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3500 किलो स्क्रैप मेटल से निर्मित महात्मा गाँधी जी की प्रतिमा गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज

स्क्रैप मेटल आर्ट जिसे कई जगहों पर "जंक आर्ट" भी कहा जाता हैं एक ऐसी कला हैं जिसमे कबाड़ अथवा अनुपयोगी मेटल के टुकड़ो का पुनः उपयोग कर उसे एक सुन्दर आर्ट वर्क के रूप में प्रस्तुत किया जाता हैं। स्क्रैप मेटल कला न केवल सुंदरता की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसमें एक महत्वपूर्ण संदेश भी छुपा होता है। इस कला के माध्यम से कलाकार यह सन्देश देता हैं कि कैसे सही दृष्टिकोण और रचनात्मक सोच से वेस्ट को बेस्ट में परिवर्तित किया जा सकता हैं। आज, स्क्रैप धातु कला एक जीवंत और विविध क्षेत्र में विकसित हो गई है, जिसमे कलाकार अपनी रचनात्मकता के माध्यम से मूर्ति, फर्नीचर एवं सजावट सामग्री आदि चीजों का निर्माण करता हैं। स्क्रैप धातु से बने मूर्तियों एवं सजावट सामग्री की अन्तराष्ट्रीय बाज़ार में अच्छी मांग हैं। देश-दुनिया के कला प्रेमी लोग इस प्रकार कलाकृतियों को खरीदना बेहद पसंद करते हैं।

राजस्थान, जोधपुर के हेंडीक्राफ्ट निर्यातक श्री अजय शर्मा जी (Mr. Ajay Sharma ji) कबाड़ से कलाकृतियाँ बनाने में देश- दुनिया में काफी प्रसिद्ध हैं। अजय शर्मा दुनिया के कुछ ऐसे कलाकारों में से हैं जो लगातार कुछ नया करने में जुटे रहते हैं।जोधपुर के रहने वाले अजय शर्मा खराब गाड़ियों के कबाड़ से कुछ अलग तरह की कलाकृति बना देते हैं। लोहे की कील, नट बोल्ट, बेयरिंग, ड्रम, मशीन या पुराने वाहन का कोई भी कलपुर्जा, जो खराब हो चुका हो वो स्क्रैप आर्टिस्ट अजय के लिए कीमती बन जाता है। ऐसे ही कबाड़ से अजय कई हैरतअंगेज कलाकृति बनाकर दुनियाभर में मशहूर हो चुके हैं। कबाड़ से जुगाड़ के नाम से पूरी दुनिया में प्रसिद्धि प्राप्त करने वाले अजय शर्मा जी द्वारा जोधपुर के में आयोजित हस्तशिल्प उत्सव 2023 में  स्क्रैप मेटल से निर्मित राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी की प्रतिमा का प्रदर्शन किया गया। 5.85 मीटर (19 फीट 22 इंच) ऊँची 3500 किलो वजनी राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी की इस प्रतिमा को "Tallest Metal Scrap Statue" के शीर्षक के साथ गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में वर्ल्ड रिकार्ड के रूप में दर्ज किया गया। महात्मा गाँधी जी की इस भव्य प्रतिमा को बनाने के लिए लोहे के स्क्रेप जैसे पाने, क्लच प्लेट, शॉकर, बेरिंग्स, चैन, मशीनों के कलपुर्जे एवं साईकिल के पार्ट्स इत्यादि का प्रयोग किया गया। डॉ. शर्मा ने बताया कि 15 लोगों की टीम द्वारा 50 दिनों के कठिन परिश्रम के बाद ही यह संभव हो पाया हैं।

अजय शर्मा हमेशा से ही कुछ अलग करने का जुनून रखते थे। अजय ने हैंडीक्राफ्ट इंडस्ट्री में 8 साल पहले कदम रखा और मात्र 25 लाख रुपए से स्कैप से कलाकृतियां बनाने का बिजनेस शुरु किया, आज उनका टर्नओवर करोड़ों में है। उन्होंने 2 वर्करों के साथ इसे शुरू किया था, अब वे 200 वर्कर की टीम के साथ काम करते हैं। पहले अजय हर हैंडीक्राफ्ट आइटम की डिजाइन को खुद तैयार करते हैं, इसके बाद उनकी फैक्ट्री में स्क्रैप से वह डिजाइन तैयार की जाती है। अजय की वर्कशॉप का हर कोना शानदार और अजूबा कलाकृतियों का खजाना है। हैंडीक्राफ्ट व्यवसायी अजय शर्मा ने बताया कि विदेशों में स्क्रैप से बनाए गए फर्नीचर व लैंप टेबल आदि की बहुत डिमांड है। सिलाई मशीन, ऑटो पार्ट्स और बेयरिंग समेत ड्रम आदि से स्क्रैप को रिसाइकलिंग करते हैं। जोधपुर से यूके, जर्मनी, पलेंडी, स्वीडन, आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, चीन और जापान आदि देशों में कबाड़ से बना हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्ट होता है।  

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