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गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज हुआ इस्कॉन प्रचार केंद्र द्वारा आयोजित सात दिवसीय श्रीकृष्ण कथा अमृतमहोत्सव

भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृतियों में से एक मानी जाती है। इसी संस्कृति के माध्यम से संसार को आध्यात्मिकता का प्रकाश प्राप्त हुआ। हमारे जीवन का संचालन आध्यात्मिक आधारभूत तत्वों पर टिका हुआ है भारत में खान-पान, सोना बैठना, जन्म-मरण, यात्रा, विवाह, तीज-त्यौहार आदि उत्सवों का निर्माण भी आध्यात्मिक बुनियादों पर है। जीवन का ऐसा कोई भी पहलू नहीं है, जिसमें आध्यात्म का समावेश न हो, या जिस पर पर्याप्त चिन्तन या मनन न हुआ हो। अध्यात्म ही भारतीय संस्कृति का आधार है। जिसका अर्थ है अधि+आतम अधि मतलब अध्यन व आत्म मतलब आत्मा को जानना। ईश्वर का दर्शन करके ही हम अपनी अंतर आत्मा में सांस्कृतिक चेतना को जगा सकते हैं।आध्यात्मिक जीवन सबसे अच्छा जीवन माना गया है। जब हम एक समय के बाद दुनियादारी में काफी उलझ जाते हैं और फिर हम कई साधु-संतों या महापुरुषों से मिलते हैं, तो हमें ज्ञात होता है कि यह उलझन ही हमारी समस्या का जड़ है। ऐसे वक़्त पर धार्मिक कथाएं हमे आध्यात्मिकता की ओर रुख कराती हैं। धार्मिक और आध्यात्मिक कहानियाँ हमें आत्मा से परमात्मा की ओर प्रवाहित करने का काम करती है। हमारे जीवन में आध

इस्कॉन प्रचार केंद्र जगदलपुर द्वारा आयोजित "उमंग: द मेगा यूथ फेस्टिवल 2024" में डिवाइन रॉक संकीर्तन कर रचा विश्व कीर्तिमान

अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ  (International Society for Krishna Consciousness) जो आज दुनिया भर में इस्कॉन नाम से जाना जाता हैं। इस्कॉन की स्थापना सन् 1966 में भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद जी द्वारा अमेरिका के न्यूयार्क में की गयीं थी, इस संस्था का मुख्य उद्देश्य श्री कृष्ण और उनके उपदेशों को पूरे विश्वभर में प्रसारित करना हैं। न्यूयॉर्क से प्रारंभ हुई कृष्ण भक्ति की निर्मल धारा शीघ्र ही विश्व के कोने-कोने में बहने लगी। आज भी इस्कॉन के अनुयायी श्रीमदभगवद् गीता एवं सनातन संस्कृति का प्रचार-प्रसार करते हैं। इस्कॉन के साधारण नियमों और सभी जाति-धर्म के प्रति समभाव के चलते इसके अनुयायीयों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हर वह व्यक्ति जो प्रभु श्री कृष्ण में लीन होना चाहता है, उनका यह मंदिर स्वागत करता है। स्वामी प्रभुपादजी के अथक प्रयासों के कारण दस वर्षों के अल्प समय में ही समूचे विश्व में 108 मंदिरों का निर्माण हो चुका था। इस समय इस्कॉन समूह के लगभग 1000 से अधिक मंदिरों की स्थापना हो चुकी है।  छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में इस्कॉन (ISKCON) प्रचार केंद्र द्वारा ''उमंग: द मेगा यूथ फे