ट्रांसजेंडर लोग आमतौर वह होते हैं जिन्हें न तो पुरुष और न ही महिला की कैटेगरी में रखा जा सकता है। ट्रांसजेंडर लोगों में पुरुष और महिला, दोनों के ही गुण हो सकते हैं। ऊपर से पुरुष दिखाई देने वाले किसी व्यक्ति में इंटरनल ऑर्गन और गुण महिला के हो सकते हैं और ऐसे ही ऊपर से महिला नजर आने वाले किसी व्यक्ति में पुरुषों वाले गुण और ऑर्गन्स हो सकते हैं। कई ट्रांसजेंडर लोगों को कार्यस्थल, आवासीय स्थान ढूँढने और स्वास्थ्य सेवाएँ ग्रहण करने में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। कई स्थानों पर उन्हें भेदभाव से बचाने के लिए कानूनी संरक्षण तक प्राप्त नहीं है किन्तु भारतीय संस्कृति और न्यायपालिका इन्हें तीसरे लिंग के रूप में मान्यता देती है। इन्हें किन्नर (हिजड़ा) भी कहा जाता है। भारत में, 15 अप्रैल, 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने एक तीसरे लिंग को मान्यता दी, जो न तो पुरुष है और न ही महिला, यह कहते हुए कि "तीसरे लिंग के रूप में ट्रांसजेंडर्स की मान्यता एक सामाजिक या चिकित्सा मुद्दा नहीं है, बल्कि एक मानवाधिकार मुद्दा है।" ट्रांसजेंडर लोगों के प्रति समाज को शिक्षित करना एवं उनके विषय में जागरूक करना अत...