Skip to main content

Posts

Showing posts with the label Gujrat

आँखों पर पट्टी बांधकर स्केटिंग करते हुए रुबिक क्यूब सोल्व कर रोनित जोशी ने रचा विश्व कीर्तिमान

रुबिक क्यूब एक प्रकार का पज़ल हैं, जिसे एरनो रुबिक द्वारा 1974 में हंगेरी में डिज़ाइन किया गया था। उन्होंने अपने छात्रों को पढ़ाने में सहायता के लिए इसका आविष्कार किया था। परन्तु समय के साथ इसकी बढ़ती लोकप्रियता के चलते आज यह पूरी दुनिया में उपयोग किया जाता हैं। रूबिक क्यूब को हल करने के कई फ़ायदे हैं, यह आपकी एकाग्रता, याद्दाश्त और रचनात्मकता को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। यह तनाव और चिंता को कम करने में भी मदद करता है। रूबिक क्यूब हल करना न केवल बच्चों के लिए बल्कि वयस्कों के लिए भी एक स्वस्थ शौक हो सकता है। जब आप रुबिक क्यूब हल करते हैं तब आपको अधिक तार्किक एवं रचनात्मक सोच की आवश्यकता होती हैं जो आपके समस्याओं के समाधान करने के कौशल को विकसित करता हैं।  रुबिक क्यूबस जैसे पज़ल को सामान्यतः लोगो को हल करने की घंटों का समय लग जाता हैं वही भारत के वड़ोदरा, गुजरात के रहने वाले रोनित जोशी (Ronit Joshi) ने महज 15 वर्ष की उम्र में आँखों पर पट्टी बांधकर बड़ी आसानी से रुबिक क्यूब सोल्व कर देते हैं। अपनी इस कला और भी चुनौती पूर्ण ढंग से अंजाम देने के नन्हे रोनित ने कुछ ऐसा कारनामा कर दिखाया की

पोते ने कला के जरिए दी दिवंगत दादी को अनोखी श्रद्धांजलि, गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में नाम दर्ज

रुबिक क्यूब आर्ट केवल एक खेल नहीं, बल्कि एक कला भी है। यह एक रोचक और मानसिक चुनौती प्रदान करता है जिसमें आपको एक 3x3x3 या अन्य आकार के क्यूब के रंगों को सोल्व करने के लिए उन्हें एक सही प्रारूप में पूरा करना होता है। रुबिक क्यूब आर्ट का मुख्य उद्देश्य अवसरों को देखने की क्षमता को बढ़ावा देना है। इसमें आपको अपनी मानसिक ताक़त का उपयोग करके क्यूब को खुद से बनाना होता है, जिसमें रंगों को मिलाने की एक विशेष विधि का पालन करना पड़ता है। इससे आपकी दृढ़ता, संरचनात्मक समझ, और समस्या समाधान कौशल में सुधार होता है। रुबिक क्यूब आर्ट एक बहुत ही अद्वितीय और संतुलित कला है, जो आपकी सोचने और विचार करने की क्षमता को बढ़ावा देता है, साथ ही आपको धैर्य और समर्पण का भी अभ्यास कराता है। इसके अलावा, यह आपके कल्पना और व्यक्तिगत अभिव्यक्ति के एक रूप के रूप में भी कार्य कर सकता है, जब आप अपने खुद के रूचिकरण और डिज़ाइन कौशल का प्रयोग करते हैं। वडोदरा, गुजरात के रहने वाले और पिछले कई वर्षों से यूके (United Kingdom) में बसे जोशी परिवार के 10 वर्षीय सहज जोशी (Sahaj Joshi) ने अपनी दादी को विशेष श्रद्धांजलि दी है। उन्ह