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राहुल भाटी ने एक मिनट में सर्वाधिक साफ़े बांधकर गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया अपना नाम

पगड़ी भारतीय संस्कृति में गरिमा और सम्मान का प्रतीक मानी जाती हैं। यह व्यक्ति को उसकी राष्ट्रीय और सांस्कृतिक पहचान का अहसास कराती है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की पगड़ियां पहनी जाती हैं, और इनमें से प्रत्येक का अपना विशेष महत्त्व और अर्थ होता है। पगड़ी पुराने समय से ही भारतीय समाज में परंपरागत भूमिका निभाती आई है। इसे विशेष अवसरों और धार्मिक पर्वों पर विशेष रूप से उपयोग में लिया जाता है। कई बार पगड़ी का आकार, रंग और बनावट व्यक्ति कि सामाजिक और आर्थिक स्थिति को दर्शाती है। उच्च वर्ग के व्यक्ति और महाराजाओं के लिए अलग-अलग प्रकार की पगड़ियां होती हैं। कुछ स्थानों पर पगड़ी को धार्मिक आधार पर भी महत्त्वपूर्ण माना जाता है। इसे धार्मिक आस्थाओं और आदर्शों के साथ जोड़ा जाता है। कई बार पगड़ी राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों का भी हिस्सा बनती है। जोधपुर, राजस्थान के श्री राहुल भाटी (Rahul Bhati) जी ने दूसरों को पगड़ी यानी साफा बाँधकर अपनी शान ही नही बल्कि जोधपुर समेत पुरे राजस्थान की शान बढ़ाने का बेमिसाल कार्य किया है। आमतौर पर जितनी समयावधि में व्यक्ति के लिए एक साफ़े को बंधना भी

पीरियॉडिक टेबल पर आधारित विश्व की प्रथम काव्य पुस्तक लिखकर बुशरा निदा ने बनाया विश्व कीर्तिमान

पीरियॉडिक टेबल (Periodic Table) एक रसायनिक तत्वों का एक टेबल या चार्ट होता है, जिसमें इन्हें परमाणु संख्या, इलेक्ट्रॉन विन्यास और आवर्ती रासायनिक गुणों के आधार पर वर्टिकल और हॉरिजॉन्टल क्रम में रखा जाता है। इन्हें इस प्रकार से इसलिए रखा जाता है ताकि कोई भी साधारण व्यक्ति आसानी से इन तत्वों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सके। अन्य शब्दों में पीरियाडिक टेबल सभी रासायनिक तत्वों की उनके संबंधित परमाणु क्रमांक के आधार पर सारणीबद्ध व्यवस्था है। प्रत्येक रासायनिक तत्व की एक विशिष्ट परमाणु संख्या होती है, जो उसके नाभिक के भीतर मौजूद प्रोटॉन की संख्या के बारे में जानकारी प्रदान करती है। पीरियॉडिक टेबल का आविष्कार वर्ष 1869 में रूसी रसायनशास्त्री दमित्री मेंडलीफ (Dmitri Mendeleev) ने किया था। उन्होंने रासायनिक तत्वों को बढ़ते परमाणु भार के अनुसार सारणी के रूप में क्रमबद्ध किया था। रसायन विज्ञान (Chemistry) के अध्ययन में पीरियॉडिक टेबल का बहुत अधिक महत्व हैं इस विषय के विद्यार्थियों को इसे पूर्ण रूप से याद करना बहुत चुनौती पूर्ण होता हैं। भारत देश का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में रहने वाली इंटर

दीपचंडी सन्यास आश्रम ने बोताद में अखंड महारूद्र पाठ कर बनाया विश्व कीर्तिमान : गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में नाम दर्ज

बोताद, गुजरात में गढ़ा रोड पर स्थित दीपचंडी सन्यास आश्रम (Deepchanndi Sanyas Aashram) में श्रावण मास एवं पुरुषोत्तम मास के दौरान जनकल्याण की भावना से भगवान महादेव के अखंड महारूद्र पाठ का आयोजन किया गया। आश्रम के महंत महासुखानंद सरस्वती (Mahant Mahasukhanand Saraswati) के नेतृत्व में आयोजित यह अखंड महारूद्र पाठ 24 घंटे एवं पुरे श्रावण मास तक चला। इस महारुद्र पाठ में लगभग 175 परिवारों ने सम्मिलित होकर रूद्र पाठ का लाभ उठाया। महारुद्र पाठ एक प्रमुख हिन्दू धार्मिक अभिषेक प्रक्रिया है जो कि श्रीरुद्राष्टकम् (Shri Rudrashtakam) के एकादश अनुशासनों का संयोजन है। यह अभिषेक पाठ भगवान शिव को समर्पित होता है और इसका मुख्य उद्देश्य उनकी पूजा, प्रशंसा और आराधना करना है। महारुद्र पाठ का नाम उस वेदिक प्रक्रिया से आता है जिसमें रुद्र नामक भगवान शिव के स्वरूपों का अभिषेक किया जाता है। यह पाठ अध्यात्मिकता, शक्ति और शांति के प्रतीक माना जाता है और भक्तों को शिव की कृपा प्राप्त करने का एक मार्ग प्रदान करता है। महारुद्र पाठ के अनुष्ठान में श्रद्धालु रुद्राष्टकम् के गान, मंत्रों और श्लोकों का जाप करते हैं, जो

एसोसिएशन ऑफ़ इनर व्हील क्लब इन इंडिया का नाम गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज

महिला सशक्तिकरण, आधुनिक समाज के विकास और सामाजिक समानता की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास है, लेकिन यह अब तक पूरी तरह से सफल नहीं हुआ है। हमारे समाज में महिलाओं के प्रति आदरणीय भावना की कमी, सांस्कृतिक और सामाजिक प्रतिष्ठा में अंतर, और उनके सामाजिक प्रतिबंधों के कारण वे अपने पूरे पोटेंशियल को पूरी तरह से नहीं उतार पा रही हैं। एक सशक्त समाज बनाने के लिए हमें महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक, और सामाजिक प्रतिबंधों को हटाने के प्रयास करने चाहिए। शिक्षा के क्षेत्र में समानता स्थापित करने के साथ-साथ, महिलाओं को रोजगार, नेतृत्व, और विभिन्न क्षेत्रों में मौके प्रदान करने के लिए समर्थन और अवसर प्रदान करने की आवश्यकता है, यह तभी संभव हो सकेगा जब हम समाज में जाति, धर्म, और लिंग के आधार पर भेदभाव को खत्म करेंगे और सभी महिलाओं की क्षमताओं का सम्मान करेंगे। महिला सशक्तिकरण की दिशा में हो रहे प्रयासों का समर्थन करने के साथ-साथ, हमें एक समर्पित समाज बनाने के लिए सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है ताकि महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक स्वतंत्रता मिल सके और वे समाज में अपनी अहमियत को साबित कर सकें। इंदौर,

नर्मदापथ के महायोगी अवधूत दादागुरु के अखण्ड निराहार महाव्रत साधना गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड से सम्मानित

ब्रह्मांड में उत्पत्ति, पालन और प्रलय होता रहता है किंतु सृष्टिकर्ता अपनी रचनाधर्मिता से निर्मित संसार को अपनी शक्ति से समय से पूर्व प्रलय के गर्त में जाने से रोकता है और ईश्वर अपने  प्रतिनिधि को धरा पर सद्गुरु के रूप में भेजकर सम्पूर्ण मानव का मार्गदर्शन करता है ऐसे गुरु मानवीय असंवेदनशील व्यवहार से उत्पन्न सृष्टि के असंतुलन को संतुलित करने में मार्गदर्शक कार्य करते हैं। समर्थ सद्गुरू श्री दादा गुरू (Samarth Sadguru Shri Dada Guru) ने प्रकृति के सहचर्य के पावन लक्ष्य के साथ इस सदी में अतुलनीय, अकल्पनीय  निराहार महाव्रत लिया है। यह महाव्रत पवित्र नदियों के संरक्षण, सम्वर्धन, प्रकृति केंद्रित जीवन शैली, विकास और व्यवस्था के साथ आत्मनिर्भर भारत की जीवंत मिसाल बन कर खड़ा हुआ है। 13 जुलाई 2023 को इस महाव्रत के 1000 दिन पूर्ण हुए, परन्तु आपका यह व्रत आज भी निरंतर गतिमान है। यह साधना समस्त ज्ञान-विज्ञान को चुनौती देता प्रतीत हो रहा है। अब तो यह देश-दुनिया के लिए भी शोध का विषय बन चुका है। जीवन जीने के सभी भौतिक आधारों को  छोड़कर श्री दादागुरु विगत दिनों से अपनी साधना यात्रा में अनवरत चल रहे ह

धार विधानसभा के 76 स्‍थानों से निकली लाड़ली बहना तिरंगा कावड़ यात्रा ने रचा विश्व कीर्तिमान : गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में रिकॉर्ड दर्ज

श्रावण माह की शुरुआत के साथ ही देश में कावड़ यात्रा का दौर शुरू हो जाता हैं। इस पावन मास के साथ ही शिव भक्तों में काफी उत्साह देखने को मिलता हैं। हर साल लाखों की संख्या में कांवड़ यात्री देश की पवित्र नदियों से जल ले जाकर अपने अपने क्षेत्र के शिवालयों में जाकर शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं। पुराणों में बताया गया है कि कांवड़ यात्रा देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने का सबसे सरल और सहज तरीका है। भगवान शिव के भक्त बांस की लकड़ी पर दोनों ओर बंधे हुऐ पात्र के साथ पवित्र नदियों के तट पर पहुंचते हैं और पात्र में जल भरकर लौट जाते हैं। कांवड़ को अपने कंधों पर रखकर लगातार यात्रा करते हैं और अपने क्षेत्र के शिवालयों में जाकर जलाभिषेक करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन में कभी कोई कष्ट नहीं होता है। साथ ही घर में धन-धान्य की कभी कोई कमी नहीं होती है और अश्वमेघ यज्ञ के समान फल मिलता है। धार, मध्यप्रदेश में आजादी के अमृत महोत्‍सव और भगवान शिव जी के प्रिय श्रावण और पुरुषोत्‍तम माह के पुण्‍य अवसर पर भारतीय जनता पार्टी ( BJP) के  पूर्व जिलाध्‍यक्ष श्री राज