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योग गुरु श्री धीरज शर्मा जी ने सर्वाधिक भुजंगासन कर गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में अपने नाम दर्ज किया मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय जी ने दिया वर्ल्ड रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट

योग और आयुर्वेद का जन्म भारत में हुआ और यहीं से इनका प्रकाश पूरी दुनिया में फैलता चला गया। योग और आयुर्वेद, दोनों विधाओं को मनुष्य ने प्रकृति से सीखा है। प्रकृति में उगने वाली जड़ी-बूटियों से खुद को स्वस्थ बनाने के लिए मानव ने आयुर्वेद का निर्माण किया। जबकि विभिन्न पशु-पक्षियों की मुद्राओं से सीखकर मनुष्य ने योग विद्या की रचना की है। योग और आयुर्वेद, सिर्फ मनुष्य को स्वस्थ करने के लिए ही नहीं हैं। ये असल में हमें जीवन जीने का तरीका बताते हैं और हमें भीतर से स्वस्थ बनाते हैं। ऐसा ही एक आसन भुजंगासन भी है, जिसके नियमित अभ्यास से हमें ढेरों फायदे मिलते हैं। इस आसन में शरीर की आकृति फन उठाए हुए भुजंग अर्थात सर्प जैसी बनती है इसीलिए इसको भुजंगासन या सर्पासन कहा जाता है। चूंकि यह दिखने में फन फैलाए एक सांप जैसा पॉस्चर बनता है इसलिए इस आसन का नाम भुजंगासन रखा गया है। नियमित रूप से यह आसन करने से रीढ़ की हड्डी सशक्त होती है और पीठ में लचीलापन आता है। यह आसन फेफड़ों की शुद्धि के लिए भी बहुत अच्छा है और जिन लोगों का गला खराब रहने की, दमे की, पुरानी खाँसी अथवा फेंफड़ों संबंधी अन्य कोई बी...

सर्वाधिक लोगो ने एक साथ जलनेति क्रिया कर रचा विश्व कीर्तिमान

भारत में प्राचीन काल से ही योग एक ऐसे ज्ञान के रूप में प्रचलित है जो व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ बनाता है। योग में कई ऐसी क्रियाओं का जिक्र मिलता है जो आप सभी को बीमारियों से दूर रखने के लिए उपयोगी मानी जाती है। योग और आयुर्वेद आपके शरीर को साफ रखने के विभिन्न तरीकों के बारे में बताते हैं। श्वसन प्रणाली को साफ रखने और नासिका के मार्ग से विषाक्त पदार्थों को दूर करने के लिए जलनेति क्रिया की जाती है। प्राचीन भारत में योगियों द्वारा श्वसन रोगों को रोकने और दूर करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता था। इस क्रिया से आप नाक व सांस से संबंधी कई बीमारियों और संक्रमण को दूर कर सकते हैं। जैसे ही कोई भी मौसम बदलता है तो शरीर के कुछ अंग तुरंत इससे प्रभावित हो जाते हैं, खासतौर पर नाक, गला और आंखें। मौसम बदलने पर अक्सर नाक बंद होने, छींक आने, आंखों में खुजली महसूस होने, गला बैठने व कंजेशन की समस्या का सामना करना पड़ता है। जलनेति क्रिया करने से इन समस्याओं से राहत मिल सकती है। हिमाचल प्रदेश के रामपुर बुशहर में नेशनल कैडेट कोर (NCC) एवं हिमालय हरिद्वार अस्पताल योग समिति गानवी के संयुक्त तत्व...

नन्ही समृद्धि ने छोटे से बॉक्स में 100 योग मुद्राएँ कर रचा विश्व कीर्तिमान गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में नाम दर्ज

भारतीय सांस्कृतिक विरासत में योग को एक महत्वपूर्ण धरोहर माना जाता है। योग एक शास्त्रीय और धार्मिक अभ्यास है जो शारीरिक, मानसिक, और आत्मिक स्वास्थ्य को सुधारने का माध्यम प्रदान करता है। योग का अभ्यास भारतीय संस्कृति में हजारों वर्षों से हो रहा है और इसे वेदों, उपनिषदों, और पुराणों में विस्तृत रूप से वर्णित किया गया है। योग का सिद्धांत भारतीय संस्कृति में 'संयुक्तता' और 'एकता' की भावना को प्रोत्साहित करता है और इसे एक स्वस्थ और संतुलित समाज की दिशा में एक महत्वपूर्ण धरोहर बनाता है। आजकल की व्यस्त जीवन शैली में योग बहुत ही आवश्यक हो गया है। योग का नियमित अभ्यास करने से व्यक्ति अपने दिनचर्या में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है और उसे बेहतर और स्वस्थ जीवन जीने की दिशा में आगे बढ़ने में मदद मिल सकती है। योग भारत द्वारा विश्व को दी गई एक अद्भूत भेंट हैं जिसे पूरी दुनिया में "विश्व योग दिवस" के रूप में हर साल 21 जून को मनाया जाता है। यह दिन योग की महत्ता और इसके लाभों को प्रमोट करने के लिए समर्पित है। आजकल की व्यस्त जीवन शैली में योग बहुत ही आवश्यक हो गया है। स्त्री हो ...

योग और प्रकृति प्रेमी श्री हरिचन्द्र जी ने 72 वर्ष की उम्र में बनाये 8 विश्व कीर्तिमान

02 जनवरी 1950 को छोटे से गाँव औरंगाबाद – मितरौल (तहसील होडल, जिला पलवल) मे पिता श्री लालाश्रीचंद गर्ग जी तथा माता श्रीमती किरण देवी जी के यहाँ जन्म लेने वाले, श्री हरि चंद्र गर्ग शुरू से ही बहुत ही मेहनती रहे है। जब वे कक्षा छः की पढ़ाई कर रहे थे, उसी कालावधि में एक दुर्घटना में उनके पिताजी विकलांग हो गए। पारिवारिक परिस्तिथियों के चलते समय से पूर्व ही जिम्मेदारियों का वहन करना पड़ा, इसी के साथ-साथ उन्होंने अपनी हाई स्कूल तक की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई के उपरांत वर्ष 1973 में उन्होंने लोक निर्माण विभाग में नौकरी प्रारंभ की एक साल तक नौकरी करने के बाद वो नौकरी छोड़ कर उसी विभाग में ठेकेदारी का कार्य करने लगे जो उन्होंने 2015 तक किया। वर्तमान समय में फरीदाबाद में निवास करने वाले 70 वर्षीय श्री हरीचन्द्र गर्ग (Mr. Hari Chandra Garg) जी को प्रकृति से विशेष प्रेम हैं। उनके इसी प्रेम के चलते उन्होंने अपने घर के पास स्थित कचरा डालने वाले स्थान (garbage dump) को साफ किया एवं उसमे कई तरह के उपयोगी पौधे जैसे तुलसी, एलोवेरा, गिलोय, आँवला, गेंदा, गुड़हल आदि के पौधे लगाए है। श्री गर्ग जी के निज निवास की बगिया...