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सामाजिक कार्यकर्ता व शिक्षाविद श्री ओमप्रकाश टेलर भारतीय जी ने श्रीमद् भागवत गीता पर लगातार 26 घंटो तक व्याख्यान देकर बनाया विश्व रिकॉर्ड

श्रीमद् भागवत गीता हिन्दी साहित्य का महत्वपूर्ण ग्रंथ है। जो महाभारत के युद्ध के समय भगवान् कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिये गए उपदेश पर आधारित हैं। इस ग्रंथ में ज्ञान और जीवन दोनों के महत्वपूर्ण मुद्दों को समझाने का प्रयास किया गया है। भगवद् गीता के अनुसार, एक व्यक्ति को जीवन में शांति और सफलता प्राप्त करने के लिए अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। यहां पर्याप्त समय के साथ कर्मफल की चिंता करने की जरूरत नहीं होती है, बल्कि केवल कर्म करने की निष्ठा रखनी चाहिए। भगवद् गीता में ज्ञान और भक्ति के मार्ग को भी विस्तार से बताया गया है। ज्ञान योग के अनुसार, आत्मा और ब्रह्म के बीच का सम्बन्ध समझना चाहिए। जब हम इस सत्य को समझते हैं, तो हम अपने आप को मुक्त कर सकते हैं। भक्ति योग के अनुसार, हमें भगवान् में श्रद्धा रखनी चाहिए। भारत में अनादि काल से  भागवत गीता पर कई महान संतो, दार्शनिको एवं गुरुओं द्वारा उपदेश दिया जाता रहा है। ताकि हर मनुष्य अपने सद्कर्म और धर्म की राह पर चले और अपने जीवन सफलता प्राप्त करे, इसी क्रम में बदनावर, मध्य प्रदेश के सामाजिक कार्यकर्ता व शिक्षाविद श्री ओमप्रकाश टेलर भारतीय (Mr.

100 घंटो में 100 किलोमीटर की सड़क बनाकर रचा विश्व इतिहास गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज

एक राष्ट्र के विकास का मापदंड उसके सड़कों की स्थिति से निर्धारित किया जा सकता है। सड़कों का महत्व देश के आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। एक अच्छी सड़क नेटवर्क द्वारा, लोगों को आसानी से अपने लक्ष्यों तक पहुंचने में सहायता मिलती है और उनके जीवन को सुगम बनाने में सहयोग मिलता है। एक अच्छे सड़क संचार नेटवर्क द्वारा व्यापार, वित्तीय और औद्योगिक गतिविधियों को सुविधाजनक बनाया जा सकता है। लोग सामान और सेवाओं को आसानी से पहुंच सकते हैं, जो व्यापार को बढ़ाने और आर्थिक विकास को सुदृढ़ करने में मदद करता है। अच्छे सड़कों के माध्यम से उद्योगों को भी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक साथ काम करने की सुविधा मिलती है, जिससे नए रोजगार के अवसर और आय का स्रोत बढ़ता है। सड़कों का निर्माण और विकास एक देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण अंग है। भारत सरकार ने इस क्षेत्र में उदारता और सक्रियता के साथ कई उत्कृष्ट कार्य किए हैं। सड़क निर्माण कार्यों के माध्यम से देश की सुविधा, सुरक्षा और विकास को बढ़ावा मिला है। उत्कृष्ट कार्यों की इसी कड़ी में एक और उपलब्धि गाजियाबाद-अलीगढ़ एक्स

जीवन प्रबंधन गुरु पंडित विजय शंकर मेहता जी का नाम गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज

 पंडित विजयशंकर मेहता जी  एक नाट्यशास्त्र, पत्रकारिता और धर्म के क्षेत्र में प्रख्यात व्यक्ति हैं। वे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने सैकड़ों व्याख्यानों के माध्यम से जीवन प्रबंधन के बारे में बात करते हैं, उन्होंने अपने लेखों में जीवन को अपनी मूल प्रकृति के अनुसार जीने की आवश्यकता पर जोर दिया है, और उनके द्वारा संपादित और लिखी गई दस से अधिक पुस्तकों में उन्होंने एक अनुशासित और ठीक से प्रबंधित जीवन की आवश्यकता पर जोर दिया है। मूल्यों के बदलते युग में, आध्यात्मिक आस्था पर आधारित जीवन प्रबंधन खुशहाल जीवन का अद्वितीय मार्ग है और यह पंडित मेहता जी की निजी खोज और प्राप्ति रही है। पंडित मेहता जी श्री हनुमान चालीसा के साथ-साथ ध्यान करने पर भी बात करते हैं, जो लोगों को सफलता और शांति प्राप्त करने में सहायता करती है। पंडित विजयशंकर मेहता जी का जन्म 2 जुलाई 1957 को हुआ। वे प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रोफेसर वल्लभ दास मेहता और माता सुमित्रा देवी मेहता के पुत्र हैं। वह परिवार के पांच भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं। रसायनशास्त्र में एम.एससी. करने के बाद पं. मेहता ने 20 वर्षों तक भारतीय स्टेट बैंक म

राष्ट्रीय रामायण महोत्सव के नाम दर्ज हुए दो विश्व कीर्तिमान

भारत, विविध संस्कृतियों और प्राचीन परंपराओं का देश है, जहां हमेशा से उत्साहभरे धार्मिक उत्सवों और त्योहारों का आयोजन किया जाता रहा है, जो इसकी समृद्ध विरासत को दर्शाते हैं। इन उत्सवो में से एक "राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आयोजन रायगढ़, छत्तीसगढ़ के राम-लीला मैदान में किया गया। 1 जून से 3 जून 2023, तक आयोजित इस महोत्सव में पुरे देश से भक्त, कलाकार, एवं विद्वान् एकत्रित हुए ताकि वे भगवान राम की इस अद्वितीय कथा का उत्सव मना सके। इस महोत्सव का आयोजन श्री विवेक आचार्य जी (Mr. Viviek Acharya) के संचालन में संस्कृति विभाग, छत्तीसगढ़ (Department of Culture) द्वारा किया गया। इस राष्ट्रीय महोत्सव में देश के 13 राज्यों सहित कंबोडिया और इंडोनेशिया के रामायण दलों द्वारा रामकथा पर भक्तिपूर्ण प्रस्तुति दी गयी। इन रामायण दलों की प्रस्तुति में सर्वव्यापी भगवान श्रीराम की रामकथा के विविधतापूर्ण राष्ट्रीय-वैश्विक स्वरूपों की झलक देखने को मिली। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित छत्तिसगढ राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी (Mr. Bhupesh Baghel, CM) ने रायगढ़ के रामलीला मैदान में तीन दिवसीय ‘राष्ट

पंडित देव प्रभाकर शास्त्री (दद्दा जी) द्वारा पार्थिव शिवलिंग निर्माण कर बनाया विश्व कीर्तिमान

पंडित देव प्रभाकर शास्त्री (Pt. Dev Prabhakar Shastri), जिन्हें आप सभी प्यार से "दद्दा जी" के नाम से जानते हैं, भारतीय आध्यात्मिकता के एक प्रमुख मार्गदर्शक और संत हैं। उनका जन्म अनंत चतुर्दशी के पावन पर्व पर 19 सितम्बर 1937 को मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के एक छोटे से गाँव कूंडा में एक साधारण किसान के घर हुआ था। इनके पिताजी का नाम गिरधारी दत्त जी त्रिपाठी एवं माता जी का नाम श्रीमती ललिता देवी था। दद्दा जी जब महज 8 वर्ष के थे  तब दुर्भाग्यवश उनके पिताजी का आकास्मिक निधन हो गया जिसके पश्च्यात इस संकट की घड़ी में उनकी माता जी द्वारा कठिन परिश्रम से कृषि कार्य एवं शिष्य परिवारों में भिक्षाटन कर परिवार का पालन-पोषण किया।  दद्दा जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नजदीकी ग्राम के संस्कृत विद्यालय से प्राप्त की उसके पश्च्यात विरला संस्कृत महाविद्यालय कशी से व्याकरण शास्त्र में शास्त्री की उपाधि हासिल की अपने विद्यार्थी जीवन में ही पूज्य दद्दा जी को यातिचक्र चूड़ामणि धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी का सानिध्य प्राप्त हुआ। दद्दा जी पूज्य स्वामी करपात्री जी से दीक्षा ले उनके शिष्य बन गए। करपात्री

संत श्री उमाकांतजी महाराज के मार्गदर्शन में बाबा जयगुरुदेव धर्म विकास संस्था ने रचे कई विश्व कीर्तिमान

 जयगुरुदेव बाबा ( संत श्री उमाकांतजी महाराज ) भारतीय धार्मिक और आध्यात्मिक जगत के एक प्रमुख गुरु रहे हैं, जिन्होंने अनेकों लोगों को अपनी शिक्षा, प्रेम और सेवा के माध्यम से प्रभावित किया है। वे न सिर्फ अपने साधकों के लिए एक मार्गदर्शक हैं, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी हैं।जय गुरुदेव बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में हुआ था। उनके असाधारण अवधारणाओं, आध्यात्मिक ज्ञान और भक्ति के कारण उन्हें बचपन से ही साधु बनने की इच्छा थी। बाल्यावस्था से ही अध्यात्म में रूचि होने के कारण पढ़ाई पूर्ण होते ही सन् 1973 में जय गुरुदेव बाबाजी के पास पहुंचे और परम पूज्य बाबाजी से नामदान (दीक्षा) लेकर उनके आदेशानुसार सेवा और भजन कार्य में लग गए। बाबा जय गुरुदेव महाराज ने ध्यान और आध्यात्मिक साधना में अपना समय बिताया, जिससे उन्हें गहरी आंतरिक अनुभूति हुई। उन्होंने संसारिक बाधाओं, मानसिक अशांति और जीवन के विभिन्न पहलुओं के साथ समाधान प्राप्त किया। विभिन्न आध्यात्मिक उपदेशों, प्रवचनों और सत्संगों के माध्यम से बाबा जयगुरुदेव महाराज ने जनता को आध्यात्मिकता के महत्व को समझाया। उन्होंने अद्भुत तत

दीदी माँ साध्वी ऋतंभरा जी का नाम गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज

लोकप्रिय साध्वी ऋतंभरा जी (Sadhvi Ritambhara Ji) , जिन्हे दीदी माँ के नाम से जाना जाता है, एक बहुत ही प्रमुख आध्यात्मिक गुरु हैं। वह भारतीय संस्कृति के महान सम्मान और हिंदुत्व का उपदेश देती है।साध्वी ऋतम्भरा जी 'भगवान आचार्य महा मंडलेश्वर युगपुरुष स्वामी परमानंदजी महाराज' की प्रेरणा के तहत एक साध्वी बन गयीं थीं। साध्वी ऋतम्भरा जी ने भारतीय ग्रंथों का गहन अध्ययन किया और आध्यात्मिकता में गहराई से सोचा। उनका जीवन भगवान के प्रति समर्पण और समाज के लिए सेवा का एक उल्लेखनीय संयोजन है।उनका मानना ​​है कि "मानवता की सेवा भगवान की सेवा है" और उसने अपने जीवन की सेवा को अपने देश के लिए समर्पित किया है। साध्वी ऋतंभरा जी एक जीवंत और शक्तिशाली वक्ता हैं। उनके प्रवचनों को जब लोग सुनते हैं तो वे धन्य महसूस करते हैं कि उन्हें उनके द्वारा प्रबुद्ध होने का मौका मिला है। उनके शब्द सरल है लेकिन प्रभाव गहरा है। कुछ ही क्षणों में भक्त उनके परिवार का हिस्सा बन जाते हैं। वह एक उत्कृष्ट शिक्षक,  प्रेरक और एक मार्गदर्शक है जो शब्दों से नहीं बल्कि अपने स्वयं के आचरण के उदाहरणों के आधार पर सबका मार