पंडित देव प्रभाकर शास्त्री (Pt. Dev Prabhakar Shastri), जिन्हें आप सभी प्यार से "दद्दा जी" के नाम से जानते हैं, भारतीय आध्यात्मिकता के एक प्रमुख मार्गदर्शक और संत हैं। उनका जन्म अनंत चतुर्दशी के पावन पर्व पर 19 सितम्बर 1937 को मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के एक छोटे से गाँव कूंडा में एक साधारण किसान के घर हुआ था। इनके पिताजी का नाम गिरधारी दत्त जी त्रिपाठी एवं माता जी का नाम श्रीमती ललिता देवी था। दद्दा जी जब महज 8 वर्ष के थे तब दुर्भाग्यवश उनके पिताजी का आकास्मिक निधन हो गया जिसके पश्च्यात इस संकट की घड़ी में उनकी माता जी द्वारा कठिन परिश्रम से कृषि कार्य एवं शिष्य परिवारों में भिक्षाटन कर परिवार का पालन-पोषण किया।
दद्दा जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नजदीकी ग्राम के संस्कृत विद्यालय से प्राप्त की उसके पश्च्यात विरला संस्कृत महाविद्यालय कशी से व्याकरण शास्त्र में शास्त्री की उपाधि हासिल की अपने विद्यार्थी जीवन में ही पूज्य दद्दा जी को यातिचक्र चूड़ामणि धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी का सानिध्य प्राप्त हुआ। दद्दा जी पूज्य स्वामी करपात्री जी से दीक्षा ले उनके शिष्य बन गए। करपात्री जी दद्दा जी की विलक्षण प्रतिभा और सरलता से बहोत प्रभावित थे। स्वामी करपात्री जी ने दद्दा जी से अपनें अंतर्मन की बात व्यक्त की कि मैनें 11 सवा करोड़ पार्थिव शिवलिंग निर्माण एवं रुद्राभिषेक यज्ञ करनें संकल्प लिया था ,1 यज्ञ गंगा तट पर सम्पन्न भी हुआ, किन्तु अब स्वास्थ्य एवं अन्य कारणों से असंभव सा लगता है। दद्दा जी ने विनम्र आग्रह किया कि यदि आपका आदेश एवं आशिर्वाद प्राप्त हो तो में आपके इस लक्ष्य को पूर्ण करनें का प्रयास करूंगा, पूज्य दद्दा जी के विनम्र भाव से प्रभावित हो पूज्य स्वामी करपात्री जी का दद्दा जी को आदेश प्राप्त हुआ।
काशी से उच्च शिक्षा प्राप्त कर दद्दा जी जिला मिर्जापुर के बरैनी (कछवा)के हनुमंत संस्कृत विद्यालय में प्रधानाचार्य के पद पर नियुक्त हुए। बरैनी में 1 वर्ष आसीन होने के उपरान्त स्वेच्छा से 1962 में वापिस निज ग्राम कूंडा आकर राष्ट्र एवं मानव कल्याणार्थ, दद्दा जी द्वारा देश प्रदेश के अनेक स्थलों में श्रीमदभागवत, शिव पुराण देवी पुराण कथाऐ, एवं अनेकों यज्ञ अनवरत सम्पन्न कराये गये। 1962 से अभी तक दद्दा जी द्वारा 180 श्रीमदभागवत कथाएं, एवं अनगिनत धार्मिक अनुष्ठान सम्पन्न कराये गये।साथ ही उनके के द्वारा पूज्य करपात्री जी के आदेश पालन करते हुए सवा करोड़ पार्थिव शिव लिंग निर्माण महांयज्ञ नवम्बर 1980 में जबलपुर स्टेडियम से प्रारम्भ कर श्रृंखला को जारी रखते हुई सैकड़ों असंख्य पार्थिव शिवलिंग निर्माण महारुद्र यज्ञ एवं रुद्राभिषेक यज्ञ एवं धार्मिक अनुष्ठान सम्पन्न कराये गये।
परम पूज्य दद्दाजी मार्गदर्शन में संपन्न करवाए गए कई पार्थिव शिवलिंग (मिट्टी से बनी हिंदू भगवान शिव की प्रतीकात्मक मूर्ति) निर्माण महारुद्र यज्ञों को वर्ल्ड रिकॉर्ड के रूप में अन्तराष्ट्रीय रिकॉर्ड बुक गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्डस (Golden Book of World Records) में दर्ज किया गया
1 जनवरी, 2015 को दद्दा शिष्य मंडल भोपाल ने 100 वां पार्थिव शिवलिंग कार्यक्रम आयोजित किया। जहाँ दद्दाजी के शिष्यों द्वारा गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड की टीम को जानकारी प्रेषित कर दावा किया गया की 1 जनवरी 2015 तक श्री दद्दा जी के मार्गदर्शन में उनके शिष्यों ने 1980 के बाद से आयोजित 100 कार्यक्रमों के दौरान श्रद्धालुओ एवं भक्तो द्वारा दो अरब छियानबे करोड़ चौसठ लाख अठहत्तर हजार आठ सौ चौपन (2,96,64,78,854) पार्थिव शिवलिंग बनाए गए हैं। जिसके पश्च्यात गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड की टीम द्वारा आंकड़ो की सघन जाँच करने के बाद दावे की पुष्टि करते हुए "Largest Number of Parthiv Shivling" के शीर्षक के साथ वर्ल्ड रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट प्रदान किया।
दिनांक 28 अप्रेल से 04 मई 2015 के दौरान सागर,मध्य प्रदेश के भमोरा में श्री दद्दा जी के मार्गदर्शन में दद्दाजी शिष्य मंडल, सागर द्वारा 104 वां पार्थिव शिवलिंग निर्माण कार्यक्रम आयोजित किया गया जहाँ उनके भक्तों एवं शिष्यों द्वारा एक हफ्ते में अड़तीस करोड़ अट्ठावन लाख त्रेसठ हजार पांच सौ इक्यासी (38,58,63,581) पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर "Largest Number of Parthiv Shivling in a Week" के शीर्षक के साथ गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना दर्ज कर विश्व कीर्तिमान स्थापित किया।
04 मई 2016, को उज्जैन में सिंहस्थ के दौरान श्री दद्दा जी के मार्गदर्शन में दद्दाजी शिष्य मंडल, उज्जैन द्वारा 108 वां पार्थिव शिवलिंग निर्माण कार्यक्रम आयोजित किया गया जहाँ उनके भक्तों एवं शिष्यों द्वारा एक दिन में छः करोड़ अट्ठासी लाख (6,88,00,000) पार्थिव शिवलिंग का निर्माण किया गया। एक दिन में इतनी अधिक संख्या में पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करने पर इस गोल्डन बुक ऑफ़ रिकॉर्डस द्वारा "Largest Number of Parthiv Shivling Formed in a Day" के शीर्षक के साथ सर्टिफिकेट प्रदान कर एक विश्व रिकॉर्ड के रूप में दर्ज किया।
दद्दा जी की आध्यात्मिक ज्ञान की गहराई और उनकी सरल व्याख्यान शैली ने उन्हें देश और विदेश में लाखों लोगों के दिलों में बसा दिया है। पूज्य दद्दा जी के देश विदेशों में लाखों लाख दीक्षित शिष्य,श्रद्धालु एवं भक्तजन है। दद्दा शिष्य परिवार में देश विदेशों में ख्यातिलब्ध विभिन्न राजनेता, विख्यात फिल्म स्टार, उद्योगपति, पत्रकार, समाजसेवी, अधिकारी, कर्मचारी, कृषक, मजदूर एवं विभिन्न श्रेणी के शिष्य एवं भक्त है किन्तु पूज्य दद्दा जी का स्नेहाशीष सभी को समभाव से ही प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त दद्दा जी ने अपने जीवन काल में अनेकों मंदिरों का निर्माण करवाया और जीर्ण मंदिरों का जीर्णोद्धार करवाया इसके अलावा स्कूल एवं शाला भवनों में निर्माण एवं सुधार कार्य करवाया। ज़्यादातर संत अपनी वेशभूषा के कारण पहचान में आते हैं लेकिन दद्दा जी अपने आचार विचार और व्यवहार के कारण शिष्यों के अतिरिक्त हम जैसों के मन मे भी बसते हैं। संत प्रायः ब्रम्हचर्य का पालन करते हैं लेकिन गृहस्थ संत थे इसलिये भी वो हमें और आकर्षित करते थे पुराने युगों में ऋषि मुनि जैसे गृहस्थ होते थे दद्दा जी हमे वैसे ही लगते थे। सांसारिक जीवन दायित्व के साथ संत भी उनका यह रूप अत्यंत अपना सा लगता था वह सभी धर्मों के प्रति आदर का संदेश उनसे मिलता था।
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