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शिक्षा और संस्कृति को उत्कर्ष पर पहुचाने वाले "पर्यावरण भूषण" डॉ. शिव वरण शुक्ल (Dr. Shiv Varan Shukla) के नाम दर्ज हुए कई विश्व कीर्तिमान

 


डॉ. शिववरण शुक्ल (Dr. Shiv Varan Shukla) का संपूर्ण जीवन शिक्षा के क्षेत्र में समर्पित रहा आप छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष पद से सेवानिवृत है अपने संपूर्ण कार्यकाल में उन्होंने विभिन्न शिक्षण संस्थाओं में सेवाएं दी तथा शिक्षाविद् के रूप में उनके कार्य विद्यार्थियों के साथ-साथ उच्च शिक्षा से जुड़े संस्थान और शोधार्थियों के लिए भी अनुकरणीय हैं। उन्होंने कहा कि कर्मठ व्यक्ति के लिए कोई भी राह कठिन नहीं होती है और यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि डॉ. शुक्ल न केवल कर्मठ हैं, बल्कि अपने दायित्वों का बखूबी निर्वहन किया। "मन से की गई मेहनत से सफलता अवश्य मिलती है" यह कथन डॉ. शुक्ल के जीवन से सीखा जा सकता है। यह उल्लेखनीय है कि डॉ. शिववरण शुक्ल जी कि अध्यक्षता में छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग ने अनेक उपलब्धिया हांसिल की है जिसमे आयोग का नाम कई बार गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Golden Book of World Records) में दर्ज किया गया।


डॉ. 
शिववरण शुक्ल का जन्म भारत के उत्तर प्रदेश के रायबरेली के सरवरियन का पुरवा, रायपुर गौरी वर्तमान शिव नगर में  22 फरवरी 1952 को हुआ। डॉ. शुक्ल प्रारंभ से ही प्रतिभा के धनी रहे। डॉक्टर शुक्ल ने 1983 में पीएचडी प्राप्त कर शिक्षा क्षेत्र की सर्वोच्च डिग्री विश्व में सबसे कम आयु में प्राप्त कर प्रथम बार वैश्विक प्रतिष्ठा प्राप्त की। सन 1990 में विश्व संस्कृत सम्मेलन, विएना (ऑस्ट्रिया) में विश्व के सबसे कम आयु वाले प्रोफेसर शुक्ल एक सेशन के चेयरमैन बन द्वितीय बार वैश्विक प्रतिष्ठा प्राप्त की।


सन 1992 में वर्ल्ड अर्थ कॉन्फ्रेंस, रियो डी जनेरियो, ब्राजील में डॉक्टर शुक्ल ने UNCED (United Nations Conference on Environment and Development) को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि भारतीय संस्कृति के सिद्धांतों से ही प्रदूषण की समस्या का आत्यंतिक निदान किया जा सकता है। इस तथ्य को स्वीकार करते हुए UNCD ने प्रोफेसर शुक्ल को अपनी कान्फ्रेंस में Observer के रूप में आमंत्रित किया।

सन 2001 में डॉक्टर शुक्ल ने पर्यावरण-संस्कृति के माध्यम से सतत विकास को प्रभावित करने वाली बाईस (22) अभिधारणाओं वाली 'पर्याकृति शास्त्रम्' ग्रंथ की रचना की। जिसे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Golden Book of World Records) "Book With Most Postulates Influencing Sustainable Development Through Environment-Culture" के शीर्षक के साथ वर्ल्ड रिकॉर्ड रूप में दर्ज किया गया।

21 अप्रैल से 12 जून 2003 तक प्रोफेसर शुक्ल ने संपूर्ण उत्तर प्रदेश की पर्यावरण संस्कृति के प्रचार-प्रसार हेतु समस्त जनपदों की 7711 किलोमीटर की पर्यावरणीय यात्रा की और इस यात्रा के मध्य प्रोफेसर शुक्ल 153 पर्यावरण संस्कृति के सम्मेलन भी आयोजित किए जिससे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Golden Book of World Records) ने Most sessions on Environment & Culture (Campaign) के शीर्षक के साथ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सम्मिलित किया।

13 अक्टूबर से 24 अक्टूबर 2004 तक डॉ शुक्ला ने पतित पावनी गंगा जी के तट पर संस्कृत विद्यालय मठ, डलमऊ में 253 घंटे : 51 मिनट (253 Hour  : 51 Minute) लगातार पर्यावरण संस्कृति पर प्रवचन करते रहे जिसे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Golden Book of World Records) ने Longest session on Environment and culture  के शीर्षक के साथ विश्व रिकॉर्ड के रूप में स्वीकार किया।


जी -20 सफल रहे भारत 'विश्व गुरु' बने और माननीय प्रधानमंत्री जी 'पृथ्वी रत्न' के रूप में सर्वमान्य हों, राष्ट्रहित की कामना से फरवरी 21-22, 2023 को पं. रामप्रसाद शुक्ल सरवरियां का पुरवा (शिव नगर) राय पुर गौरी (स्थान का नाम) में लगातार 27 घंटो तक महामृत्युंजय मंत्र का जाप विश्व कीर्तिमान स्थापित किया उनके इस प्रयास को गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स (Golden Book of World Record) में "Longest Mantra Chanting by an Individual" के शीर्षक के साथ एक वर्ल्ड रिकॉर्ड के रूप दर्ज किया।



17 दिसंबर 2020 को डॉ शुक्ल ने छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग, रायपुर के चेयरमैन के रूप में महामहिम सुश्री अनुसुइया उइके जी, राज्यपाल छत्तीसगढ़ के निर्देशन में ऐसा Webinar किया जिसे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Golden Book of World Records) "First Webinar of Multiple Private Universities Administrative Authorities" के शीर्षक के साथ वर्ल्ड रिकॉर्ड रूप में दर्ज किया गया।
06 अक्टूबर, 2020, फरवरी, 2022 के दौरान; डॉ. शुक्ल ने छत्तीसगढ़ के  निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग में अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। डॉ. शुक्ल के मार्गदर्शन में आयोग ने विभिन्न विश्वविद्यालयों की दस (10) स्मृति चिन्हों का प्रकाशन किया। जिसे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Golden Book of World Records) "Most Souvenirs of Universities Published in Working Tenure of an Individual" के शीर्षक के साथ वर्ल्ड रिकॉर्ड रूप में दर्ज किया गया।


15 फरवरी, 2022 को; सुश्री अनुसुइया उइके (राज्यपाल: छत्तीसगढ़) के मार्गदर्शन में, अट्ठाईस (28) विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने 'भारतीय ज्ञान और संस्कृति के वैश्विक आयाम' पर आयोजित 14H: 41M लंबे वेबिनार में भाग लिया। वेबिनार का आयोजन डॉ. शिव वरण शुक्ला द्वारा किया गया। जिसे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Golden Book of World Records) "Most Vice-Chancellors Participating in a Webinar" के शीर्षक के साथ वर्ल्ड रिकॉर्ड रूप में दर्ज किया गया।


डॉक्टर शुक्ल अलौकिक प्रतिभा, अति उत्साह और कर्म निष्ठा से ऐसे आपूरित हैं कि 22 फरवरी 2022 को 70 वर्ष की आयु में चेयरमैन के पद से सेवानिवृत्त होकर भी अपने मूल निवास रायबरेली जनपद में आकर 03 जून 2022 को राष्ट्रीय स्तर का विशाल बौद्धिक सम्मेलन हिंदी भवन, नई दिल्ली में आयोजित किया जिस के मुख्य अतिथि कीर्ति चक्र डॉ अजित डोवाल, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भारत सरकार रहे।


डॉ. शुक्ला ने कीर्ति चक्र डॉ. अजीत डोभाल (राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, भारत) के जीवन और उपलब्धियों पर एक कविता शो का आयोजन किया है। डॉ. डोभाल की 77वीं जयंती के उपलक्ष्य में 43 कवियों ने अपनी कविता का पाठ किया। जिसे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Golden Book of World Records) "First Poetry Show on the Life of a Personality" के शीर्षक के साथ वर्ल्ड रिकॉर्ड रूप में दर्ज किया गया।

संस्कृत शोध संस्थान के डॉ. शुक्ल ने कीर्ति चक्र डॉ. अजीत डोभाल (राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, भारत) की 77 वीं जयंती मनाने के लिए सोलह (16) पृष्ठों का निमंत्रण पत्र भेजा। जिसे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Golden Book of World Records) "Longest Invitation Card" के शीर्षक के साथ वर्ल्ड रिकॉर्ड रूप में दर्ज किया गया।


डॉ. शुक्ल को पूर्व प्रधानमंत्री माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेई जी ने 30 नवंबर, 1993 को ही अपने पत्र में- 'आप अवश्य ही भारत का सम्मान बढ़ाने में सहायक होंगे'- लिखकर प्रोफेसर शुक्ल को आशीष प्रदान किया है। अंततः यह कहा जा सकता है कि रायबरेली के अति ग्रामीण क्षेत्र में जन्मे प्रोफेसर शुक्ल ने जहां उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अनेक वैश्विक मानक स्थापित किए हैं वही भारत राष्ट्र गौरव के संवर्धन में अनेक विश्व स्तरीय कार्य करके वैश्विक यशस्विता प्राप्त की। आज अनेक वैश्विक स्तर के मूर्धन्य विद्वानों द्वारा एक स्वर से प्रोफेसर शुक्ल को वैश्विक प्रतिभा का धनी माना जाने लगा है। यह भारत के लिए गौरव की बात है।

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