Skip to main content

योग और प्रकृति प्रेमी श्री हरिचन्द्र जी ने 72 वर्ष की उम्र में बनाये 8 विश्व कीर्तिमान

02 जनवरी 1950 को छोटे से गाँव औरंगाबाद – मितरौल (तहसील होडल, जिला पलवल) मे पिता श्री लालाश्रीचंद गर्ग जी तथा माता श्रीमती किरण देवी जी के यहाँ जन्म लेने वाले, श्री हरि चंद्र गर्ग शुरू से ही बहुत ही मेहनती रहे है। जब वे कक्षा छः की पढ़ाई कर रहे थे, उसी कालावधि में एक दुर्घटना में उनके पिताजी विकलांग हो गए। पारिवारिक परिस्तिथियों के चलते समय से पूर्व ही जिम्मेदारियों का वहन करना पड़ा, इसी के साथ-साथ उन्होंने अपनी हाई स्कूल तक की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई के उपरांत वर्ष 1973 में उन्होंने लोक निर्माण विभाग में नौकरी प्रारंभ की एक साल तक नौकरी करने के बाद वो नौकरी छोड़ कर उसी विभाग में ठेकेदारी का कार्य करने लगे जो उन्होंने 2015 तक किया।

वर्तमान समय में फरीदाबाद में निवास करने वाले 70 वर्षीय श्री हरीचन्द्र गर्ग (Mr. Hari Chandra Garg) जी को प्रकृति से विशेष प्रेम हैं। उनके इसी प्रेम के चलते उन्होंने अपने घर के पास स्थित कचरा डालने वाले स्थान (garbage dump) को साफ किया एवं उसमे कई तरह के उपयोगी पौधे जैसे तुलसी, एलोवेरा, गिलोय, आँवला, गेंदा, गुड़हल आदि के पौधे लगाए है। श्री गर्ग जी के निज निवास की बगिया मैं गेंदे का एक पौधा विशेष आकर्षण का केंद्र हैं जिसकी लम्बाई हरिचन्द्र गर्ग जी के रख- रखाव और मेहनत के फल-स्वरुप 7 फ़ीट 2 इंच हो चुकी है। आमतौर पर गेंदे के पौधो की लम्बाई 3 से 4 फीट तक ही हो पाती हैं अपनी इसी विशेषता के चलते इस पौधे को गेंदे के दुनिया सबसे बड़े पौधे का ख़िताब मिला है। जिसे 15 मार्च 2018 को "Largest Marigold Plant" के शीर्षक के साथ गोल्डन बुक ओफ वर्ल्ड रिकार्ड्स (Golden Book of World Records) में दर्ज किया गया। इसी प्रकार के उनके बगीचे में ऐसा तुलसी का पौधा भी है जो अपनी लम्बाई से सभी को आश्चर्य चकित कर देता है। इस तुलसी के पौधे के लम्बाई 7 फ़ीट 5 इंच हो चुकी के अपनी इसी विशेषता के लिए इसे 23 दिसंबर 2019 को "Largest Basil Plant" के शीर्षक के साथ गोल्डन बुक ओफ वर्ल्ड रिकार्ड्स (Golden Book of World Records) में दर्ज किया गया। दरअसल विश्व कीर्तिमान स्थापित होने के पीछे इनकी बरसों की साधना और प्रकृति से विशेष प्रेम हैं। इनकी इस निष्ठा और मेहनत की वजह से आज इनकी बगिया में 2 विश्व कीर्तिमान के फूल खिले है।

श्री गर्ग जी जितनी निष्ठा और लगन से बागबानी करते हैं, वहीं उतनी ही निष्ठा एवं लगन उनके योगाभ्यास में भी नज़र आती हैं। गर्ग जी की दिनचर्या योग से शुरू होती है, सुबह जल्द उठाकर 2 घंटे योग करते है इसके बाद 2 से 3 घंटे बाग़वानी का काम करते है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में जब पहली बार देश में विश्व योग दिवस (International Yoga Day) मनाया गया तो फरीदाबाद में भी एक लाख बीस हजार लोगों ने उसमें भाग लिया। योग के अनेक वर्ल्ड रिकॉर्ड भी उस दौरान बने, जिसे देखकर इनके मन में भी योग के प्रति ललक जगी तथा नियमित रूप से योग करना प्रारंभ कर दिया। इसके बाद बचे हुए समय में वे समाज और ज़रूरतमंद लोगो की सेवा में लगते है और साथ ही लोगो को योग के लिए भी प्रोत्साहित करते है, श्री गर्ग जी ने जेल में कैदियों को लम्बे समय तक योग करवाया है। एक दिन ऐसे ही उनके मन में विचार आया कि क्यों न लंबे समय तक योग करने का वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज कराया जाए। इस हेतु उन्होंने गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस (Golden Book of World Records) के कार्यालय से संपर्क किया। जहाँ उन्होंने योगा के क्षेत्र में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की अपनी मंशा जाहिर करते हुए लम्बे समय तक योगा करने के वर्ल्ड रिकार्ड्स की जानकारी प्राप्त की। जहाँ उन्हें ज्ञात हुआ की इस उम्र में अगर वे 60 मिनट भी लगातार कपालभाति करने से वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज होने की सम्भावना हैं। इसके बाद इस समयावधि को चुनौती के रूप में स्वीकार कर श्री गर्ग जी कठिन अभ्यास के बाद दिनांक 23 मार्च 2017 को लगातार 1 घंटे 7 मिनट 4 सेकंड तक कपालभाति प्राणायाम करके सबको आश्चर्य चकित कर अपना पहला विश्व कीर्तिमान स्थापित किया जिसे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस में "Longest Performance of Kapalbhati Pranayam Yoga" के शीर्षक के साथ एक वर्ल्ड रिकॉर्ड के रूप में दर्ज किया गया। 67 वर्ष की आयु में श्री हरिचन्द्र गर्ग जी ने अपना पहला विश्व कीर्तिमान स्थापित किया इसके बाद उन्होंने योगा के क्षेत्र में और भी वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने का निश्चय किया। 23 दिसंबर 2017 को सर्वाधिक समय तक उतित्थ पद्मासन योगसन करके "Longest Performance of Uttith Padmasana Yoga" के शीर्षक के साथ पुनः गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस में आपने अपना नाम दर्ज कराया। वर्ल्ड रिकार्ड्स बनाने के अपने इसी क्रम को जारी रखते हुए दिनांक 24 मई 2018 को सर्वाधिक समय तक गर्भासन योगासन करके "Longest Performance of Garbhasana Yoga" के शीर्षक के साथ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया एवं 18 जुलाई 2018 को सर्वाधिक समय तक मत्स्य पद्मासन योगासन करके "Longest Performance of Matsya Padmasan yoga" के शीर्षक के साथ फिर से रिकार्ड बनाते हुए गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स अपना नाम दर्ज कराया। इसके अलावा 14 अप्रैल 2020 को 70 वर्षीय हरिचन्द्र गर्ग जी ने 25 लम्बे लगभग 40 किलो वजनी एक बांस को अपनी हथेली पर सर्वाधिक समय तक बैलेंस किया। जीवन की जिस उम्र में अधिकतर लोग शारीर को संभलकर चलते हैं उस उम्र में सर्वाधिक समय तक बांस को अपनी हथेली पर सीधा बैलेंस करके "Longest Balancing a Bamboo in Upright Position (Single Hand)" के शीर्षक के साथ अपना नाम गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज  कराया। अपने जीवन के 72 वर्ष के पड़ाव में श्री गर्ग जी ने कांच की बोटल पर बैलेंस करते हुए सर्वाधिक समय के लिए भू-धरासना योग परफॉर्म किया और "Longest Performance of Bhu Dharasana Yoga on Glass Bottles" के शीर्षक के साथ फिर से अपना नाम गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज करवाया।

अभी तक श्री गर्ग जी के नाम कुल 8 वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज हैं जो अपने आप में एक मिसाल तो है, ही साथ ही अन्य के लिए प्रेरणा स्रोत भी हैं। इनकी इन असाधारण उपलब्धियो के कारण इन्हें नाना प्रकार के सम्मानों से अक्सर सम्मानित किया जाता रहता है तथा इनकी गणना अत्यंत सम्मानित शख्सियत के रूप में पूरे हरियाणा में की जाती है। योग के प्रचार में ऐसी शख्सियतों के माध्यम से स्कूलों के बच्चों को प्रेरणा देनी चाहिए ताकि वह योग के महत्त्व को जाने और ये भी समझ सके की योग करने से 70 की उम्र में भी व्यक्ति पूर्णतः स्वस्थ रह सकता है तभी सही मायने में हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के सपनों का स्वस्थ भारत और समृद्ध भारत बन सकेगा।


Comments

Popular posts from this blog

इस्कॉन रायपुर ने जन्माष्टमी पर बनाया विश्व रिकॉर्ड: 10,000 किलो सामक चावल की खिचड़ी का भव्य प्रसाद बनाया

भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य जन्मोत्सव को भक्ति और भव्यता के साथ मनाते हुए, इस्कॉन रायपुर (ISKCON) ने एक अद्भुत विश्व रिकॉर्ड बनाया जन्माष्टमी के पावन अवसर पर यहाँ 10,000 किलो सामक चावल (सांवा/बरनयार्ड मिलेट) की खिचड़ी तैयार की गई, जिसने इस आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया। यह विशाल प्रसाद-निर्माण भक्ति सिद्धार्थ स्वामीजी के आध्यात्मिक मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। विश्व रिकॉर्ड की पूरी प्रक्रिया का संयोजन श्री तमाल कृष्ण दासजी ने किया, जिन्होंने बताया कि भक्ति सिद्धार्थ स्वामीजी के भाव को इतनी बड़ी मात्रा में सामक चावल की खिचड़ी तैयार कर इस्कॉन के संतों, ब्रम्हचारीयो, समिति तथा सैकड़ों स्वयंसेवकों ने साथ मिलकर इस महायज्ञ को सफल बनाया। सामक चावल, जिसे विशेषकर व्रत के अवसर पर खाया जाता है, को खिचड़ी के रूप में तैयार करना न केवल परंपरा का सम्मान है बल्कि स्वास्थ्य और सात्विकता का संदेश भी है। आयोजन के दौरान गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ( Golden Book of World Records ) के एशिया हेड डॉ. मनीष विश्नोई जी, श्रीमती सोनल शर्मा जी एवम GBWR टीम सहित उपस्थित रहे। GBWR टीम ने सुबह से ही खिचड़ी की तैयारी को बा...

विश्व उमिया धाम मंदिर ने रचा इतिहास : धार्मिक अवसंरचना हेतु सबसे बड़ा राफ्ट कास्टिंग कार्य

पी. एस. पी. प्रोजेक्ट्स लिमिटेड (PSP Projects Limited) ने निर्माण क्षेत्र की अब तक की सबसे कठिन और महत्वाकांक्षी उपलब्धियों में से एक को साकार कर इतिहास रच दिया। कंपनी ने अहमदाबाद स्थित विश्व उमिया धाम मंदिर (Vishv Umiya Dham Temple) के लिए धार्मिक अवसंरचना हेतु अब तक का सबसे बड़ा राफ्ट कास्टिंग सफलतापूर्वक पूरा किया। इस अद्वितीय उपलब्धि को आधिकारिक तौर पर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Golden Book of World Records) द्वारा मान्यता प्रदान की गई। उपलब्धि के आंकड़े ● निरंतर कास्टिंग अवधि: 54 घंटे लगातार कार्य ● कंक्रीट की मात्रा: लगभग 24,100 घन मीटर विशेष रूप से तैयार किया गया ECOMaxX M45 लो-कार्बन कंक्रीट ● राफ्ट के आयाम: लगभग 450 फुट × 400 फुट × 8 फुट ● मानव संसाधन एवं उपकरण: 600 से अधिक अभियंता और कुशल श्रमिक, 285 ट्रांजिट मिक्सर तथा 26 बैचिंग प्लांट्स का उत्कृष्ट समन्वय ● जिस संरचना को सहारा देना है: यह कार्य जगत जननी माँ उमिया मंदिर (504 फुट ऊँचा, 1,500 से अधिक धर्म स्तंभों सहित विश्व का सबसे ऊँचा मंदिर) के लिए किया गया। इतना कठिन क्यों था यह कार्य : इतने बड़े पैमाने पर राफ्ट कास्टिंग...

सम्मेद शिखरजी, फेडरेशन ऑफ हूमड़ जैन समाज के स्वच्छता अभियान के लिए गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में दर्ज

पारसनाथ पर्वत पर स्थित सम्मेद शिखरजी (Sammed Shikhar, Parasnath) जैन समुदाय के लिए सबसे पवित्र तीर्थों (Jain pilgrimage) में से एक है। यह वह तपोभूमि है जहाँ 24 में से 20 जैन तीर्थंकरों ने मोक्ष प्राप्त किया। इसी कारण यह पर्वत आध्यात्मिक जागृति, आस्था और सांस्कृतिक धरोहर का केंद्र माना जाता है। प्रतिवर्ष हजारों श्रद्धालु गहन भक्ति के साथ कठिन यात्रा कर इस पावन तीर्थ की आराधना करते हैं। ऐसे पवित्र स्थलों की स्वच्छता और पवित्रता बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। स्वच्छ पर्वत न केवल इसकी प्राकृतिक सुंदरता को संजोता है, बल्कि दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं को शुद्ध वातावरण भी प्रदान करता है। स्वच्छता, प्रकृति और आध्यात्मिकता के प्रति सम्मान का प्रतीक है तथा जैन धर्म के अहिंसा और पवित्रता के संदेश को भी जीवंत करती है। स्वच्छ वातावरण भावी पीढ़ियों को भी इस यात्रा को गर्व और श्रद्धा के साथ करने हेतु प्रेरित करेगा। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए, “सबसे अधिक लोगों द्वारा पर्वत को स्वच्छ रखने की शपथ” (Most People Pledged to Keep Mountain Clean) का विश्व रिकॉर्ड प्रयास फेडरेशन ऑफ हूमड़ जैन समाज, इंटरनेश...