देश में सबसे ज्यादा लोग दोपहिया वाहन चलाते हैं, कुछ लोग बाइक राइडिंग अपने रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए करते हैं, तो बाइक राइडिंग बहुत से लोगों का जुनून होती है और वो कार को छोड़कर बाइक से ही लंबे-लंबे रास्तों पर निकल जाते हैं। बाइक राइडिंग का सबसे बड़ा फायदा ये है की ये आपकी एकाग्रता को बढ़ाता है क्योंकि सड़क पर बाइक राइडिंग के दौरान आपका पूरा फोकस बाइक पर उसके बैलेंस और उससे किये जा रहे कार्यों पर होता है। इस दौरान व्यक्ति का दिमाग सामान्य अवस्था से अधिक चौकन्ना होकर काम करता है और आपकी एकाग्रता की क्षमता का विकास होता है। इतना ही नहीं कभी आप ध्यान देंगे तो ये पाएंगे कि बाइक राइडिंग के दौरान आप मल्टीपल टास्क एक साथ करते हैं, जैसे आपको सामने से लेकर दाएं, बाएं व पीछे तक का ध्यान रखना पड़ता है, इसके अलावा सही स्पीड पर सही गियर में बाइक चलाना लगातार क्लच दबाना छोड़ना, ब्रेक लगाना, बाइक की स्पीड घटाना, बढ़ाना, ट्रॉफिक के नियमों का पालन करना। बाइक चलाते वक्त आपके पूरे शरीर का टेस्ट होता है जो आपकी मानसिक सेहत के लिए अच्छा है।
बाइक राइडिंग के इस शौक के चलते रायपुर, छत्तीसगढ़ के जनसंपर्क विभाग के फोटोग्राफ़र श्री बृजेन्द्र ठाकुर जी (Mr. Brijendra Thakur) ने बाईक राईडिंग के जरिये वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की ठानी जिसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की, फिर एक दिन उन्होंने एक एतिहासिक फैसला लिया बृजेन्द्र जी ने एक दिन सुबह रायपुर पुरानी बस्ती शहीद पंकज गार्डन के पास माता के मंदिर में पूजा अर्चना की, फिर अपने परिवारजनों और मोहल्ले के नागरिको के समक्ष अपनी रॉयल एनफील्ड बुलेट बाईक से अपनी यात्रा नागपुर के लिए प्रारंभ की और नागपुर जाकर रात तक वापस रायपुर आ गए। 500 किलोमीटर का यह पूरा सफ़र बृजेन्द्र जी द्वारा 10 घंटे 30 मिनट मिनट में पूरा किया गया। उनके द्वारा किये गए इस साहसिक कार्य के लिए उनका नाम गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स (Golden Book of World Records) में "Fastest Five Hundred Kilometer Biking" के शीर्षक के साथ एक वर्ल्ड रिकॉर्ड के रूप में स्वर्णाक्षरों से अंकित किया गया।
शहर के इस बाईक राईडर ने अपने साहसिक कार्य से गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाया लेकिन वर्ल्ड रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट लेने से पहले उनका निधन हो गया। स्व. श्री बृजेन्द्र ठाकुर जी अक्सर ये कहा करते थे की वर्ल्ड रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट लेने के लिए वे एक विशेष आयोजन करेंगे या फिर एक बार और कोई वर्ल्ड रिकार्ड बनाकर दोनों वर्ल्ड रिकार्ड सर्टिफिकेट साथ में लेंगे। 29 मई को सुबह बृजेन्द्र जी को दिल का दौरा पड़ा था। उनके अस्पताल में दाखिल करवाया गया, परन्तु उन्हें बचाया ना जा सका इलाज के दौरान उनका स्वर्गवास हो गया। 10 जून को जब स्व. बृजेन्द्र ठाकुर जी का तेरहवी का कार्यक्रम था। कार्यक्रम के दिन गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड की छत्तीसगढ़ प्रभारी श्रीमती सोनल राजेश शर्मा (Mrs. Sonal Rajesh Sharma) जी ने स्वयं जाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट उनके परिजनों को देकर दिव्यात्मा को सम्मानपूर्वक श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर परिवारजनों के साथ-साथ सबके आंसू छलक पड़े।
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