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हेनिल सोनी ने सबसे कम समय में 10 विभिन्न प्रकार के रुबिक क्यूब पज़ल को सोल्व कर रचा विश्व कीर्तिमान

रुबिक क्यूब एक प्रकार का पज़ल हैं, जिसे हल करने के कई फ़ायदे हैं। यह आपकी एकाग्रता, याद्दाश्त और रचनात्मकता को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। यह तनाव और चिंता को कम करने में भी मदद करता है। रूबिक क्यूब हल करना न केवल बच्चों के लिए बल्कि वयस्कों के लिए भी एक स्वस्थ शौक हो सकता है। रुबिक क्यूब पज़ल को एरनो रुबिक द्वारा 1974 में हंगेरी में डिज़ाइन किया गया था। उन्होंने अपने छात्रों को पढ़ाने में सहायता के लिए इसका आविष्कार किया था। परन्तु समय के साथ इसकी बढ़ती लोकप्रियता के चलते आज यह पूरी दुनिया में उपयोग किया जाता हैं। रुबिक क्यूब आर्ट का मुख्य उद्देश्य अवसरों को देखने की क्षमता को बढ़ावा देना है। इसमें आपको अपनी मानसिक ताक़त का उपयोग करके क्यूब को खुद से बनाना होता है, जिसमें रंगों को मिलाने की एक विशेष विधि का पालन करना पड़ता है। इससे आपकी दृढ़ता, संरचनात्मक समझ, और समस्या समाधान कौशल में सुधार होता है। रुबिक क्यूब पज़ल सोल्व करने की कला में यूनाइटेड किंगडम, लंदन में रहने वाले भारतीय मूल के नन्हें हेनिल सोनी (Henil Soni) ने अपनी कला का बेहतरीन प्रदर्शन कर विश्व कीर्तिमान स्थापित किया। अपन
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शंकराचार्य आश्रम बोरियाकला में ललिता त्रिपुर सुंदरी के समक्ष एक करोड़ ललिता सहस्त्रनाम पाठ कर रचा विश्व कीर्तिमान

सनातन धर्म में मां ललिता त्रिपुर सुंदरी को 10 महाविद्याओं में से एक माना है। माँ ललिता धन, ऐश्वर्य, भोग के साथ साथ मोक्ष की भी अधिस्ठात्री देवी हैं। इनकी साधना श्रीविद्या के नाम से जानी जाती है तथा पूजन यन्त्र श्री-चक्र या श्री-यन्त्र के नाम से प्रसिद्ध है। ललितोपाख्यान, ललिता सहस्रनाम, ललिता त्रिशति तथा ललिता अष्टोत्तरशतनामावली के पाठ के माध्यम से माता ललिता की आराधना की जाती है, जिनमे ललिता सहस्रनाम का विशेष महत्व है। ललिता सहस्रनाम, भगवान् हयग्रीव (महाविष्णु के अवतार) और अगस्त्य मुनि के बीच का संवाद है जो की माता ललिता त्रिपुर सुंदरी को समर्पित स्तोत्र है। पूरे ललिता सहस्त्रनाम को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है। प्रथम भाग में ललिता सहस्रनाम के उत्पत्ति के बारे में बताया गया है। द्वितीय भाग में माता के 1000 नाम बताये गए हैं तथा अंतिम भाग में ललिता सहस्रनाम पाठ के लाभ अर्थात फलश्रुति बताये गए हैं। पूर्ण श्रद्धा और आस्था से किया गया ललिता सहस्रनाम का पाठ मनुष्य की चेतना को शुद्ध करता है, तथा मन को व्यर्थ चिंताओं और नकारात्मक विचारों से मुक्त कर सकारात्मकता और आत्मविश्वास प्रदान

पोषण निवेश कार्यक्रम दौरान नवविवाहित, गर्भवती और शिशुवती महिलाओं ने फलदार पौधों का रोपण बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड

वनों की कटाई पृथ्वी के जलवायु परिवर्तन के मुख्य कारणों में से एक है। कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि वनों की कटाई लगभग 18-25% जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार है। यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र और अन्य प्रमुख संगठन जैसे कुछ बड़े संगठन दुनिया भर में वृक्षारोपण को प्रोत्साहित कर रहे हैं। सरल शब्दों में, वृक्षारोपण का अर्थ है किसी क्षेत्र में अधिक पेड़ उगाने के लिए जमीन में पौधे लगाना। जिन देशों में वनों की कटाई बहुत बढ़ गई है, वहां वृक्षारोपण की बहुत आवश्यकता है। वनों की कटाई के कारण हवा में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है, और सूर्य की यूवी किरणों को के कारण वातावरण को गर्म हो रहा है। वृक्षारोपण के माध्यम से वनों की कटाई के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं को सीमित किया जा सकता है। क्योंकि अधिक से अधिक पेड़ लगाना ही इस समस्या को दूर करने का एकमात्र तरीका हैं क्योंकि वे हवा से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं, जिससे हवा साफ होती है। वृक्ष संपूर्ण जगत के जीवों के मूलभूत आवश्यकताओं में सर्वप्रथम आवश्यकता है। वृक्षों एवं वनस्पतियों के माध्यम से ही इस धरती पर स्थित मा

कमल शर्मा ने चक्रासन की मुद्रा में सबसे तेज़ 100 मीटर दूरी तय करके रचा विश्व कीर्तिमान, गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ नाम

"योग" शब्द का उद्गम संस्कृत भाषा से है और इसका अर्थ "जोडना, एकत्र करना" है। योगिक व्यायामों का एक पवित्र प्रभाव होता है और यह शरीर, मन, चेतना और आत्मा को संतुलित करता है। योग के प्राथमिक लाभों में से एक शारीरिक स्वास्थ्य और लचीलेपन को बढ़ावा देने की इसकी क्षमता है। योग में अभ्यास किए जाने वाले विभिन्न आसन या मुद्राएँ मांसपेशियों को धीरे-धीरे खींचती और मजबूत करती हैं, जोड़ों के लचीलेपन में सुधार करती हैं।नियमित अभ्यास के माध्यम से, अभ्यासकर्ताओं को ऊर्जा के स्तर में वृद्धि, मुद्रा में सुधार और शारीरिक बीमारियों के जोखिम में कमी का अनुभव होता है। योग के विभिन्न मुद्राओं एवं आसनों में से एक आसन हैं चक्रासन।चक्रासन एक बेहतरीन योगासन है, जिसे अंग्रेजी में व्हील पोज (Wheel Pose) भी कहा जाता है। इसे योग में उर्ध्व धनुरासन नाम भी दिया गया है। यह शरीर के एक-एक अंग को फायदा पहुंचाता है। सबसे बड़ी बात यह आपके दिल की हर मसल्स को खोल देता है। चक्रासन योग, ऐसी मुद्रा है जिसका अभ्यास काफी कठिन माना जाता है। शारीर के लचीलेपन और मांसपेशियों को अधिक मजबूती देने के प्रशिक्षित योगाभ्या

भारतीय चंद्र मिशन पर आधारित पहली काव्य पुस्तक 'चंद्रयान तीन विश्व कीर्तिमान ग्रंथ' का नाम गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज

पृथ्वी का चंद्रमा सौरमंडल का पाँचवाँ सबसे बड़ा चंद्रमा है और पृथ्वी से परे एकमात्र खगोलीय वस्तु है जहाँ मानव ने कदम रखा है।विश्व भर से चंद्रमा पर खोज एवं रिसर्च करने के उद्देश्य से अब-तक 107 से अधिक रोबोटिक अंतरिक्ष यान लॉन्च किए गए हैं। यह पृथ्वी से परे एकमात्र खगोलीय पिंड है जिसे अब तक मनुष्यों द्वारा सबसे अधिक खोजा और देखा गया है। चंद्रयान-1 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन 'इसरो' (ISRO) द्वारा लॉन्च किया गया भारत का पहला चंद्र मिशन था। इसके उद्देश्यों में चंद्रमा की सतह का मानचित्रण या नक्शा तैयार करना, उसकी खनिज संरचना का अध्ययन करना और जल-बर्फ की खोज करना शामिल था। इसने चंद्रमा की सतह पर पानी के अणुओं की उपस्थिति की पुष्टि सहित महत्वपूर्ण खोजें कीं। चंद्रयान-2 इसरो का दूसरा चंद्र मिशन था जिसका उद्देश्य चंद्र अन्वेषण और प्रौद्योगिकी प्रदर्शन करना था। ऑर्बिटर ने महत्वपूर्ण वैज्ञानिक आँकड़े प्रदान करते हुए, कक्षा से चंद्रमा का अध्ययन करना जारी रखा है। दुर्भाग्य से उतरने के दौरान लैंडर से संपर्क टूट गया और रोवर के मिशन का समय से पहले अंत कर देना पड़ा। इसी प्रकार चंद्रयान-3 भारत

जोधपुर बिग एफएम की 'बिग मिर्चीवड़ा पार्टी' ने रचा इतिहास बनाया विश्व कीर्तिमान

भारत को विविधताओं का देश कहा जाता है, यहां हर राज्य की अपनी एक अलग पहचान है, लोगों के रहन-सहन से लेकर खान पान भी हर राज्‍य का दूसरे राज्‍य से अलग है। सभी राज्यों के खाने का अपना अलग स्वाद है, जिसे दूसरे राज्यों के लोग भी खूब पसंद करते हैं और बड़े चाव से खाते हैं। राजस्थान की संस्कृति समृद्ध और विविधतापूर्ण है, राज्य के लोगों में इतिहास और परंपरा की गहरी समझ है। राजाओं की भूमि एक जीवंत और रंगीन राज्य है जहाँ परंपरा और संस्कृति साथ-साथ चलती है। राजस्थान अपने तीखे व्यंजनों के लिए जाना जाता है, जो उन लोगों के लिए एक स्वादिष्ट व्यंजन है जो अपने खाने में मसाले का आनंद लेते हैं। राजस्थान का जोधपुर अपनी यहां के पत्थरों और मिठाइयों के अलावा भी कई दूसरी चीजों के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन सबसे ज्यादा अगर कोई प्रसिद्ध है तो वह है जोधपुर का मिर्ची बड़ा। जोधपुर आए और मिर्ची बड़ा ना खाएं ऐसा संभव नहीं है, कोई भी लोग जोधपुर आते है तो पहले जोधपुर का मिर्ची बड़ा खाते है, उसके बाद ही काम दूसरा करते है। राजस्थान के जोधपुर में स्थित उम्मेद उद्यान में 92.7 बिग एफएम (92.7 Big FM) एवं ओसवाल ग्रुप (Oswal Group) क

रायबरेली के सपूत डॉ. शिववरण शुक्ल जी आज विश्व प्रसिद्ध मूर्धन्य विद्वान एवं अनुपम राष्ट्रभक्त

भारतवर्ष के उत्तर प्रदेश के रायबरेली जनपद के दक्षिण दिशा में प्रवहमाण पतित पावनी माँ गंगा के तट पर स्थित सिद्ध ज्वालेश्वर शिव मंदिर के समक्ष पं. राम प्रसाद शुक्ल सरवरियन का पुरवा, शिवनगर-रायपुर गौरी में सुप्रसिद्ध शैव पं. भगवत प्रसाद शुक्ल जी एवं श्रीमती शान्ती देवी के परिवार में 22 फरवरी, 1952 को डॉ. शिववरण शुक्ल जी (Dr. Shivvaran Shukla) का जन्म हुआ। प्राइमरी शिक्षा से आगे बढ़ते हुए 1987 ई. में डॉ. शुक्ल जी ने विश्व में सर्वाधिक कम आयु में संस्कृत में शिक्षा की सर्वोच्च डिग्री डी.लिट. प्राप्त कर वैश्विक यशस्विता के प्रथम सोपान को स्पर्श किया। डॉ. शुक्ल जी का जन्म रायबरेली में हुआ था, इसलिए रायबरेली और भारत का नाम विश्व पटल पर रखने की उनकी सदैव अभिलाषा रही है। 1990 में वियना में वर्ल्ड संस्कृत कांफ्रेन्स में डॉ. शुक्ल जी ने अपना शोध पत्र "संस्कृत साहित्ये रायबरेली जनपदस्य योगदानं" में रायबरेली के संत महात्माओं, संस्कृत विद्वानों का यशोगान वियना (आस्ट्रिया) में करके पूर्वजों से जो आशीर्वाद अर्जित किया, उसी की परिणति हैं आज के डॉ. शिववरण शुक्ल जी।  विश्व सम्मेलनों में वियना (ऑ