भारत में कई साधू संत ऐसे हैं जो बिना भोजन किए अपनी तपस्या में लीन रहते हैं। लेकिन कोई व्यक्ति बिना खाये कैसे जीवित रह सकता है? अब इसे चमत्कार कहे या तप की शक्ति, इसका अंदाजा लगाना कठिन है। डॉक्टरों के मुताबिक कोई व्यक्ति तीस से साठ (30-60) दिनों तक ही केवल पानी पी कर जीवित रह सकता है मगर श्री दादा गुरुजी महाराज जी (Mr. Dada Guru ji Maharaj) ने लगातार 1000 दिनों से अधिक, बिना अन्न ग्रहण किये, केवल पानी पीकर अखंड व्रत कर रहे हैं। जिससे सम्पूर्ण चिकित्सा जगत भी हैरान है। यहाँ तक कि कई डॉक्टर्स इन पर शोध भी कर रहे है। मध्य प्रदेश के जबलपुर के रहने वाले श्री समर्थ सद्गुरू, जो दादा गुरु जी के नाम से विख्यात है, इन्होने जीवनदायिनी माँ नर्मदा (Narmada River) के बचाव और उत्थान का संकल्प धारण करते हुए 17 अक्टूबर 2020 को अन्न का त्याग कर अखंड व्रत धारण किया। ये केवल माँ नर्मदा का पानी पीते है। इसी महाव्रत को करते हुए उन्होंने माँ नर्मदा की तीन हजार दो सौ (3200) किलोमीटर की परिक्रमा भी कर चुके हैं। इस महाव्रत के एक हजार (1000) दिन पूर्ण होने पर दादा गुरु जी ने न केवल एक बल्कि तीन विश्व कीर्तिमान बनाये। जिसे 'गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड (Golden Book Of World Record)' में दर्ज किया गया है।
भारत के मध्य प्रदेश के जबलपुर के रहने वाले श्री दादा गुरु जी ने माँ नर्मदा के बचाव और उत्थान के लिए अपने अखंड महाव्रत से तीन विश्व कीर्तिमान बनाये दादा गुरु जी ने 17 अक्टूबर 2020 से 14 जुलाई 2023 के दौरान 1000 दिनों का निराहार व्रत करके "सामाजिक कार्यो के लिए 1000 दिन का उपवास रखने वाले पहले व्यक्ति (First To Observe 1000 Days Fast For Social Cause)" के शीर्षक के साथ अपना पहला विश्व कीर्तिमान बनाया। इसी क्रम में उन्होंने 9 नवंबर 2022 से 30 मार्च 2023 के दौरान 3200 किलोमीटर की नर्मदा परिक्रमा यात्रा पैदल पूर्ण की। जिसे रिकार्ड बुक में "उपवास करते हुए सबसे लंबी पैदल यात्रा (Longest Religious Walk While Fasting)" के शीर्षक के साथ दूसरा विश्व कीर्तिमान बनाया। इसी क्रम में उन्होंने अपने लंबे उपवास के दौरान 23 जनवरी 2021 से 13 जून 2023 के बीच मे तीन (3) बार रक्तदान किया। जिसे रिकॉर्ड बुक में "लंबे उपवास के दौरान सबसे अधिक बार रक्तदान (Blood Donation For Most Number Of Times During Prolonged Fasting)" के शीर्षक के साथ तीसरा विश्व कीर्तिमान स्थापित कर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों में अंकित किया।
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दादा गुरुजी महाराज ने व्रत रहकर बनाये तीन विश्व कीर्तिमान, गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज
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