Skip to main content

एक फर्म में सबसे अधिक समय तक नौकरी कर 71 वर्ष की उम्र में डॉ. विश्वनाथ पाणिग्राही जी रचा विश्व कीर्तिमान

बागबहरा, छत्तीसगढ़ के डॉ. विश्वनाथ पाणिग्राही जी (Dr. Vishvanath Panigrahi) ने 71 वर्ष की उम्र में देश के यूवाओं और नौकरीपेशा लोगों के लिए कर्त्तव्य निष्ठा, कठिन परिश्रम, सेवा और ईमानदारी की  एक अद्भूत मिसाल पेश की हैं। डॉ. विश्वनाथ पाणिग्राही जी तेंदुपत्ता व्यापारी फर्म मेसर्स चकुभई घेलाभाई एंड सन्स में कार्यरत हैं, उन्होंने महज 16 वर्ष की उम्र में दिनांक 14 अगस्त 1968 को फर्म में तौल करने वाले के रूप में कार्य करने आरम्भ किया था। तेंदुपत्ता व्यापारी फर्म, मेसर्स चकुभई घेलाभाई एंड सन्स तथा उनकी अन्य संस्थाओं में अपनी ईमानदारी एवं कर्तव्य निष्ठा का परिचय देते हुए विगत 54 वर्षों से अधिक समय  से अपनी सेवाएँ प्रदान कर रहे हैं। एक ही फर्म में किशोरावस्था से कार्य करते हुए आज वे फर्म की चौथी पीढ़ी (Forth Genration) के साथ कार्य कर रहे है।अपने कार्यकाल के दौरान एक की फर्म की चार पीढ़ियों को सेवाएँ प्रदान कर डॉ. विश्वनाथ पाणिग्राही जी ने विश्व कीर्तिमान स्थापित कर दिया। उनकी इस उपलब्धि के लिए उनका नाम गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स (Golden Book of World Records) में "Serving Most Generation in Single Firm" के शीर्षक के साथ वर्ल्ड रिकॉर्ड के रूप में स्वर्णाक्षरों से दर्ज किया गया। वर्ल्ड रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स के एशिया हेड डॉ. मनीष विश्नोई जी द्वारा (Dr. Manish Vishnoei Asia Head, GBWR) डॉ. विश्वनाथ पाणिग्राही जी को प्रदान किया गया। वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज होने की इस उपलब्धि के लिए चकुभई घेलाभाई एंड सन्स के श्री किशनलाल अमरसिभाई, श्री विजयभाई, श्री भावेशभाई, श्री देवांशभाई ने डॉ. विश्वनाथ पाणिग्राही जो बधाई दी एवं 54 वर्षों से अधिक समय तक अपनी सेवाए फर्म को प्रदान करने हेतु आभार व्यक्त किया।


गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में नाम दर्ज होने पर हर्ष व्यक्त करते हुए अपने कार्यकाल की जानकरी देते हुए डॉ. विश्वनाथ पाणिग्राही जी ने बताया की  "में यहाँ फर्म की पहली पीढ़ी स्व. श्री अमरसी भाई चकुभाई जी के साथ प्रारंभ कर दूसरी पीढ़ी श्री किशन लाल अमरसी भाई, तीसरी पीढ़ी विजय कुमार किशनलाल भाई तथा वर्तमान में चौथी पीढ़ी श्री देवांश विजय भाई के साथ सर्विस कर रहा हूं। गुजराती कंपनी होने के कारण मुझमें गुजराती संस्कारों की गहरी छाप पड़ी तथा मुझे गुजराती भाषा बोलने, समझने एवम सीखने का सुअवसर मिला। जिसका मुझे गर्व है।"


डॉ. पाणिग्रही एक ऐसे जाने-माने व्यक्ति हैं जिनकी सफलता और सम्मान की काफी लंबी सूची है। वह ग्रीन केयर सोसाइटी इंडिया के संस्थापक और अध्यक्ष हैं। पर्यावरण संरक्षण, ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन, वृक्षारोपण, साक्षर भारत, स्वास्थ्य, पोलियो, संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य 1-17, कुष्ठ रोग, क्षय रोग निवारण, रक्तदान, स्वच्छ भारत अभियान, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, जैव विविधता संरक्षण, मतदाता जागरूकता एवं अन्य कई जनकल्याणकारी कार्यों हेतु डॉ. पाणिग्रही जी को उनके योगदान के लिए क्षेत्रीय, राज्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चूका है। डॉ. पाणिग्रही को भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी में उत्कृष्ट सेवा के लिए छत्तीसगढ़ राज्यपाल पुरस्कार भी प्राप्त है। भारत को खुले में शौच मुक्त बनाने और स्वच्छ भारत अभियान में उनकी अग्रणी भूमिका, समर्पण और नवाचार के कारण उन्हें ओडीएफ मैन, जिला नवरत्न, स्वच्छ और हरित राजदूत और स्वच्छता चैंपियन खिताब से सम्मानित किया गया है। डॉ. पाणिग्रही को मन की बात रेडियो एपिसोड में प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के साथ बातचीत करने का भी मौका मिला। पर्यावरण संरक्षण, पौधारोपण सहित स्वच्छता को लेकर डॉ. विश्वनाथ पाणिग्रही को इंटरनेशनल इंटर्नशिप यूनिवर्सिटी द्वारा ऑनरेरी डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की गई। हाल ही में उन्हें मलेशिया में इंडो मलेशिया फ्रेंडशिप अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। 

न्यूज़ एवं मीडिया कवरेज़: 

Comments

Popular posts from this blog

इस्कॉन रायपुर ने जन्माष्टमी पर बनाया विश्व रिकॉर्ड: 10,000 किलो सामक चावल की खिचड़ी का भव्य प्रसाद बनाया

भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य जन्मोत्सव को भक्ति और भव्यता के साथ मनाते हुए, इस्कॉन रायपुर (ISKCON) ने एक अद्भुत विश्व रिकॉर्ड बनाया जन्माष्टमी के पावन अवसर पर यहाँ 10,000 किलो सामक चावल (सांवा/बरनयार्ड मिलेट) की खिचड़ी तैयार की गई, जिसने इस आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया। यह विशाल प्रसाद-निर्माण भक्ति सिद्धार्थ स्वामीजी के आध्यात्मिक मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। विश्व रिकॉर्ड की पूरी प्रक्रिया का संयोजन श्री तमाल कृष्ण दासजी ने किया, जिन्होंने बताया कि भक्ति सिद्धार्थ स्वामीजी के भाव को इतनी बड़ी मात्रा में सामक चावल की खिचड़ी तैयार कर इस्कॉन के संतों, ब्रम्हचारीयो, समिति तथा सैकड़ों स्वयंसेवकों ने साथ मिलकर इस महायज्ञ को सफल बनाया। सामक चावल, जिसे विशेषकर व्रत के अवसर पर खाया जाता है, को खिचड़ी के रूप में तैयार करना न केवल परंपरा का सम्मान है बल्कि स्वास्थ्य और सात्विकता का संदेश भी है। आयोजन के दौरान गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ( Golden Book of World Records ) के एशिया हेड डॉ. मनीष विश्नोई जी, श्रीमती सोनल शर्मा जी एवम GBWR टीम सहित उपस्थित रहे। GBWR टीम ने सुबह से ही खिचड़ी की तैयारी को बा...

विश्व उमिया धाम मंदिर ने रचा इतिहास : धार्मिक अवसंरचना हेतु सबसे बड़ा राफ्ट कास्टिंग कार्य

पी. एस. पी. प्रोजेक्ट्स लिमिटेड (PSP Projects Limited) ने निर्माण क्षेत्र की अब तक की सबसे कठिन और महत्वाकांक्षी उपलब्धियों में से एक को साकार कर इतिहास रच दिया। कंपनी ने अहमदाबाद स्थित विश्व उमिया धाम मंदिर (Vishv Umiya Dham Temple) के लिए धार्मिक अवसंरचना हेतु अब तक का सबसे बड़ा राफ्ट कास्टिंग सफलतापूर्वक पूरा किया। इस अद्वितीय उपलब्धि को आधिकारिक तौर पर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Golden Book of World Records) द्वारा मान्यता प्रदान की गई। उपलब्धि के आंकड़े ● निरंतर कास्टिंग अवधि: 54 घंटे लगातार कार्य ● कंक्रीट की मात्रा: लगभग 24,100 घन मीटर विशेष रूप से तैयार किया गया ECOMaxX M45 लो-कार्बन कंक्रीट ● राफ्ट के आयाम: लगभग 450 फुट × 400 फुट × 8 फुट ● मानव संसाधन एवं उपकरण: 600 से अधिक अभियंता और कुशल श्रमिक, 285 ट्रांजिट मिक्सर तथा 26 बैचिंग प्लांट्स का उत्कृष्ट समन्वय ● जिस संरचना को सहारा देना है: यह कार्य जगत जननी माँ उमिया मंदिर (504 फुट ऊँचा, 1,500 से अधिक धर्म स्तंभों सहित विश्व का सबसे ऊँचा मंदिर) के लिए किया गया। इतना कठिन क्यों था यह कार्य : इतने बड़े पैमाने पर राफ्ट कास्टिंग...

सम्मेद शिखरजी, फेडरेशन ऑफ हूमड़ जैन समाज के स्वच्छता अभियान के लिए गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में दर्ज

पारसनाथ पर्वत पर स्थित सम्मेद शिखरजी (Sammed Shikhar, Parasnath) जैन समुदाय के लिए सबसे पवित्र तीर्थों (Jain pilgrimage) में से एक है। यह वह तपोभूमि है जहाँ 24 में से 20 जैन तीर्थंकरों ने मोक्ष प्राप्त किया। इसी कारण यह पर्वत आध्यात्मिक जागृति, आस्था और सांस्कृतिक धरोहर का केंद्र माना जाता है। प्रतिवर्ष हजारों श्रद्धालु गहन भक्ति के साथ कठिन यात्रा कर इस पावन तीर्थ की आराधना करते हैं। ऐसे पवित्र स्थलों की स्वच्छता और पवित्रता बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। स्वच्छ पर्वत न केवल इसकी प्राकृतिक सुंदरता को संजोता है, बल्कि दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं को शुद्ध वातावरण भी प्रदान करता है। स्वच्छता, प्रकृति और आध्यात्मिकता के प्रति सम्मान का प्रतीक है तथा जैन धर्म के अहिंसा और पवित्रता के संदेश को भी जीवंत करती है। स्वच्छ वातावरण भावी पीढ़ियों को भी इस यात्रा को गर्व और श्रद्धा के साथ करने हेतु प्रेरित करेगा। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए, “सबसे अधिक लोगों द्वारा पर्वत को स्वच्छ रखने की शपथ” (Most People Pledged to Keep Mountain Clean) का विश्व रिकॉर्ड प्रयास फेडरेशन ऑफ हूमड़ जैन समाज, इंटरनेश...