Skip to main content

पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट के नाम दर्ज हैं कई वर्ल्ड रेकॉर्ड्स

योग और स्वास्थ्य मानव जीवन के दो महत्वपूर्ण आधारभूत स्तंभ हैं, और इसे समझने और अपनाने के लिए हमें सही मार्गदर्शन और संसाधनों की आवश्यकता होती है। भारतीय संस्कृति में योग और आयुर्वेद की महत्वपूर्ण भूमिका है, और पतंजलि योगपीठ इसी परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसकी स्थापना योगगुरु स्वामी रामदेव जी (Swami Ramdev)और आचार्य  बालकृष्ण जी (Acharya Balkrishna) ने की थी। यह संगठन योग के माध्यम से मानव जीवन को स्वस्थ, सुखी और शांतिपूर्ण बनाने का प्रयास कर रहा है।पतंजलि योगपीठ अपनी कई विशेषताओं के लिए जाना जाता है। यह संस्थान पतंजलि योगपीठ के नाम से विख्यात हुआ है, जो पतंजलि महर्षि को समर्पित है। महर्षि पतंजलि ने योग के विभिन्न पहलुओं को समेटे हुए एक आधारभूत प्रणाली को विकसित किया, जिसे "पतंजलि योगसूत्र" के रूप में जाना जाता है। पतंजलि योगपीठ इस योग सूत्र की शिक्षा और अभ्यास पर आधारित है, जिससे यह संस्थान योग के क्षेत्र में एक प्रमुख संस्था बन गया है।पतंजलि योगपीठ के आयुर्वेदिक अस्पताल में विभिन्न रोगों का उपचार किया जाता है और इसमें प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियाँ अपनाई जाती हैं। यहां पर आयुर्वेदिक औषधियों और पौधों का संग्रह भी किया जाता है जो मानव स्वास्थ्य में उपयोगी होते हैं। 

पतंजलि योगपीठ, योग और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपनी अद्वितीय पहचान और महत्वपूर्ण योगदान के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। इस संस्थान ने विभिन्न दिशाओं में विश्व रिकॉर्ड बनाकर अपने क्षेत्र में अनोखी पहचान बनाई है। 

पतंजलि योगपीठ द्वारा स्थापित यह वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने आप में अद्भूत हैं, जहाँ एक कार्यक्रम के दौरान सबसे अधिक वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया गया। स्वामी रामदेव जी के मार्गदर्शन में  कोटा, राजस्थान (Kota, Rajasthan) में विश्व योग दिवस के उपलक्ष्य में पतंजलि योगपीठ द्वारा 99 विश्व रिकॉर्ड बनाये गए जिसे गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Golden Book of World Records) में "Most World Record Set in an Event" के शीर्षक के साथ वर्ल्ड रिकॉर्ड के रूप में दर्ज किया गया। इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. जयदीप आर्य (Dr. Jaideep Arya) ने किया और पतंजलि योगपीठ (Patanjali Yogpeeth), राजस्थान सरकार (Government of Rajasthan) और रेजोनेंस एडवेंचर्स लिमिटेड (Resonance Adventures Ltd.) द्वारा आयोजित किया गया।

पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट, हरिद्वार में योगगुरु स्वामी रामदेव जी (Swami Ramdev)और आचार्य  बालकृष्ण जी (Acharya Balkrishna) के मार्गदर्शन में सन् 1997 में पहले आयुर्वेदिक संग्रहालय का उद्घाटन किया गया जिसमे आयुर्वेदिक औषधीय मूल के पौधो, झाड़ियों, लताओं एवं पेड़ों की 700 से भी अधिक किस्मे मौजूद है। यह दुनिया का पहला ऐसा संग्रहालय हैं जो पूर्णतः रूप से आयुर्वेद को समर्पित हैं। संग्रहालय की इसी विशेषता के कारण गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड द्वारा "First Ayurvedic Museum" के टायटल के साथ इसे एक वर्ल्ड रिकॉर्ड के रूप में दर्ज किया गया।

पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट, हरिद्वार में योगगुरु स्वामी रामदेव जी (Swami Ramdev)और आचार्य  बालकृष्ण जी (Acharya Balkrishna) के मार्गदर्शन में और भी कई एसे निर्माण किये गए, जिन्हें उनकी अद्भूत विशिष्टताओं के कारण उन्हें एक वर्ल्ड रिकॉर्ड के रूप में दर्ज किया गया जिनमे से कुछ उदहारण प्रस्तुत है

औषधीय पौधो के संग्रहण हेतु पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट, हरिद्वार में एक गोदाम का निर्माण करवाया गया, जिसका निर्माण 3,00,000 (3 लाख) वर्ग फुट के क्षेत्र में कराया गया। औषधीय पौधो के लिए सबसे बड़े गोदाम होने के कारण "Largest Warehouse of Medicinal Plants" के टायटल के साथ गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में लिया गया।

पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट, हरिद्वार द्वारा विभिन्न प्रकार के औषधीय पौधो का चित्रण करते हुए 18,000 से अधिक की संख्या में चित्रों के निर्माण और संगृह किया गया जिसके लिए योगपीठ को "Largest Collection of Medicinal Plant Paintings’' के टायटल के साथ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया।

पतंजलि योगपीठ के द्वारा बनाए गए ये विश्व रिकॉर्ड उसकी महानता और मेहनत का प्रमाण हैं। ये रिकॉर्ड लोगों को योग और आयुर्वेद के महत्व को समझने का और इन्हें अपने जीवन में शामिल करने का प्रेरणा स्रोत हैं। पतंजलि योगपीठ ने विश्व भर में योग और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपनी महानता का प्रदर्शन किया है और लोगों को स्वस्थ और समृद्ध जीवन की ओर प्रेरित किया है।

Other Source Links - 

Patanjali Award Pages


Comments

Popular posts from this blog

डॉ. सुधीर हरबंस लाल जैन घुटनों एवं जोड़ो के दर्द से परेशान मरीजों को निःशुल्क लाल तेल का सर्वाधिक वितरण का बनाया विश्व कीर्तिमान

जोड़ों का दर्द एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या है जो किसी भी व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है, आमतौर पर, जोड़ों के दर्द में घुटने का दर्द, कंधे या गर्दन का दर्द, कोहनी और कुल्हे का दर्द शामिल होता है। यह दर्द विभिन्न कारणों से हो सकता है, जैसे कि अव्यवस्थित खानपान, अधिक शारीरिक कार्य, जबकि कभी-कभी यह अन्य बीमारियों  के कारण रूमेटॉयड आर्थराइटिस, ऑस्टियोआर्थराइटिस, और गठिया जैसी बीमारियां भी जोड़ों के दर्द का कारण बन सकती हैं। सही जीवनशैली और नियमित चेकअप से यह संभावना है कि जोड़ों की समस्याओं को सही समय पर पहचाना जा सके और उचित उपचार की शुरुआत की जा सके। तेल की मालिश जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए बहुत ही अच्छा विकल्प माना जाता हैं जिसका परामर्श कई चिकित्सकों द्वारा दिया जाता हैं। राजस्थान, कोटा के रहने  वाले एवं जैन कांफ्रेंस, नई दिल्ली के राष्ट्रीय मंत्री  डॉ. सुधीर हरबंस लाल जैन जी (Dr. Sudhir Harbans Lal Jain) का नाम समाज में एक प्रतिष्ठित एवं सदैव जरूरत मंदों की सहायता करने वाले के रूप में लिया जाता हैं। "दुःख में सुख खोज लेना, हानि में लाभ खोज लेना एवं प्रतिकूल...

दैनिक भास्कर पाली के 21वें स्थापना दिवस पर 6000 किलो हलवे का निर्माण कर रचा विश्व कीर्तिमान गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में रिकॉर्ड दर्ज

राजस्थान विशेष रूप से अपने परंपरागत व्यंजनों एवं अपनी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। यहां के खाने का स्वाद, उसकी महक और विविधता कुछ अलग ही होती है। राजस्थान भारतीय राज्यों में एक विशेष स्थान रखता है जिसकी संस्कृति, ऐतिहासिक विरासत, और विविधता को व्यक्त करने में उसके व्यंजनों का महत्वपूर्ण योगदान है। राजस्थानी खाना भिन्न और अत्यधिक स्वादिष्ट होता है, जिसमें संस्कृति, रंग, और स्वाद का एक सुंदर संगम होता है। राजस्थानी भोजन में अलग-अलग चर्चित व्यंजनों के साथ-साथ, खाने के प्रति लोगों की उत्सुकता और उनकी आत्मिक संतोष की भावना भी देखने को मिलती है। राजस्थान का खाना व्यंजनों का अनूठा संगम है, जो स्थानीय सामाजिक और सांस्कृतिक परंपराओं का प्रतिनिधित्व करता है। अलग-अलग राजस्थानी शहरों में विभिन्न खाने की प्रकृतियों की विशेषता होती है, जो इसे भारतीय खाने की विविधता में एक अद्वितीय स्थान प्रदान करती है। इस राज्य के व्यंजन न केवल उसके स्थानीय निवासियों के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि पर्यटकों के बीच भी इसका बहुत महत्व है, जो राजस्थान की सांस्कृतिक और रसोई समृद्धि दर्शाता हैं। राजस्थान के मारवाड़ ...

कमल शर्मा ने चक्रासन की मुद्रा में सबसे तेज़ 100 मीटर दूरी तय करके रचा विश्व कीर्तिमान, गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ नाम

"योग" शब्द का उद्गम संस्कृत भाषा से है और इसका अर्थ "जोडना, एकत्र करना" है। योगिक व्यायामों का एक पवित्र प्रभाव होता है और यह शरीर, मन, चेतना और आत्मा को संतुलित करता है। योग के प्राथमिक लाभों में से एक शारीरिक स्वास्थ्य और लचीलेपन को बढ़ावा देने की इसकी क्षमता है। योग में अभ्यास किए जाने वाले विभिन्न आसन या मुद्राएँ मांसपेशियों को धीरे-धीरे खींचती और मजबूत करती हैं, जोड़ों के लचीलेपन में सुधार करती हैं।नियमित अभ्यास के माध्यम से, अभ्यासकर्ताओं को ऊर्जा के स्तर में वृद्धि, मुद्रा में सुधार और शारीरिक बीमारियों के जोखिम में कमी का अनुभव होता है। योग के विभिन्न मुद्राओं एवं आसनों में से एक आसन हैं चक्रासन।चक्रासन एक बेहतरीन योगासन है, जिसे अंग्रेजी में व्हील पोज (Wheel Pose) भी कहा जाता है। इसे योग में उर्ध्व धनुरासन नाम भी दिया गया है। यह शरीर के एक-एक अंग को फायदा पहुंचाता है। सबसे बड़ी बात यह आपके दिल की हर मसल्स को खोल देता है। चक्रासन योग, ऐसी मुद्रा है जिसका अभ्यास काफी कठिन माना जाता है। शारीर के लचीलेपन और मांसपेशियों को अधिक मजबूती देने के प्रशिक्षित योगाभ्या...