Skip to main content

पर्यावरण संरक्षण के लिए इंदौर के सैकड़ों बच्चों ने सीड बॉल्स बनाकर रचा विश्व कीर्तिमान

कल्पना कीजिए कि अगर पेड़ वाईफाई सिग्नल देते तो हम कितने सारे पेड़ लगाते, शायद हम ग्रह को बचाते। बहुत दुख की बात है कि वे केवल ऑक्सीजन का सृजन करते हैं। कितना दुखद है कि हम प्रौद्योगिकी के इतने आदी हो गए हैं कि हम अपने पर्यावरण पर होने वाले हानिकारक प्रभावों की अनदेखी करते हैं। पर्यावरण संरक्षण आज के समय की सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियों में से एक है। अगर हम वास्तव में जीवित रहना चाहते हैं और सही ढंग से जीवन यापन करना चाहते हैं तो अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाने चाहिए। औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, और बढ़ती जनसंख्या के कारण पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है। वायु प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता का ह्रास, और जल संकट जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। इन समस्याओं का समाधान करने के लिए वृक्षारोपण एक प्रभावी और आवश्यक उपाय है।वृक्षारोपण न केवल पर्यावरण को संरक्षित करने में मदद करता है बल्कि मानव जीवन की गुणवत्ता को भी सुधारता है। पर्यावरण संरक्षण हेतु वृक्षरोपण की कई तकनीको का उपयोग किया जाता हैं परन्तु सीड बॉल या सीड बम तकनीक के माध्यम से आसन एवं प्रभावी तरीके से वृक्षारोपण किया जा सकता हैं। यह जैविक सीड बॉल्स को जमीन में गाड़कर पेड़ लगाने की एक तकनीक है। इसे हवाई वनरोपण के रूप में भी जाना जाता है। सीड बॉल्स को जमीन में फेंककर या गिराकर किसी भी भूमि पर वृक्षारोपण किया जा सकता है। इस प्रक्रिया को निष्पादित करने का सबसे अच्छा समय बारिश का मौसम है। इस प्रक्रिया के माध्यम से लगाए गए बीजों की सफलता दर 50% होती हैं।

देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर के ऑक्सफोर्ड इंटरनेशनल कॉलेज में गिरनार फाउंडेशन, गोल्ड कॉइन सेवा ट्रस्ट,  इंदौर सोशल वेलफ़ेयर फ़ाउंडेशन, नवारंभ जनसेवा संस्थान एवं इंदौर इंटरनैशनल कॉलेज के संयुक्त तत्वाधान में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमे बीज गोलियां (सीड बॉल) बनाकर इंदौर को स्वच्छ और हरित बनाने का प्रयास किया। ऑक्सफ़ोर्ड इंटरनैशनल कॉलेज में आयोजित इस मेगा सीड बॉल मेकिंग कार्यक्रम में विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों के 500 से अधिक छात्र- छात्राओं ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम के दौरान छात्र- छात्राओं ने लगभग 1 लाख सीड बॉल्स बनाकर विश्व इतिहास रच दिया। जिसे गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स (Golden Book of World Records) में "Largest Seed Balls Making Feat" के शीर्षक के साथ वर्ल्ड रिकॉर्ड के रूप में दर्ज किया गया। वर्ल्ड रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स के नेशनल हेड श्री आलोक कुमार जी (Mr. Alok Kumar, National Head, GBWR) द्वारा आयोजकों को प्रदान कर सम्मानित किया गया। लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता एवं वृक्षारोपण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में शहर के गणमान्य जनप्रतिनिधि श्री कैलाश विजयवर्गीय जी (कैबिनेट मंत्री), श्री शंकर लालवानी जी (सांसद), श्री पुष्यमित्र भार्गव जी (महापौर) एवं श्री रमेश मेंदोला जी (विधायक) उपस्थित रहकर उचित आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन प्रदान किया।

ऑक्सफ़ोर्ड इंटरनैशनल कॉलेज में आयोजित इस मेगा सीड बॉल मेकिंग गतिविधि को संस्था के समूह निदेशक एवं प्रोफेसर डॉ. पुनीत कुमार द्विवेदी जी द्वारा योजनाबद्ध किया गया इस पहल का संचालन गिरनार फाउंडेशन के संस्थापक श्री चेतन मवर द्वारा किया गया। गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में नाम दर्ज होने पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा  "यह मन को प्रसन्न करने वाली बात है कि इंदौर के युवा पर्यावरण संरक्षण के रूप में इतने महत्वपूर्ण कारण के लिए साथ आए हैं। हमारे सांगठनिक प्रयास आज आने वाली पीढ़ियों के लिए एक साफ और अधिक सातत्य पर्यावरण के रूप में फलेंगे।" गिरनार फाउंडेशन के संस्थापक श्री चेतन मवर ने अपने सभी प्रतिभागियों और सहयोगियों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की। उन्होंने कहा, "आज, हमने न केवल एक विश्व रिकॉर्ड बनाया है, बल्कि हमने इंदौर के लिए एक अधिक साफ और हरित भविष्य के बीज बो दिए हैं। मुझे यकीन है कि ये बीज गोलियां हरित पेड़ों में विकसित होंगी, हमारे शहर के लिए एक साफ और हरित भविष्य के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक बनती हैं।" कार्यक्रम के सफल बनाने के लिये डॉ. प्रिया जैन भंडारी जी, डॉ. विशाल पुरोहितज जी, डॉ. नेहा शर्मा चौधरी जी, श्रीमती दीक्षा विश्वकर्मा जी, श्री अनुराग सक्सेना जी, श्री अभिषेक उपाध्याय जी आदि का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ। 

न्यूज़ एवं मीडिया कवरेज:








Comments

Popular posts from this blog

सर्वाधिक योग प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन कर अखिल भारतवर्षीय माहेश्वरी महिला संगठन बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड

अखिल भारतवर्षीय माहेश्वरी महिला संगठन (Akhil Bharatvarshiya Maheshwari Mahila Sangathan) देश में महिलाओं के सर्वांगीण विकास एवं उत्थान के उद्देश्य से निरंतर कार्यरत हैं। संगठन द्वारा राष्ट्रीय एवं स्थानीय स्तर पर महिलाओं में नेतृत्व की शैली को विकसित करने हेतु  लीडरशिप ट्रेनिंग प्रोग्राम, आत्मविश्वास एवं रचनात्मकता के विकास हेतु पर्सनालिटी डेवलपमेंट कार्यशाला जैसे अन्य कई प्रशिक्षण शिविरों का समय-समय आयोजन किया जाता हैं। अखिल भारतवर्षीय माहेश्वरी महिला संगठन द्वारा महिलाओं के अलावा बच्चों के शारीरिक एवं बौद्धिक विकास हेतु निरंतर कार्य किया जाता रहता हैं। संगठन द्वारा समय-समय पर सामाजिक के साथ धार्मिक कार्य भी किए जाते हैं।  "फिट इंडिया ही हिट इंडिया  है " की विचारधारा रखते हुए अखिल भारतवर्षीय माहेश्वरी महिला संगठन की संस्कार सिद्ध समिति (Sanskar Siddha Samiti) द्वारा एवं गीता परिवार (Geeta Parivar) के सानिध्य में योग प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया गया। विश्व योग दिवस दिनांक 21 जून 2023 से स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 2023 तक अखिल भारतवर्षीय माहेश्वरी महिल...

गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज हुआ योगाचार्य आशीष शर्मा का नाम

वर्तमान समय में हम सभी योग एवं उससे होने वाले लाभो से भली भांति परिचित हैं। आज के समय में अनेक क्षेत्रों में योग का बहुत महत्व है। योग सही तरह से जीवन जीने का विज्ञान है और इसलिए इसे दैनिक जीवन में शामिल किया जाना चाहिए। यह हमारे जीवन से जुड़े भौतिक, मानसिक, भावनात्मक, आत्मिक और आध्यात्मिक, आदि सभी पहलुओं पर काम करता है। योग शब्द की जड़ है संस्कृत शब्द "युज" जिसका मतलब है जुड़ना। आध्यात्मिक स्तर पर इस जुड़ने का अर्थ है सार्वभौमिक चेतना के साथ व्यक्तिगत चेतना का एक होना। व्यावहारिक स्तर पर, योग शरीर, मन और भावनाओं को संतुलित करने और तालमेल बनाने का एक साधन है। योग साधना का शारीरिक स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका है। योग से अंगो की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है तथा शरीर स्वस्थ व निरोगी बनता है। योग के द्वारा शारीरिक के साथ मानसिक स्वास्थ्य भी प्राप्त किया जा सकता है। योगाभ्यास द्वारा मन की चंचलता को कम कर मानसिक एकाग्रता प्राप्त की जा सकती है। मेरठ, उत्तरप्रदेश के रहने वाले श्री आशीष शर्मा जी (Mr. Ashish Sharma) का जन्म 28 जून 1992 को श्री कुलवंत किशोर शर्मा जी एवं श्र...

महाशिवरात्रि पर सिंधी समाज द्वारा 51 टन साबूदाने की खिचड़ी प्रसादी वितरण कर बनाया विश्व कीर्तिमान

शिप्रा नदी के तट पर स्थित उज्जैन नगरी को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है। उज्जैन में स्थित श्री महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar temple, Ujjain) भारत में बारह प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं। ज्योतिर्लिंगों में उज्जैन का महाकाल मंदिर एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिणमुखी है। दक्षिण दिशा के स्वामी यमराज है, जिन्हें काल का स्वामी भी कहा जाता है इसलिए इस ज्योतिर्लिंग को महाकाल भी कहते हैं। भगवान शिव के इस स्वरूप का वर्णन शिवपुराण में भी विस्तार से मिलता है। उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर में विराजित बाबा महाकाल के दर्शन लाभ एवं आशीर्वाद हेतु पूरे वर्ष ही यहाँ देश-विदेश से आये श्रद्धालुओं का ताँता लगा रहता हैं। श्रावण माह एवं महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के पावन अवसर पर दुनिया भर से आयें भक्तों की श्रद्धा एवं भक्ति से महाकालेश्वर मंदिर एवं पूरा उज्जैन शहर शिवमय हो जाता हैं। महाशिवरात्रि के इस पावन अवसर पर बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में सिंधी समाज (Sindhi community) द्वारा साबूदाना खिचड़ी वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। श्री महेश परयानी जी (Mr. Mahesh Paryani) के मार्गदर्शन एवं ...