Skip to main content

Posts

Showing posts with the label AU Jaipur Marathon

"जय श्री राम" लिखी हुई टी-शर्ट पहन कर दौड़े हजारों धावक 15वीं एयू जयपुर मैराथन गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज

मैराथन दौड़ का इतिहास 490 ईस्वी पूर्व शुरू हुआ था। यूनान के एथेंस नगर से 26 मील दूर मैराथन के मैदान में यूनानी और पर्सियन/फारसी सैनिकों के बीच युद्ध हुआ था। इस युद्ध में यूनान के सैनिकों ने फारस के 1 लाख सैनिकों को हरा दिया था। इस जीत की खबर देने के लिए यूनान का 'फिडिपीडेस' नाम का सैनिक युद्ध क्षेत्र से लगभग 26 मील तक बिना रुके दौड़ता हुआ एथेंस पहुंचा था.वह इस जीत से इतना उत्साहित था कि उसने भागने के लिए अपने शस्त्र और कवच भी उतार दिए। युद्ध से थका होने के बाद भी वह जंगलो, कटीली झाड़ियों और पहाड़ो वाले रास्ते में बिना कहीं रुके भागता ही रहा था। जब उसने एथेंस नगर में प्रवेश किया तो उसके पैर लहुलुहान हो चुके थे. उसकी साँस उखड़ रही थी. उसने अपने देशवासियों को बोला "निक्की" अर्थात युद्ध में उसके देश की विजय हुई है, 'देशवासियों हम युद्ध जीत गये खुशियाँ मनाओ'। इस खबर को सुनाने के बाद ही उसकी मौत हो गयी थी। 'फिडिपीडेस' नामक धावक की याद में मैराथन दौड़ को ओलिंपिक खेलों में शामिल किया गया था। मैराथन रेस की दूरी 26 मील, 385 यार्ड्स अर्थात लगभग 42.195 किलोमीटर होती है।

एयु जयपुर मैराथन में विवेकानन्द ग्लोबल यूनिवर्सिटी के धावकों के राजस्थानी पगड़ी पहन कर लगाई दौड़ गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज हुआ रिकॉर्ड

भारत देश में पगड़ी का इतिहास काफी पुराना हैं। पगड़ी जहाँ एक ओर लोक सास्कृतिक परंपराओं से जुड़ी हुई है, वहीं पर सामाजिक सरोकारों से भी इसका गहरा नाता है। सामान्यतः पगड़ी का मूल उपयोग सर को धूप, सर्दी, धूल अदि समस्याओं से सुरक्षित रखने के लिए किया जाता हैं, किन्तु धीरे-धीरे समय के चलते इसे सामाजिक मान्यता के माध्यम से मान-सम्मान के प्रतीक के साथ जोड़ दिया गया, क्योंकि इसे सर पर पहना जाता हैं। वर्षों की यात्रा में पगड़ी ने अनेक रंग, रूप, आकार, प्रकार बदले किन्तु मूलरूप में कोई परिवर्तन नहीं आया। ऐतिहासिक प्रमाणों के आधार पर पगड़ी का परिधान तो सिंधु घाटी की सभ्यता से भी पहले था। उस समय नर और नारी दोनों ही पगड़ी पहनते थे। राजस्थान सम्पूर्ण राष्ट्र में अपनी संस्कृति तथा प्राकृतिक विविधता के लिए पहचाना जाता है। पगड़ी राजस्थान के पहनावे का अभिन्न अंग है। राजस्थान के रीति- रिवाज, यहां की वेशभूषा तथा भाषा में सादगी के साथ-साथ अपनेपन का भी अहसास मिलता है। यहाँ पगड़ी का महत्व इतना होता हैं कि किसी की पगड़ी को ठोकर मारना, लांघना या भूमि पर रखना अपमान माना जाता था। पिंक सिटी जयपुर के वर्ल्ड ट्रेड पार्क (World