेज किया जा सकता है। डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों के लिए विशेष स्कूल भी होते हैं। उन्हें सामान्य बच्चों से अधिक देखभाल और प्रेम की आवश्यकता होती हैं, ताकि वे भी एक सामान्य जीवन जी सके।

भारत देश के सबसे स्वच्छ शहर कहे जाने वाले इंदौर में डाउन सिंड्रोम से पीड़ित 9 वर्षीय अवनीश तिवारी (Avneesh Tiwari) अपनी पीड़ा काे भूल छोटी सी उम्र में बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। जन्म के बाद अवनीश को उसके जैविक माता-पिता ने एक अनाथालय में छोड़ दिया था, जहाँ उसे पहली बार श्री आदित्य तिवारी जी (Mr. Aditya Tiwari) ने देखा जो अनाथालय में अपने पिता के जन्मदिवस पर मिठाई बांटने आये थे। अवनीश से मिलते ही आदित्य तिवारी जी को उस नन्हे बालक से विशेष लगाव हो गया जिसके बाद उन्होंने इसे गोद लेने के विषय में वार्डन से चर्चा की तो उन्हें ज्ञात हुआ की कम उम्र एवं अविवाहित होने के कारण कानूनन रूप से यह संभव नहीं हैं। किन्तु अवनीश को गोद लेने के दृढ़ संकल्प और 18 माह के कठिन परिश्रम के बाद आधिकारिक रूप से नन्हे अवनीश की कस्टडी अपने नाम कर आदित्य जी उसके पिता बन गए। श्री आदित्य द्वारा लिए गए इस फैसले ने उन्हें दुनिया का पहला सबसे कम उम्र का सिंगल पिता बना दिया जिसने एक दिव्यांग बच्चे को गोद लिया। उनके इस कार्य लिए उनका नाम गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स (Golden Book of World Records) में "Youngest Single Parent to Adopt a Differently-abled Child" के शीर्षक के साथ वर्ल्ड रिकॉर्ड के रूप में दर्ज किया गया।

डाउन सिंड्रोम से पीड़ित अवनीश तिवारी ने 7 वर्ष की उम्र में माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई की। नन्हे अवनीश ने माउंट एवरेस्ट के 18,200 फीट की ऊँचाई पर स्थित माउंट कालापत्थर अपने पिता श्री आदित्य तिवारी के साथ तिरंगा फहरा कर एक विश्व इतिहास रच दिया। सबसे कम उम्र के दिव्यांग बच्चे द्वारा एवरेस्ट की चढ़ाई किये जाने पर गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में "Youngest Differently Abled Child to Trek Himalayan Kala Patthar" के शीर्षक के साथ अवनीश का नाम वर्ल्ड रिकॉर्ड के रूप में दर्ज किया गया। दिव्यांग एवं अनाथ बच्चों के प्रति लोगो की मानसिकता को बदलने एवं उनके प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से आदित्य तिवारी जी ने अवनीश के साथ यह चढ़ाई की थी। अवनीश ने विकलांग बच्चों की जरूरतों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए अपने पिता के साथ देश और दुनिया भर में कई सेमिनारों में संबोधित कर चुके है।

समाज के विकास और दिव्यांग एवं अनाथ बच्चों के हित में जागरूकता फैलाने के उत्कृष्ठ कार्य के लिए अवनीश को 9 वर्ष की उम्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार-2024 से सम्मानित किया गया और इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस वर्ष देश में से 19 बच्चों को यह पुरस्कार दिया गया है। जिसमें अवनीश तिवारी मध्यप्रदेश से एकमात्र ऐसे बच्चें हैं जिसका चयन इस पुरस्कार के लिए हुआ। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार प्राप्त करने वालो में अवनीश सबसे कम उम्र के अवार्डी हैं। बेहद कम उम्र में कई शारीरिक एवं मानसिक कठिनाईयों का सामना कर और उनपर विजय पाकर नन्हे हीरो अवनीश तिवारी ने यह साबित कर दिया कि "हौसला हो तो आप दुनिया जीत सकते हैं, कोई कमी भी आपकी मंजिल की रूकावट नहीं बन सकती"।

Comments

Popular posts from this blog

इस्कॉन रायपुर ने जन्माष्टमी पर बनाया विश्व रिकॉर्ड: 10,000 किलो सामक चावल की खिचड़ी का भव्य प्रसाद बनाया

भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य जन्मोत्सव को भक्ति और भव्यता के साथ मनाते हुए, इस्कॉन रायपुर (ISKCON) ने एक अद्भुत विश्व रिकॉर्ड बनाया जन्माष्टमी के पावन अवसर पर यहाँ 10,000 किलो सामक चावल (सांवा/बरनयार्ड मिलेट) की खिचड़ी तैयार की गई, जिसने इस आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया। यह विशाल प्रसाद-निर्माण भक्ति सिद्धार्थ स्वामीजी के आध्यात्मिक मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। विश्व रिकॉर्ड की पूरी प्रक्रिया का संयोजन श्री तमाल कृष्ण दासजी ने किया, जिन्होंने बताया कि भक्ति सिद्धार्थ स्वामीजी के भाव को इतनी बड़ी मात्रा में सामक चावल की खिचड़ी तैयार कर इस्कॉन के संतों, ब्रम्हचारीयो, समिति तथा सैकड़ों स्वयंसेवकों ने साथ मिलकर इस महायज्ञ को सफल बनाया। सामक चावल, जिसे विशेषकर व्रत के अवसर पर खाया जाता है, को खिचड़ी के रूप में तैयार करना न केवल परंपरा का सम्मान है बल्कि स्वास्थ्य और सात्विकता का संदेश भी है। आयोजन के दौरान गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ( Golden Book of World Records ) के एशिया हेड डॉ. मनीष विश्नोई जी, श्रीमती सोनल शर्मा जी एवम GBWR टीम सहित उपस्थित रहे। GBWR टीम ने सुबह से ही खिचड़ी की तैयारी को बा...

विश्व उमिया धाम मंदिर ने रचा इतिहास : धार्मिक अवसंरचना हेतु सबसे बड़ा राफ्ट कास्टिंग कार्य

पी. एस. पी. प्रोजेक्ट्स लिमिटेड (PSP Projects Limited) ने निर्माण क्षेत्र की अब तक की सबसे कठिन और महत्वाकांक्षी उपलब्धियों में से एक को साकार कर इतिहास रच दिया। कंपनी ने अहमदाबाद स्थित विश्व उमिया धाम मंदिर (Vishv Umiya Dham Temple) के लिए धार्मिक अवसंरचना हेतु अब तक का सबसे बड़ा राफ्ट कास्टिंग सफलतापूर्वक पूरा किया। इस अद्वितीय उपलब्धि को आधिकारिक तौर पर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Golden Book of World Records) द्वारा मान्यता प्रदान की गई। उपलब्धि के आंकड़े ● निरंतर कास्टिंग अवधि: 54 घंटे लगातार कार्य ● कंक्रीट की मात्रा: लगभग 24,100 घन मीटर विशेष रूप से तैयार किया गया ECOMaxX M45 लो-कार्बन कंक्रीट ● राफ्ट के आयाम: लगभग 450 फुट × 400 फुट × 8 फुट ● मानव संसाधन एवं उपकरण: 600 से अधिक अभियंता और कुशल श्रमिक, 285 ट्रांजिट मिक्सर तथा 26 बैचिंग प्लांट्स का उत्कृष्ट समन्वय ● जिस संरचना को सहारा देना है: यह कार्य जगत जननी माँ उमिया मंदिर (504 फुट ऊँचा, 1,500 से अधिक धर्म स्तंभों सहित विश्व का सबसे ऊँचा मंदिर) के लिए किया गया। इतना कठिन क्यों था यह कार्य : इतने बड़े पैमाने पर राफ्ट कास्टिंग...

डॉ. सुधीर हरबंस लाल जैन घुटनों एवं जोड़ो के दर्द से परेशान मरीजों को निःशुल्क लाल तेल का सर्वाधिक वितरण का बनाया विश्व कीर्तिमान

जोड़ों का दर्द एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या है जो किसी भी व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है, आमतौर पर, जोड़ों के दर्द में घुटने का दर्द, कंधे या गर्दन का दर्द, कोहनी और कुल्हे का दर्द शामिल होता है। यह दर्द विभिन्न कारणों से हो सकता है, जैसे कि अव्यवस्थित खानपान, अधिक शारीरिक कार्य, जबकि कभी-कभी यह अन्य बीमारियों  के कारण रूमेटॉयड आर्थराइटिस, ऑस्टियोआर्थराइटिस, और गठिया जैसी बीमारियां भी जोड़ों के दर्द का कारण बन सकती हैं। सही जीवनशैली और नियमित चेकअप से यह संभावना है कि जोड़ों की समस्याओं को सही समय पर पहचाना जा सके और उचित उपचार की शुरुआत की जा सके। तेल की मालिश जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए बहुत ही अच्छा विकल्प माना जाता हैं जिसका परामर्श कई चिकित्सकों द्वारा दिया जाता हैं। राजस्थान, कोटा के रहने  वाले एवं जैन कांफ्रेंस, नई दिल्ली के राष्ट्रीय मंत्री  डॉ. सुधीर हरबंस लाल जैन जी (Dr. Sudhir Harbans Lal Jain) का नाम समाज में एक प्रतिष्ठित एवं सदैव जरूरत मंदों की सहायता करने वाले के रूप में लिया जाता हैं। "दुःख में सुख खोज लेना, हानि में लाभ खोज लेना एवं प्रतिकूल...