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राहुल भाटी ने एक मिनट में सर्वाधिक साफ़े बांधकर गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया अपना नाम

पगड़ी भारतीय संस्कृति में गरिमा और सम्मान का प्रतीक मानी जाती हैं। यह व्यक्ति को उसकी राष्ट्रीय और सांस्कृतिक पहचान का अहसास कराती है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की पगड़ियां पहनी जाती हैं, और इनमें से प्रत्येक का अपना विशेष महत्त्व और अर्थ होता है। पगड़ी पुराने समय से ही भारतीय समाज में परंपरागत भूमिका निभाती आई है। इसे विशेष अवसरों और धार्मिक पर्वों पर विशेष रूप से उपयोग में लिया जाता है। कई बार पगड़ी का आकार, रंग और बनावट व्यक्ति कि सामाजिक और आर्थिक स्थिति को दर्शाती है। उच्च वर्ग के व्यक्ति और महाराजाओं के लिए अलग-अलग प्रकार की पगड़ियां होती हैं। कुछ स्थानों पर पगड़ी को धार्मिक आधार पर भी महत्त्वपूर्ण माना जाता है। इसे धार्मिक आस्थाओं और आदर्शों के साथ जोड़ा जाता है। कई बार पगड़ी राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों का भी हिस्सा बनती है। जोधपुर, राजस्थान के श्री राहुल भाटी (Rahul Bhati) जी ने दूसरों को पगड़ी यानी साफा बाँधकर अपनी शान ही नही बल्कि जोधपुर समेत पुरे राजस्थान की शान बढ़ाने का बेमिसाल कार्य किया है। आमतौर पर जितनी समयावधि में व्यक्ति के लिए एक साफ़े को बंधना भी

अण्डों पर पक्षियों के चित्र बनाकर प्रोफेसर डॉ. अरुण खेर जी ने रचा विश्व कीर्तिमान

पर्यावरण को संतुलित रखने के लिए पेड़-पौधों के साथ-साथ पशु-पक्षियों की भी अहम भूमिका होती है। पक्षी बीजों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने का भी काम करते हैं, जिससे की पर्यावरण हरा-भरा बना रहता है। जहाँ पर पक्षियों की चहचहाट होती है वहाँ का पर्यावरण संतुलित होता है। पक्षी पर्यावरण के प्रमुख घटक होते हैं, पक्षियों के बीट में यूरिया होता है जो खाद का काम करता है और वे हानिकारक फसल कीटों को नष्ट कर के, जैव नियंत्रण में भी हमारी सहायता करते हैं। पक्षी हमारे पर्यावरण के अभिन्न अंग हैं। परंतु अवैध शिकार एवं वन क्षेत्र घटने से कुछ पक्षियों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। आज विकास की तेज आंधी का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव जैव विविधता पर पड़ रहा है, पक्षियों की अनेक प्रजातियों की संख्या में तीव्र गति से गिरावट आ रही है तथा अनेक प्रजातियाँ तो आज लुप्त होने की कगार पर हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए पक्षियों को संरक्षित करना हमारा परम कर्तव्य बनता है। इंदौर, मध्य प्रदेश के निवासी प्रोफेसर डॉ. अरुण खेर जी (Dr. Arun Kher) जोकि होलकर साइंस कॉलेज में वनस्पति विज्ञान के विभागाध्यक्ष एवं प्रसिद्ध वनस्पति वैज्

पीरियॉडिक टेबल पर आधारित विश्व की प्रथम काव्य पुस्तक लिखकर बुशरा निदा ने बनाया विश्व कीर्तिमान

पीरियॉडिक टेबल (Periodic Table) एक रसायनिक तत्वों का एक टेबल या चार्ट होता है, जिसमें इन्हें परमाणु संख्या, इलेक्ट्रॉन विन्यास और आवर्ती रासायनिक गुणों के आधार पर वर्टिकल और हॉरिजॉन्टल क्रम में रखा जाता है। इन्हें इस प्रकार से इसलिए रखा जाता है ताकि कोई भी साधारण व्यक्ति आसानी से इन तत्वों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सके। अन्य शब्दों में पीरियाडिक टेबल सभी रासायनिक तत्वों की उनके संबंधित परमाणु क्रमांक के आधार पर सारणीबद्ध व्यवस्था है। प्रत्येक रासायनिक तत्व की एक विशिष्ट परमाणु संख्या होती है, जो उसके नाभिक के भीतर मौजूद प्रोटॉन की संख्या के बारे में जानकारी प्रदान करती है। पीरियॉडिक टेबल का आविष्कार वर्ष 1869 में रूसी रसायनशास्त्री दमित्री मेंडलीफ (Dmitri Mendeleev) ने किया था। उन्होंने रासायनिक तत्वों को बढ़ते परमाणु भार के अनुसार सारणी के रूप में क्रमबद्ध किया था। रसायन विज्ञान (Chemistry) के अध्ययन में पीरियॉडिक टेबल का बहुत अधिक महत्व हैं इस विषय के विद्यार्थियों को इसे पूर्ण रूप से याद करना बहुत चुनौती पूर्ण होता हैं। भारत देश का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में रहने वाली इंटर

साईकिल गुरु, आदित्य कुमार जी का नाम गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज

बेहतर शिक्षा सभी के लिए जीवन में आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत आवश्यक है। यह हममें आत्मविश्वास विकसित करने के साथ ही हमारे व्यक्तित्व निर्माण में भी सहायता करती है। स्कूली शिक्षा सभी के जीवन में महान भूमिका निभाती है। शिक्षा हमें न केवल हमारा व्यक्तिगत विकास करती है, बल्कि समाज में भी सकारात्मक परिवर्तन लाती है। यह हमें समाज में उत्कृष्ट स्थान प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शिक्षा हमें अधिक सभ्य और बोद्धिक विकास की दिशा में आगे बढ़ने की सामर्थ्य प्रदान करती है। माता-पिता और शिक्षकों के संघर्षों से हम शिक्षित और समर्पित व्यक्तियों में बदल जाते हैं। वे हमारे वास्तविक मार्गदर्शक होते हैं, जो हमें सफलता की ओर आगे बढ़ने में मदद करते हैं। भारत देश में कई ऐसे शिक्षक हुए हैं जिन्होंने अत्यंत समर्पण और निस्वार्थ भाव से शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ऐसे ही एक शिक्षक हैं, जो बेहद अनोखे अंदाज में शिक्षा देते रहते हैं, उनका नाम है श्री आदित्य कुमार जी (Mr. Aditya Kumar), उर्फ ​​'साइकिल वाले गुरुजी'।  फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश में जन्मे, श्री आद

राम शब्द से संपूर्ण हनुमान चालीसा लिखकर चंचल राठी जी ने बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड

सनातन परंपरा में श्री हनुमान जी को शक्ति का पुंज माना जाता है। अतुलित गुणों के धाम कहलाने वाले श्री हनुमान जी के बारे में मान्यता है कि वे चिंरजीवी हैं और हर युग में मौजूद रहते हैं। श्री हनुमान जी को सभी संकटों से बचाने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है। जिनका आशीर्वाद पाने के लिए अक्सर उनके भक्त हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। हनुमान चालीसा अवधी में लिखी एक काव्यात्मक कृति है, जिसमें प्रभु श्री राम के महान भक्त हनुमान जी के गुणों एवं कार्यों का चालीस चौपाइयों में वर्णन है। यह अत्यन्त लघु रचना है जिसमें पवनपुत्र श्री हनुमान जी की सुन्दर स्तुति की गई है। इसमें बजरंगबली‍ जी की भावपूर्ण वन्दना तो है ही, प्रभु श्री राम का व्यक्तित्व भी सरल शब्दों में उकेरा गया है। ऐसी मान्यता है कि संकट में पड़ा कोई भी व्यक्ति भक्ति-भाव से उनका सुमिरन या फिर उनकी चालीसा का पाठ करता है, उसे बचाने के लिए श्री हनुमान जी दौड़े चले आते हैं।हनुमान जी इस कलयुग में जागृत देव हैं इसलिए कलयुग में उनकी उपासना सबसे ज्यादा फलदायी मानी गयी हैं। असम, गुवाहाटी की श्रीमती चंचल राठी जी (Mrs. Chanchal Rathi) ने प्रभु श्री राम

हस्ताक्षर देखकर शारीरिक समस्या बताने वाले दीपक राठौर का नाम गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज

हर व्यक्ति अपने-अपने तरीके से सिग्नेचर या हस्ताक्षर करता है। सिग्नेचर भले ही आप अपनी उंगलियों से करते हों लेकिन कहीं ना कहीं इसका संबंध आपके दिमाग से होता है। हर सिग्नेचर व्यक्ति की पहचान और उसके व्यक्तित्व के बारे में बताता है। जिस प्रकार एक नन्हा सा बीज स्वयं के अन्दर एक विशालकाय वृक्ष को छिपाए रखता हैं ठीक उसी तरह किसी व्यक्ति के हस्ताक्षर भी देखने में भले ही छोटे लगते हों किन्तु विश्लेषण करने पर पर वे व्यक्ति के व्यक्तित्व की संपूर्ण कहानी कहने में सक्षम होते हैं। केवल हस्ताक्षरों के सटीक विश्लेषण से ही, किसी व्यक्ति के चरित्र, स्वभाव, मित्रता, दांपत्य,सफलता, व्यवसाय आदि के विषय में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त हो सकती हैं। हस्ताक्षर विश्लेषण का विज्ञान भारत के ज्योतिषशास्त्र का ही एक अभिन्न हिस्सा हैं। आज के आधुनिक युग में हैंडराइटिंग एवं हस्ताक्षर का विश्लेषण करने वालों को ग्राफोलॉजिस्ट कहते हैं।  इंदौर, मध्यप्रदेश के निवासी श्री दीपक राठौर जी (Mr. Deepak Rathaur) ऐसी ही अद्भूत प्रतिभा के धनि हैं जो कि हस्ताक्षर विश्लेषण के माध्यम से व्यक्ति की शारीरिक, आर्थिक, मानसिक स्थिति का सफलता

एक्यूपंक्चर नीडल्स का कलेक्शन कर डॉ. बी एस तनेजा जी ने बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड

एक्यू चीनी भाषा का शब्द है, जिसका मतलब है पॉइंट। हमारे शरीर में कुल 365 एनर्जी पॉइंट होते हैं। इन पॉइंट्स पर बारीक सूई से पंक्चर (छेद) कर इलाज किया जाए तो एक्यूपंक्चर कहलाता है और अगर उन्हीं पॉइंट्स पर हाथ से या किसी इक्युपमेंट से दबाव डाला जाए तो एक्यूप्रेशर कहलाता हैं। एक्युपंचर थेरेपी मूल रूप से चीन में उपचार हेतु प्रयोग की जाने वाली प्राचीन विधि है। इसका प्रमाण प्रारंभिक चीनी अभिलेखों एवं चीनी ग्रंथों में मिलता है। इस तकनीक का उपयोग आमतौर पर दर्द से राहत के लिए किया जाता है। इसका उपयोग चीन और अन्य एशियाई देशों में सदियों से किया जा रहा है। एक्यूपंक्चर में शरीर के खास पॉइंट्स में बारीक सुई लगाई जाती हैं। इसका एक सेशन आमतौर पर 40-60 मिनट का होता है और एक बार में 15-20 पॉइंट्स पंक्चर किए जाते हैं। एक्युपंक्चर माइग्रेन, तनाव से होने वाले सिरदर्द, एंग्जाइटी, साइनस, अस्थमा, ब्रॉन्काइटिस, चेहरे का लकवा, टॉन्सिल्स, आंख की बीमारी ऑप्टिक नर्व ऑट्रॉफी, पुराना जुकाम, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, आर्थराइटिस, बॉडी पेन, गैस, एसिडिटी, इनफर्टिलिटी और महिलाओं की दूसरी समस्याएं आदि में बहुत असरदार माना ज