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छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेन्ड्रा-मरवाही जिले ने हीमोग्लोबिन जाँच कर रचा इतिहास

एनीमिया स्क्रीनिंग, जिसे CBC या हीमोग्लोबिन टेस्ट  भी कहते हैं। यह हीमोग्लोबिन की मात्रा की जानकारी प्राप्त करने के लिए की जाती है। हीमोग्लोबिन की कमी कोई बीमारी नहीं है मगर इसकी कमी से शरीर में कमजोरी आती है। जिसके कारण इसकी जाँच कुछ समय के अंतराल में करा लेना चाहिए। इसी बात ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ के जिला गौरेला-पेन्ड्रा-मरवाही में एक ही दिन में हजारों की संख्या में महिलाओं की हीमोग्लोबिन की जाँच की गई। जिसे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ( Golden Book of World Record ) में दर्ज किया गया है। 26 जून 2025 को छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल जिला गौरेला-पेन्ड्रा-मरवाही में 'रक्त शक्ति अभियान (Rakt Shakti Abhiyan)' के तहत जिले के अलग-अलग जगहों में महिलाओं के लिए एनीमिया स्क्रीनिंग कैम्प का आयोजन किया गया था।जिसमें जिले की 13 से 45 वर्ष आयु वर्ग की 51727 महिलाओं की हीमोग्लोबिन की जाँच कर विश्व कीर्तिमान बनाया गया। जिसे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में "महिलाओं के लिए सबसे बड़ा एनीमिया स्क्रीनिंग कैम्प (Largest Anemia Screening Campaign For Women)" के शीर्षक के साथ जिला प्रशा...
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छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले में 12 घंटे में सबसे ज्यादा सोक पिट बनाकर रचा इतिहास

सोकपिट एक ऐसी भूमि संरचना है, जो वर्षा जल और अपशिष्ट जल को इकट्ठा होने से रोकने के लिए बनाई जाती है। यह भूजल रिचार्ज कर जल संरक्षण में मदद करती है। जल संरक्षण के क्षेत्र में कुछ ऐसा ही कार्य छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिला ने भी किया है। कबीरधाम जिले में वर्षा जल संरक्षण के लिए सोकपिट बनाकर एक ही दिन में दो विश्व कीर्तिमान स्थापित किये गये हैं। इस अभियान को 'कैच द रैन (Catch The Rain)' योजना के तहत चलाया गया है। कबीरधाम जिला के इन विश्व कीर्तिमानों को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ( Golden Book of World Record ) में दर्ज किया गया है। छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिला में 20 जून 2025 को जल संरक्षण के एक पहल की शुरुआत की गई। जिसके अंतर्गत जिले के विभिन्न स्थानों में 12 घंटे में हज़ारों की संख्या में सोकपिट बनाने का और जल संरक्षण के लिए लगभग 1 लाख लोगों को शपथ दिलाने का कीर्तिमान बनाया गया है। जिसे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में क्रमशः "वर्षा जल संचयन के लिए 12 घंटे में खोदे गये सबसे अधिक सोकपिट (Most Soak Pits Dug For Rainwater Harvesting In 12 Hours)" एवं "सबसे अधिक लोगों द्वा...

पिछ्ले 28 सालों से सुल्तान-ए-इंदौर एकता सेवा समिति कर रही अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार

समर्पण और त्याग की भावना के साथ हर सेवा सार्थक होती है और इसी भावना के साथ इंदौर की सुल्तान-ए-इंदौर एकता सेवा समिति (Sultan-E-Indore Ekta Seva Samiti) पिछ्ले 28 सालों से लगातार अज्ञात शवों का विधि पूर्वक अंतिम संस्कार कर रही है। अंतिम संस्कार हिन्दू धर्म के सोलह संस्कारों में से एक है, इसे विधि पूर्वक कराना सनातन धर्म की समृद्धि के दिशा में एक महत्त्वपूर्ण योगदान है। यह अभिनंदन योग्य कार्य समाजसेवी श्री अशोक गोयल जी (Mr. Ashok Goyal, Social Worker) के दिशा निर्देशों से विगत 28 वर्षों से लगातार चल रहा है। जिसके कारण उन्हें गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ( Golden Book of World Record ) द्वारा सम्मानित किया गया है। 12 जून 2025 को इंदौर के होटल सायाजी में आयोजित कार्यक्रम में सुल्तान-ए-इंदौर एकता सेवा समिति द्वारा 24 जनवरी 1997 से 12 मई 2025 के मध्य 11250 अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार किया गया है। जिसकी पुष्टि गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने की। इसे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में "अज्ञात शवों के अंतिम संस्कार की सबसे बड़ी पहल ( Largest Initiative of Cremating Unclaimed Dead Bodies )...

सबसे कम उम्र में हनुमान चालीसा का पाठ करके ईशानी ने रचा इतिहास

तीन साल की आयु, जब बच्चे सामन्यतः बोलना सीख रहे होते हैं। वहीं इसी आयु की इंदौर की रहने वाली ईशानी खण्डेलवाल (Ishani Khandelwal) ने हनुमान चालीसा का पाठ सुनाकर सारी दुनिया को अचंभित कर दिया। ईशानी की इस उपलब्धि को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ( Golden Book of World Record ) में स्वर्णिम अक्षरों से दर्ज किया गया है। ईशानी ने न केवल हनुमान चालीसा का पाठ किया है बल्कि उन्हें हनुमान चालीसा याद भी है। ईशानी को उनके माता पिता द्वारा प्रशिक्षित किया गया है। 18 अप्रैल 2025 को मध्यप्रदेश के इंदौर की रहने वाली ईशानी खण्डेलवाल (D/O श्रीमती कृतिका एवं श्री मयूर खण्डेलवाल) ने महज 3 वर्ष 1 माह 9 दिन की आयु में हनुमान चालीसा का पाठ करके विश्व कीर्तिमान स्थापित किया है। जिसे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में "सबसे कम उम्र में हनुमान चालीसा का पाठ ( Youngest to Ricite Hanuman Chalisa )" के शीर्षक के साथ ईशानी खण्डेलवाल के नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज किया। गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के एशिया हेड डाँ. मनीष विश्नोई (Dr. Manish Vishnoei, Asia Head, GBWR) ने ईशानी को उनके माता पिता की उपस्थिति ...

जिला पंचायत दुर्ग ने सोकपिट बनाने का बनाया विश्व कीर्तिमान

सोकपिट, जिसे सोख्ता गड्ढा भी कहते हैं। यह भूजल रिचार्ज का कार्य करता है। हालहि में छत्तीसगढ़ के जिला पंचायत दुर्ग द्वारा जल संरक्षण के लिए सोकपिट बनाने का एक अनूठा रिकॉर्ड बनाया। जिसके अंतर्गत महज 2 घंटे में दुर्ग जिला पंचायत के 1200 घरों में एक साथ सोकपिट बनाये गये।ये सोकपिट 2.5 * 2.5 * 2.5 फीट की संरचना में बनाया गया है। इसे बिना किसी शासकीय अनुदान के ग्रामीण जनसहभागिता से बनाया गया है, जो सामुहिक भागीदारी और पर्यावरणीय जागरूकता को दर्शाता है। लोगों के इस सामुहिक प्रयास को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Golden Book of World Record) में दर्ज किया गया है। 13 जून 2025 को छत्तीसगढ़ के जिला पंचायत दुर्ग में प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों के 1200 घरों में एक साथ सुबह 8 बजे से सुबह 10 बजे के बीच सोकपिट बनाये गये है। जिसे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में "वर्षा जल संचयन के लिए एक साथ खोदे गये सबसे अधिक सोख्ता गड्ढ़े (Most Soak Pits Dug Simultaneously For Rainwater Harvesting)" के शीर्षक के साथ जिला पंचायत दुर्ग को स्थान मिला। यह पहल जल संरक्षण कार्य को बढ़ावा देने के लिए ...