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मतदाता जागरूकता के लिए हजारों दीप जलाकर दिया मतदान का संदेश गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज

26 जनवरी 1950 को भारत में संविधान लागू हुआ, उससे पहले हमारा देश ब्रिटिश सरकार के गुलाम था और ब्रिटिश सरकार से पहले देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं थी। देश में राजाओं के द्वारा शासन चलाया जाता था और वहां पर सभी को समान अधिकार नहीं मिलता था। ऐसे में 26 जनवरी 1950 को जब देश में संविधान लागू हुआ तो देश में लोकतंत्रिक व्यवस्था लागू की गई। जिसकी वजह से देश के प्रत्येक नागरिक को अपना शासक चुनने का अधिकार और एक आम आदमी को भी उम्मीदवार के रूप में खड़े होने का अधिकार प्राप्त हुआ। लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता के द्वारा ही हर शासक को चुना जाता है। कौन सत्ता में रहेगा, कौन जीतेगा और कौन नहीं जीतेगा। इनका निर्धारण जनता और देश के नागरिक के द्वारा किया जाता है। जनता के द्वारा अपने खुद के प्रतिनिधि को मतदान करके चुना जाता है। मतदान का महत्व जनता और प्रतिनिधि दोनों के लिए बहुत अधिक होता है। मतदान का अधिकार एक मौलिक अधिकार है। यह अधिकार हमें संविधान द्वारा प्रदान किया गया है। मतदान के माध्यम से हम अपने देश के प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं। ये प्रतिनिधि हमारी सरकार बनाते हैं और हमारे देश का शासन करते

मुंगेली में आयोजित मतदाता जागरूकता कार्यक्रम "संकल्प पत्र महाअभियान" गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज

सुव्‍यवस्थित मतदाता शिक्षा एवं निर्वाचक सहभागिता कार्यक्रम, स्‍वीप (SVEEP) के रूप में अधिक जाना जाता है। SVEEP का फुल फॉर्म Systematic Voters Education and Electoral Participation होता हैं। यह भारत के चुनाव आयोग की एक पहल है जिसका उद्देश्य मतदाता शिक्षा को बढ़ावा देना है, ताकि देश के नागरिकों को उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में जागरूक किया जा सके। SVEEP की शुरुआत 2009 में हुई थी, तथा इसका प्रमुख लक्ष्‍य निर्वाचनों के दौरान सभी पात्र नागरिकों को मत देने और जागरूक निर्णय लेने के लिए प्रोत्‍साहित करके भारत में सही मायनों में सहभागी लोकतंत्र का निर्माण करना है। इस कार्यक्रम का परिणाम है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान, मतदाता पंजीकरण लगातार बढ़ रहा है और युवा मतदाताओं और महिलाओं से अधिक भागीदारी के साथ मतदान के प्रतिशत बढ़ रहा हैं। छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले में मतदाता जागरूकता कार्यक्रम "संकल्पपत्र महाअभियान" का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम जिला कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री राहुल देव जी (Mr. Rahul Dev, IAS) के मार्गदर्शन में शिक्षा विभाग, मुंगेली द्वारा आयोजित किया

बेमेतरा जिले की हज़ारों महिलाओं ने मतदान की शपथ ग्रहण कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया

भारत में महिलाओं की स्थिति हमेशा एक समान नहीं रही है। इसमें समय-समय पर हमेशा बदलाव होता रहा है। यदि हम महिलाओं की स्थिति का आंकलन करें तो पता चलेगा कि वैदिक युग से लेकर वर्तमान समय तक महिलाओं की सामाजिक स्थिती में अनेक तरह के उतार-चढ़ाव आते रहे हैं, और उसके अनुसार ही उनके अधिकारों में बदलाव भी होता रहा है। इन बदलावों का ही परिणाम है कि महिलाओं का योगदान भारतीय राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक व्यवस्थाओं में दिनों-दिन बढ़ रहा है। लोकतंत्र में मतदान की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है। इसमें महिलाओं का मतदान के प्रति जागरूक होना अति आवश्यक हैं। यदि महिलाएं जागरूक हो तो वह अपने पूरे परिवार को मतदान के लिए प्रेरित कर बूथ तक पहुंचाने का क्षमता रखती है। छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में महिला मतदाता जागरूकता के लिए एक विशेष आयोजन जिले के प्रत्येक नगरीय निकाय और प्रत्येक ग्राम पंचायत के प्रत्येक वार्ड में आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम जिला कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री रणबीर शर्मा जी (Mr. Ranbir Sharma, IAS) एवं सी.ई.ओ. जिला पंचायत श्री टेकचन्द अग्रवाल जी (Mr. Techand Agrawal, CEO

नवज्योत सिंह गुरुदत्ता ने समुद्र तल से लगभग 13,000 फीट ऊपर आकाश में सिख ध्वज "निशान साहिब" फहरा कर बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड

सिख धर्म में निशान साहिब का बहुत महत्व है. इसे सिख ध्वज भी कहा जाता है। यह एक त्रिकोणीय ध्वज होता है, जिसका रंग भगवा होता है और बीच में गहरे नीले रंग का खंडा चिन्ह होता है। निशान साहिब सिखों के सभी गुरुद्वारों और धार्मिक परिसरों पर फहराया जाता हैं। निशान साहिब के प्रति सिख धर्म के अनुयायियों द्वारा विशेष सम्मान दिखाया जाता है क्योंकि यह सिख आस्था के अंतर्निहित मूल्यों का प्रतीक है- एक ईश्वर, सभी मनुष्यों की समानता, सभी के लिए प्यार और सम्मान, सेवा और समर्पण का जीवन, आदि। इतिहास के पन्ने बताते है कि प्रारंभिक काल में धन गुरु अमर दास जी के समय निशान साहिब जी का रंग शांति और सादगी का प्रतिनिधित्व करने के लिए सफेद था। गुरु हरगोबिन्द सिंह जी के समय में निशान साहिब पीले रंग की छाया में बदले गए। सन् 1609 में पहली बार धन गुरु हरगोबिन्दजी ने अकाल-तख़्त पर केसरिया निशान साहिब फहराया था। कई लोगों का मानना है कि निशान साहिब जी का प्रथम उपयोग धन गुरु हरगोबिन्द जी ने किया था। भारतीय उद्यमी और डिजिटल मार्केटर श्री नवज्योत सिंह गुरुदत्ता जी (Navjyot Singh Gurudatta) जिन्हें भारत के शाइनिंग सिख के नाम

वरिष्ठ चित्रकार श्री पुरुषोत्तम सोलंकी जी ने पुराने तरीके से कैनवास पर फ़िल्मी पोस्टरों का चित्रण कर बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में नाम दर्ज

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को दुनिया भर में बॉलीवुड के नाम से जाना जाता है। दुनिया में सबसे ज्यादा फिल्में बनाने का रिकॉर्ड भारत के नाम है। सेंसर बोर्ड के मुताबिक भारत में हर साल करीब 20 से भी ज्यादा भाषाओं में 1500 से 2000 फिल्में बनाई जाती हैं। भारतीय सिनेमा की शुरुआत 1913 में हुई, जब भारत की पहली मूक फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' बनी थी। यह फिल्म जाने-माने लेखक भारतेंदु हरिशचंद्र के नाटक 'हरिशचंद्र' पर आधारित थी। इस फिल्म को महान फिल्ममेकर दादा साहब फाल्के जी ने बनाया था। फाल्के जी के प्रयासों से ही भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की नींव पड़ी। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के शुरूआती दौर में में तकनिकी इतनी विकसित नहीं थी, उस समय फिल्मों के पोस्टर चित्रकारों द्वारा हाथों से निर्मित किये जाते थे। आज तो ऐसा समय है जब पोस्टर को बड़ी और अच्छी तकनीकों के साथ चमका कर और एडिटिंग सॉफ्टवेयर के साथ बनाया जाता है। कहा जाता है एक फिल्म की सफलता का आधार कई प्रतिशत तक उसके पोस्टर पर भी निर्भर करता है। किसी भी फिल्म का पहला इम्प्रेशन उसका पोस्टर ही होता हैं इसलिए इन फ़िल्मी पोस्टरों के निर्माण में कड़ी मेहनत क

दुनिया के सबसे ऊंचे मां उमिया मंदिर के शिलान्यास समारोह में हजारों महिलाओं ने जवारा यात्रा निकालकर रचा विश्व कीर्तिमान

हिंदू धर्म में नवरात्रि के त्यौहार का विशेष महत्व है, पूरे वर्ष में चार बार नवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है। नवरात्रि के दौरान देवी भगवती के नौ रूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है और व्रत रखे जाते हैं। इस त्यौहार में जौ या ज्वार का बहुत महत्व है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के दिन घरों और मंदिरों में जौ बोने का महत्व है। जौ के बिना नवरात्रि की पूजा अधूरी मानी जाती है। हिंदू धर्म में जौ को देवी अन्नपूर्णा का प्रतीक माना जाता है। यह एक पौराणिक मान्यता है कि जब भगवान ब्रह्मा ने ब्रह्मांड का निर्माण किया, तो वनस्पतियों के बीच उगने वाली पहली फसल जौ या ज्वार थी। इसे पूर्ण फसल भी कहा जाता है. यही कारण है कि नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के साथ ज्वारे बोए जाते हैं और देवी-देवताओं की पूजा करते सयम या हवन पूजन के दौरान ‘जौ’ को अर्पित किया जाता है। विश्व उमिया फाउंडेशन (Vishv Umiya Foundation) द्वारा वैष्णोदेवी सर्कल में जसपुर के पास 431 फीट पर दुनिया के सबसे ऊंचे मां उमिया मंदिर का शिलान्यास समारोह का आयोजन किया गया। समारोह के दौरान महिलाओं द्वारा जवारा यात्रा निकली। गयी इस यात्रा म

जिला प्रशासन ने मतदाताओं के घर ’चुनई-जगार’ नेवता कार्ड पहुँचाकर बनाया विश्व कीर्तिमान गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में नाम दर्ज

मतदान लोकतंत्र का एक अभिन्न अंग है, हर किसी को वोट देने का अधिकार है। लोकतांत्रिक तथा चुनावी प्रक्रिया में मतदाता की भागीदारी किसी भी लोकतंत्र को सफलतापूर्वक चलाने का अभिन्न हिस्सा होती है। मतदान एक ऐसा साधन है जिसके माध्यम से जनता अपने लिए उपयुक्त नेता चुन सकती है, और राजनीतिक प्रणाली को संचालित करने के लिए अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकती है। मतदान एक अधिकार से ज्यादा हर नागरिक का अपने देश के प्रति एक कर्त्तव्य हैं, जो हमारे देश के भविष्य को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है। मतदान राजनेताओं को उनके कार्यों के लिए जवाबदेह बनाए रखने में मदद करता है और हमारे लोकतंत्र के लिए रूपरेखा तैयार करता है। देश के बारे में लिए गए निर्णयों में अपनी राय रखने के लिए लोगों को वोट देने के लिए प्रेरित करना महत्वपूर्ण है और मतदान ऐसा करने के सबसे महत्वपूर्ण तरीकों में से एक है। मतदान प्रक्रिया के बारे में जागरूकता बढ़ाने और लोगों को चुनाव में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए मतदाता जागरूक अभियान महत्वपूर्ण हैं। छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में प्रशासन द्वारा लोगों को मतदान के लिए प्रेरित करने के लिए