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दुनिया के सबसे ऊंचे मां उमिया मंदिर के शिलान्यास समारोह में हजारों महिलाओं ने जवारा यात्रा निकालकर रचा विश्व कीर्तिमान

हिंदू धर्म में नवरात्रि के त्यौहार का विशेष महत्व है, पूरे वर्ष में चार बार नवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है। नवरात्रि के दौरान देवी भगवती के नौ रूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है और व्रत रखे जाते हैं। इस त्यौहार में जौ या ज्वार का बहुत महत्व है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के दिन घरों और मंदिरों में जौ बोने का महत्व है। जौ के बिना नवरात्रि की पूजा अधूरी मानी जाती है। हिंदू धर्म में जौ को देवी अन्नपूर्णा का प्रतीक माना जाता है। यह एक पौराणिक मान्यता है कि जब भगवान ब्रह्मा ने ब्रह्मांड का निर्माण किया, तो वनस्पतियों के बीच उगने वाली पहली फसल जौ या ज्वार थी। इसे पूर्ण फसल भी कहा जाता है. यही कारण है कि नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के साथ ज्वारे बोए जाते हैं और देवी-देवताओं की पूजा करते सयम या हवन पूजन के दौरान ‘जौ’ को अर्पित किया जाता है। विश्व उमिया फाउंडेशन (Vishv Umiya Foundation) द्वारा वैष्णोदेवी सर्कल में जसपुर के पास 431 फीट पर दुनिया के सबसे ऊंचे मां उमिया मंदिर का शिलान्यास समारोह का आयोजन किया गया। समारोह के दौरान महिलाओं द्वारा जवारा यात्रा निकली। गयी इस यात्रा म

श्री उमिया माता जी मंदिर, सिदसर के सवा शताब्दी प्राकट्य महोत्सव के उपलक्ष्य में कार रैलियां निकालकर कर रचा विश्व कीर्तिमान गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में हुआ दर्ज

भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन और गहरी संस्कृतियों में से एक है, भारतीय पौराणिक और धार्मिक ग्रंथों में देवियों को माँ और शक्ति के प्रतीक के रूप में परिभाषित किया गया है। देवियों की पूजा और उनके प्रति श्रद्धा समाज में समाजिक और आर्थिक महत्व रखती है। उदहारण के रूप में माँ लक्ष्मी की पूजा समृद्धि और धन की प्राप्ति के लिए की जाती है, जबकि माँ दुर्गा की पूजा समाज की सुरक्षा और साहस की प्रतीक है। भारतीय संस्कृति में स्त्रियों का विशेष स्थान है उन्हें माँ, बहन, और पुत्री के रूप में पूजा जाता है, जो स्त्री की समाज में महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है। भारतीय संस्कृति में पूजी जाने वाली देवियों में से एक सिद्ध देवीं हैं। माता उमिया, जिनकी उपासना उनके भक्तों द्वारा शक्ति एवं दिव्यता के स्रोत रूप में की जाती हैं। माता उमिया को कुर्मी (कड़वे) पाटीदार समाज के लोगों द्वारा अपनी कुलदेवी के रूप में पूजा जाता हैं। गुजरात के सिदसर में उमिया माताजी के प्राकट्य के 125 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में 29 सितंबर से 1 अक्टूबर 2023 तक तीन दिवसीय "बिल्वपत्र महोत्सव" का आयोजन किया गया। उत्सव के अं