डॉ. सुषमा खंडेलवाल जी ने स्वर्णप्राशन संस्कार कर बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज
बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए हेल्दी आहार का अहम योगदान होता है। आहार में किसी तरह की कमी होने पर बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो सकती है, जिसके कारण बच्चों को कई तरह की परेशानी हो सकती है। आयुर्वेद में बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए सुवर्णप्राशन को मत्वपूर्ण माना जाता है। इसे स्वर्ण प्राशन या स्वर्ण बिंदु प्राशन भी कहा जाता है। स्वर्णप्राशन एक वैदिक प्रक्रिया है। इसमें सोने की शुद्ध राख (सुवर्ण भस्म) को जड़ी-बूटियों के अर्क से तैयार घी और शहद के साथ मिलाकर बच्चों को पिलाया जाता है। स्वर्णप्राशन में सोने के साथ शहद, ब्रह्माणी, अश्वगंधा, गिलोय, शंखपुष्पी, वचा जैसी जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। स्वर्ण प्राशन संस्कार आयुर्वेद चिकित्सा की वह धरोहर है जो बच्चों में होने वाली मौसमी बीमरियों से रक्षा करता है। बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य में स्वर्णप्राशन की बहुत अच्छी भूमिका निभाता है। आयुर्वेद एवं शास्त्रों के अनुसार पुष्य नक्षत्र के विशेष मुहूर्त पर बच्चों के स्वर्णप्राशन का सेवन करवाना उनके स्वस्थ्य के लिए बहुत लाभकारी होता हैं। पुष्य नक्षत्र के विशेष मुहूर्त पर मध्यप्रदे...